कविताà¤à¤
तीन चाà¤à¤¦
पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ साले साहब, आप बड़े खà¥à¤¶ दिख रहे हैं!
आप ही नहीं, ससà¥à¤° जी और बाराती à¤à¥€ हà¤à¤¸ रहें हैं!
पर जनाब! ये इसलिठखà¥à¤¶ दिख रहें है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आप फà¤à¤¸ रहे हैं।
इनकी हà¤à¤¸à¥€ पर मत जाइये,
अà¤à¥€ à¤à¥€ वकà¥à¤¤ है, सà¤à¤à¤² जाईये।
तà¥à¤°à¥à¤¶à¥€à¤¦à¤¾à¤° मूà¤à¤›à¥‹ वाले यह सब कà¥à¤¯à¤¾ बबर शेर हैं?
जी नहीं! यह तो सरà¥à¤•स वाले कागजी शेर हैं।
इनका उठना-बैठना, खाना-पीना, हà¤à¤¸à¤¨à¤¾-बोलना, सब रिमोट से चलता है।
गर यह न सà¥à¤¨à¥‡ तो इनकी होममिनिसà¥à¤Ÿà¤° का कोड़ा चलता है।
बाहर यह सब à¤à¤²à¥‡ ही इतरा के चलते हैं,
पर कà¥à¤¯à¤¾ आपको पता है कि घर से घोड़े का चशà¥à¤®à¤¾ लगा के निकलते हैं?
आपके फà¤à¤¸à¤¨à¥‡ की खबर सà¥à¤¨ हम à¤à¤¾à¤—े-à¤à¤¾à¤—े आये हैं।
आप किसी की कातिलाना मà¥à¤¸à¥à¤•ान के, à¤à¤¾à¤à¤¸à¥‡ में न फà¤à¤¸à¥‡ यह बताने आये हैं।
और हम खाली हाथ नहीं आये है।
बाहर हमारी मारूति वैन खड़ी है।
जिसमें आपके लिठहोनोलूलू की टिकट पड़ी है।
अà¤à¥€ à¤à¥€ वकà¥à¤¤ है संà¤à¤² जाईये।
किसी की नाज़नीन मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¹à¤Ÿ पर मत जाईये।
मौका मिलते ही पतली गली से निकल जाईये।
पर कहते हैं, पाà¤à¤šà¥‹ अंगà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¤• सी नही होती,
हरेक की तकदीर आप सी बà¥à¤²à¤‚द नही होती।
हो सकता है आप कà¥à¤› कर-गà¥à¤œà¤° जायें।
सरà¥à¤•स के शेर बनते बनते बबर शेर ही बन जायें।
अगर आप ओखली में सर देने को तैयार हैं,
तो हम à¤à¥€ आपके साथ बिलà¥à¤²à¥€ के गले में घंटी बाà¤à¤§à¤¨à¥‡ को तैयार हैं।
आप संघरà¥à¤· करिà¤, हम आपके साथ हैं।
वैसे चिंता न करिà¤, समधी जी आपके सालों की फौज के साथ दरवाजे पर तैनात हैं।
हम दà¥à¤† करते हैं कि à¤à¤²à¥‡ ही आपके सारे बाल गिर जायें।
पर आप अपनी शादी की पचासवीं सालगिरह अपनी छत पर चाà¤à¤¦à¤¨à¥€ रात में मनायें।
उस मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• रात के लिठहम अपना शà¥à¤à¤•ामना संदेश अà¤à¥€ से लिख अपने पास रखे हैं।
जिसके बोल यह कहते हैं,
आज रात तीन चाà¤à¤¦ खिले हैं।
à¤à¤• आसमां में, à¤à¤• घूà¤à¤˜à¤Ÿ में और à¤à¤•…
[रचनाकारः अतà¥à¤² अरोरा]
महानगर
यह है मेरा शहर, यह है à¤à¤• महानगर।
धà¥à¤² की गरà¥à¤¦ के तले धà¥à¤à¤ से सराबोर,
विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ होरà¥à¤¡à¥€à¤‚ग की होड़ में रचा,
कूड़े के ढेर में à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ तलाशते बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से अटा,
गंध कीचड़ में बसी बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से कलंकित,
फà¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤“वर की ओट में बसे याचकों से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥¤
शहर जहाठहर चीज बिकाउ है
रोटी, इतà¥à¤°, हाड़ माà¤à¤¸ का इंसान à¤à¥€!
जहाठचरमराते कंधों पर जीवन का बोà¤à¤¾ ढोता
हर बाशिंदा à¤à¤• अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥‚ है।
जीवन के कालापानी को à¤à¥‹à¤—ता
जो हर नयी सà¥à¤¬à¤¹ पर अथाह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से,
उठता है, जूà¤à¤¤à¤¾ है, जीतता और हारता है।
शहर जिस तक आम जानकारी की परिधि है
टी.वी. पर चार महानगरों का तापमान।
[रचनाकारः देबाशीष चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€]
लघà¥à¤•था
पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ : दृशà¥à¤¯ à¤à¤•
डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥€ की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत à¤à¤• साल के पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ कारà¥à¤¯ के लिठमन में उमंग लिठहà¥à¤ उसने à¤à¤• वृहदाकार, पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§, निजी असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में अपनी सेवा देना चाहा। पहले ही दिन उसकी रातà¥à¤°à¤¿à¤•ालीन डà¥à¤¯à¥‚टी के दौरान नगर के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित, समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ परिवार के मà¥à¤–िया को आकसà¥à¤®à¤¿à¤•ता में असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² लाया गया। मरीज को दिल का à¤à¤¯à¤‚कर दौरा पड़ा था और मरीज के असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले ही यमदूत अपना काम कर गठथे। उसने मरीज की नबà¥à¤œ देखी जो महसूस नहीं हà¥à¤ˆ, दिल की धड़कनें सà¥à¤¨à¥€à¤‚ जो गायब थीं और घोषित कर दिया कि मरीज को असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में मृत अवसà¥à¤¥à¤¾ में लाया गया।
मरीज के समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ परिवार जनों को यह खासा नागवार ग़à¥à¤œà¤°à¤¾ और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हलà¥à¤²à¤¾ मचाया कि मरीज का इलाज उचित पà¥à¤°à¤•ार नहीं हà¥à¤† और à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ के हाथों ग़लत इलाज से मरीज को बचाया नहीं जा सका।
अगले दिन असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² के मालिक-सह-पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक ने उस पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ को बाहर का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखा दिया।
पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¥: दृशà¥à¤¯ दो
डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥€ की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत à¤à¤• साल के पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ कारà¥à¤¯ के लिठमन में उमंग लिठहà¥à¤ उसने à¤à¤• वृहदाकार, पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§, निजी असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में अपनी सेवा देना चाहा। पहले ही दिन उसकी रातà¥à¤°à¤¿à¤•ालीन डà¥à¤¯à¥‚टी के दौरान नगर के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित, समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ परिवार के मà¥à¤–िया को असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² लाया गया। मरीज को दिल का à¤à¤¯à¤‚कर दौरा पड़ा था और मरीज के असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले ही यमदूत अपना काम कर गठथे। उसने मरीज की नबà¥à¤œ देखी जो महसूस नहीं हà¥à¤ˆ, दिल की धड़कनें सà¥à¤¨à¥€à¤‚ जो नहीं थी। उसका दिमाग तेज़ी से दौड़ा। मरीज का परिवार शहर का समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤® परिवारों में से था। उसने तà¥à¤°à¤‚त इमरà¥à¤œà¥‡à¤‚सी घोषित की, मरीज के मà¥à¤à¤¹ में ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ मॉसà¥à¤• लगाया, दो-चार à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¤°à¥à¤Ÿà¥à¤¸ को जगाकर बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾, महंगे से महंगे इंजेकà¥à¤¶à¤¨ ठोंके, ईसीजी, ईईजी, सà¥à¤•ैन करवाया, इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤• शॉक दिलवाया और अंतत: बारह घंटों के अथक परिशà¥à¤°à¤® के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ घोषित कर दिया कि à¤à¤—वान की यही मरà¥à¤œà¥€ थी।
मरीज के समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ परिवार जन सà¥à¤•ून में थे कि डाकà¥à¤Ÿà¤° ने हर संà¤à¤µ बढ़िया इलाज किया, अमरीका से आयातित 75 हजार रà¥à¤ªà¤ का जीवन-दायिनी इंजेकà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ लगाया, पर कà¥à¤¯à¤¾ करें à¤à¤—वान की यही मरà¥à¤œà¥€ थी।
अगले दिन असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² के मालिक-सह-पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक ने मरीज के बिल की मोटी रकम पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• निगाह डालते हà¥à¤ उसे शाबासी दी- वेल डन माइ बॉय, यू विड डेफ़िनिटली गो पà¥à¤²à¥‡à¤¸à¥‡à¤¸à¥¤
[रचनाकारः रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ]
