डॉकà¥à¤Ÿà¤° कà¥à¤²à¤¦à¥€à¤ª सà¥à¤‚बली (अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र) संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ न कशà¥à¤®à¥€à¤° की राजनीति में परिचय के मोहताज हैं, न हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ में। हाà¤, उन से बात करते समय यह समठमें नहीं आता कि उन के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के इन दोनों पहलà¥à¤“ं के बीच की रेखा कहाठहै।
असà¥à¤¸à¥€ के दशक के पूरà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤§ में जब अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र कशà¥à¤®à¥€à¤° विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में हिनà¥à¤¦à¥€ में पी.à¤à¤š.डी. कर रहे थे, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शायद सोचा ही न होगा कि नियति उन को नेतृतà¥à¤µ की इस दिशा में धकेल देगी। फिर असà¥à¤¸à¥€ का दशक समापà¥à¤¤ होते होते, कशà¥à¤®à¥€à¤° घाटी में इनक़लाब सा आ गया — तथाकथित आज़ादी का इनक़लाब। वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से कशà¥à¤®à¥€à¤° में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ समरà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अलगाववाद का जो लावा उबल रहा था, वह जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤®à¥à¤–ी बन कर फूट पड़ा। कà¥à¤› दिनों के लिà¤, कà¥à¤› शहरों में, लग रहा था कि अलगाववादी अपने मक़सद में कामयाब हो गठहैं। मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ के लाउड-सà¥à¤ªà¥€à¤•रों से, उरà¥à¤¦à¥‚ अखबारों में छपी सूचनाओं से à¤à¤• ही आवाज़ आ रही थी – रलिव या गलिव, (हमारे साथ) मिलो या मरो। à¤à¤¸à¥‡ में कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ हिनà¥à¤¦à¥‚ और अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¦à¥€ आतंक के घेरे में आ गà¤à¥¤ कà¥à¤› लोगों को निशाना बनाया गया, जिन में गणमानà¥à¤¯ लोग à¤à¥€ थे और साधारण लोग à¤à¥€à¥¤ कई गाà¤à¤µ के गाà¤à¤µ à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¤¥à¥à¤¨à¤¿à¤• कà¥à¤²à¥€à¤¨à¥à¤¸à¤¿à¤‚ग की à¤à¥‚मिका बनाठगà¤, ताकि बाकी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सबक मिले। लाखों लोगों का à¤à¤• पूरा समà¥à¤¦à¤¾à¤¯, जो पीढ़ियों से कशà¥à¤®à¥€à¤° के अतिरिकà¥à¤¤ किसी घर को नहीं जानता था, समूल उखाड़ फेंका गया।
कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठयह अनà¥à¤à¤µ संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के समय पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से आठशरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ या तालिबान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अफ़गानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से à¤à¤—ाठगठहिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से कम नहीं था, पर यह इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ था कि जहाठपाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ और अफ़ग़ानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से à¤à¤¾à¤—े हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को शरणारà¥à¤¥à¥€ मान कर मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¼à¤¾ दिया गया, कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कà¤à¥€ शरणारà¥à¤¥à¥€ नहीं माना गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कशà¥à¤®à¥€à¤° तो अà¤à¥€ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का "अटूट अंग" था। कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पीढ़ी के लिठविसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨ जीवन à¤à¤° की वेदना बन गया। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ लाखों विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ में अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र के परिवार ने à¤à¥€ जमà¥à¤®à¥‚ में आकर डेरा डाला। परनà¥à¤¤à¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त कठिनाइयों के बावजूद, पारिवारिक तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बावजूद, बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने अधिकार के लिठलड़ने का निशà¥à¤šà¤¯ किया। तà¤à¥€ अपने कà¥à¤› यà¥à¤µà¤¾ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ वे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ समाचार माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ में पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° (अपना कशà¥à¤®à¥€à¤°) के कनà¥à¤µà¥€à¤¨à¤° के रूप में अवतरित हà¥à¤à¥¤ पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° का नारा था, "असि छॠतरà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤°" यानी, हमें (वापस अपने) कशà¥à¤®à¥€à¤° जाना है। पिछले डेढ़ दशक में उन का संघरà¥à¤· कई मरहलों से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¾, और मंज़िल अà¤à¥€ à¤à¥€ दूर है।
अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र का इस बीच साहितà¥à¤¯ का à¤à¥€ मनन होता रहा। तीन कविता संगà¥à¤°à¤¹ छपे – "किसी à¤à¥€ समय", "मà¥à¤ से छीन ली गई मेरी नदी", "काल वृकà¥à¤· की छाया में"। à¤à¤• कहानी पर फिलà¥à¤® à¤à¥€ बनी, उस फिलà¥à¤® में कैमियो रोल à¤à¥€ किया। हाल में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ सरकार के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सूतà¥à¤° समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ृत किया गया। वे वेब पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा कृतà¥à¤¯à¤¾ के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• मंडल में à¤à¥€ शामिल हैं। हाल में निरंतर संपादक दल के सदसà¥à¤¯ रमण कौल को जमà¥à¤®à¥‚ में अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र से मिलने का मौका मिला। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ हैं निरनà¥à¤¤à¤° के लिठउन के साथ किठगठà¤à¤• विशेष साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार के कà¥à¤› अंश।
आप के सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन के कई पहलू दिखाई देते हैं — कवि, लेखक, विचारक और विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के नेता। कà¥à¤¯à¤¾ इन सब पहलà¥à¤“ं में आप को किसी विरोधाà¤à¤¾à¤¸ का सामना करना पड़ता है?
कविता रच रहा हूà¤, तो जी रहा हूà¤à¥¤ इस में किसी पà¥à¤°à¤•ार का विरोधाà¤à¤¾à¤¸ नहीं है। मेरी कविता का केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ संवेदन निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨, विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨, निषà¥à¤•ासन है, और यही मेरे जीवन की संवेदना हो गई है। इसी से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की कामना, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§ का संघरà¥à¤· हम छेड़े हà¥à¤ हैं, जिस में मैं अगà¥à¤°à¤£à¥€ रूप से सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ हूठऔर चाहता हूठकि जिन के साथ हम घाटी में जी रहे थे वे सà¤à¥€ सांसà¥à¤•ृतिक जीवन मूलà¥à¤¯ पà¥à¤¨à¤ƒ बहाल हों, सदà¥à¤à¤¾à¤µ हो और धरà¥à¤® जाति या मौलिक विचारधारा के आधार पर किसी के साथ à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ न हो। मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° सूकà¥à¤·à¥à¤® सà¥à¤¤à¤° पर यही à¤à¤• सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ लेकर चलता है। हालाà¤à¤•ि इसकी सà¥à¤¥à¥‚ल वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤à¤ अलग अलग तरह से की जाती हैं। पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° मेरे लिठसेकà¥à¤¯à¥à¤²à¤°à¤¿à¤œà¤¼à¥à¤® की नरà¥à¤¸à¤°à¥€ है, जिस में हम इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ जीवन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पनीरी बचाठहà¥à¤ हैं। आज कशà¥à¤®à¥€à¤° घाटी में अलगाव और धरà¥à¤® के आधार पर à¤à¤• विखंडन की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अपने हिंसà¥à¤° और बरà¥à¤¬à¤° रूप में चल रही है। मेरे लिठदो ही रासà¥à¤¤à¥‡ हैं। या तो पराजय सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर अपना जीवन यापन करना, या पलट कर इस सब से लड़ना। शबà¥à¤¦ और करà¥à¤® दोनों से। कबीर, मेरे आदरà¥à¤¶ कवि के हवाले से
सà¥à¤–िया सब संसार है खावै और सोवै
दà¥à¤–िया दास कबीर है जागै और रोवै
मेरे जागने और मेरे दà¥à¤– में जहाठनिविड़ à¤à¤•ानà¥à¤¤, उदास कर देने वाली चà¥à¤ªà¥à¤ªà¥€ है वहीं à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में आसà¥à¤¥à¤¾ रखने वाले à¤à¤¸à¥‡ तमाम विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ संसà¥à¤•ृति करà¥à¤®à¥€, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€, संघरà¥à¤·-चेतना से संपनà¥à¤¨ राजनीतिक कारà¥à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ व शरणारà¥à¤¥à¥€ शिविरों में घà¥à¤Ÿ घà¥à¤Ÿ कर सांस ले रही आम जनता की à¤à¤¾à¤—ीदारी रही है, जो आज के छदà¥à¤® और कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के यà¥à¤— में अकेला पड़ते हà¥à¤ à¤à¥€ संबल देती है। कवि केदारनाथ अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² की कविता पंकà¥à¤¤à¤¿ हैं
मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है जनता का बल
वो बल मेरी कविता का बल
मैं उस बल से शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¬à¤² से
à¤à¤• नहीं सौ साल जियूà¤à¤—ा।
इसीलिठमैंने उन तमाम अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पà¥à¤°à¤—तिशील कवियों, रचनाकारों बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की परवाह नहीं की जो मेरे विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨ और (इस) जीनोसाइड पर चà¥à¤ª रहे। यह टीस मà¥à¤à¥‡ अनà¥à¤¦à¤° ही अनà¥à¤¦à¤° सालती रही है। अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सारे खतरे लगातार उठाते हà¥à¤ चरम यातना के कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ मेरी आसà¥à¤¥à¤¾, मेरा सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ मरा नहीं। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ वादी बना नहीं अपितॠà¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ दीपà¥à¤¤à¤¿ से चमक उठा है, जो कि à¤à¤• संघरà¥à¤£ रत रचनाकार से अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ होता है। मैं पाबलो नेरूदा, बरतोत बà¥à¤°à¥‡à¤–़à¥à¤¤ से ले कर क़ाज़ी नज़रà¥à¤² इसलाम से निराला तक कवियों से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हूà¤à¥¤
पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ कैसे हà¥à¤ˆ? इसे कई लोग उतना ही सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• मानते हैं जितना कशà¥à¤®à¥€à¤° का मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® अलगाववाद। आप का इस के विषय में कà¥à¤¯à¤¾ कहना है?
मैं पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° का सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ दरà¥à¤¶à¥€ हूà¤à¥¤ मैंने अपने चनà¥à¤¦ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ इस को सोचा, बà¥à¤¨à¤¾ और खड़ा किया। इस में कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के उन तमाम अधिकारों की आगà¥à¤°à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• बात की जो उन से छिन चà¥à¤•े थे, à¤à¥‚मि की बात की, अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ की बात की। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की अपने लिठशासन की बात की, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान की निरà¥à¤¬à¤¾à¤§ बहाली की बात की, इसीलिठहोमलैंड के साथ केनà¥à¤¦à¥à¤° शासित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की बात की, जहाठवे सब लोग निशà¥à¤¶à¤‚क और निरà¥à¤à¤¯ हो कर समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ रह सकें जिन का विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोकतनà¥à¤¤à¥à¤° और धरà¥à¤®-निरपेकà¥à¤·à¤¤à¤¾, सह-असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ और सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ में हो। चूà¤à¤•ि कशà¥à¤®à¥€à¤° में धरà¥à¤®-निरपेकà¥à¤·à¤¤à¤¾ की धजà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ उड़ाई गई हैं, सह-असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को नकारा गया है, अतः वहाठके मूल नागरिक होने के नाते हमारा अधिकार बनता है कि हम वहाठजा कर अपने रंग-ढंग से रह सकें। इसीलिठहम ने अलग होमलैंड की मांग की। यह मांग सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• नहीं है, बलà¥à¤•ि धरà¥à¤®-निरपेकà¥à¤· है। जबकि समूचा आतंकवाद, अलगाववाद और उसके समरà¥à¤¥à¤• सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• हैं। इसीलिठमैंने कहा पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° धरà¥à¤®-निरपेकà¥à¤·à¤¤à¤¾ की नरà¥à¤¸à¤°à¥€ है।
कांगड़ी
डॉ अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र की à¤à¤• कविता

जाड़ा आते ही वह उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¾ पतà¥à¤¨à¥€ सी
याद आती है
अरसे के बाद हम घर के कबाड़ से
उसे मà¥à¤¸à¥à¤•ान के साथ निकाल लाते हैं
कांगड़ी उस समय
अपना शाप मोचन हà¥à¤† समà¤à¤¤à¥€ है
उस की तीलियों से बà¥à¤¨à¥€
देह की à¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में
समय की पड़ी धूल
हम फूà¤à¤• कर उड़ाते हैं
ढीली तीलियों में कà¥à¤› नई तीलियाठà¤à¥€ डलवाते हैं।
वह समà¤à¤¤à¥€ है
कि दिन फिरने लगे हैं
हम देर तक रहने वाले कोयले पर
उस में आंच डालते हैं
धीरे धीरे उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ हो कर
फूटने लगता है उस की देह से संगीत
जिसे अपनी ठंड की तहों में
उतारने के लिठहम
उसे à¤à¤• आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ के साथ
अपने चोगे के अनà¥à¤¦à¤° वहशी जंगल में लिठफिरते हैं।
और जब रात को बà¥à¤ जाती है कांगड़ी
हम अनासकà¥à¤¤ से हो कर
उसे सवेरे तक
अपने बिसà¥à¤¤à¤° से बाहर कर देते हैं
कांगड़ी अवाकॠदेखती है हमें रात à¤à¤°
आदमी हर बार
ज़रूरत के मौसम में उसे फà¥à¤¸à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ है
परनà¥à¤¤à¥ नहीं सोचता कà¤à¥€ वह
उलट कर उस के बिसà¥à¤¤à¤° में
à¤à¤¸à¥à¤® कर जाà¤à¤—ी सदा की बेहूदगियाà¤à¥¤
पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ मांगपतà¥à¤° में मांग की गई है कि वितसà¥à¤¤à¤¾ (à¤à¥‡à¤²à¤®) के पूरà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¤à¤° का à¤à¤¾à¤— à¤à¤• केनà¥à¤¦à¥à¤° शासित पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ रूप में बनाया जाठऔर वहाठकशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को बसाया जाà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¤¾ आप को यह सà¥à¤à¤¾à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• लगता है?
पिछले लगà¤à¤— दो दशकों से विशà¥à¤µ का à¤à¥‚-राजनैतिक घटनाकà¥à¤°à¤® जिस तेज़ी के साथ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ मानचितà¥à¤° बदलता हà¥à¤† चला है उसे देखते हà¥à¤ कà¥à¤¯à¤¾ मैं आप से पूछूठकि कà¥à¤¯à¤¾ सोवियत रूस का टूटना संà¤à¤µ था? टूट कर नठदेशों का बनना, बरà¥à¤²à¤¿à¤¨ की दीवार का गिरना? इसी तरह आज़ाद कशà¥à¤®à¥€à¤° में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का बनना, अलग इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ गणतनà¥à¤¤à¥à¤° का बनना? कशà¥à¤®à¥€à¤° को वहाठके मूल निवासी हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से विहीन करना संà¤à¤µ है, तो विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों के लिठचंडीगढ़ सरीखा à¤à¤• विशाल गृहराजà¥à¤¯ बनना संà¤à¤µ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं? यह दरअसल à¤à¤• राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ है, संकीरà¥à¤£ और कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों तक सीमित नहीं।
कशà¥à¤®à¥€à¤° के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ का अनà¥à¤¤à¤¿à¤® निदान कब और कैसे होगा, आज की तारीख में उस के बारे में कà¥à¤› नहीं कहा जा सकता। जब à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ होगा, उस समय हमारे à¤à¥‚-राजनैतिक अधिकारों की अनदेखी घातक सिदà¥à¤§ होगी। कशà¥à¤®à¥€à¤° में कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का वापसी कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¤ की वापसी है, उसकी परंपरा की वापसी है, उसकी विरासत की वापसी है, और इसे वृहतॠà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सांसà¥à¤•ृतिक परिपेकà¥à¤·à¥à¤¯ में देखें तो यह हमारे जीवन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की वापसी है।
आप के लेखन और कविता में किसी और चीज़ से अधिक अपने सामà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• निषà¥à¤•ासन की छाप कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिखती है?
दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ हमारी नियति बन गई है। यह निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ देश विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के बाद की सब से बड़ी मानवीय तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ है। इसने à¤à¤• जीवनà¥à¤¤ और उजà¥à¤œà¤µà¤² संसà¥à¤•ृति को धूल फांकने पर विवश किया है और उसके रेशे रेशे को बिखेर दिया है। और नई चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, नठअनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ और नठवसà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¤à¥à¤¯ को सामने ला खड़ा किया है। यह वसà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¤à¥à¤¯ हमें यहूदियों के à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• वसà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¤à¥à¤¯ से जोड़ता है। आप हमारे निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ में लिखे गठसाहितà¥à¤¯ में कई चौंका देने वाली समानताà¤à¤ देखेंगे। (आप इसे) यहूदी साहितà¥à¤¯ में विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨ के साथ, फिलिसà¥à¤¤à¥€à¤¨à¥€ साहितà¥à¤¯ में दà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤°à¥à¤¶ आकांकà¥à¤·à¤¾ के साथ, अशà¥à¤µà¥‡à¤¤ साहितà¥à¤¯ में आठनसà¥à¤² à¤à¥‡à¤¦ के साथ, अरबी साहितà¥à¤¯ विशेषकर सीरिया में 1967 की अरब पराजय के बाद की मानसिकता के साथ, मिला कर देख सकते हैं।
आप यहूदा आमिखाई, महमूद दरवेश, इबà¥à¤¬à¤¾à¤° रबà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€, बेंजामिन मोलोइस जैसै अनेक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ कवियों को पढ़िà¤, यह वसà¥à¤¤à¥ सतà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितà¥à¤¯ में à¤à¤• नया अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है। इसे आप लाख चाहें à¤à¥à¤ ला नहीं सकते। कब तक à¤à¥à¤ लाà¤à¤à¤—े?
कशà¥à¤®à¥€à¤° के अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में हमेशा से ही कारगर नेतृतà¥à¤µ का संकट रहा है। à¤à¤¸à¥‡ में पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° ने इस समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के इतिहास में à¤à¤• नया यà¥à¤— आरंठकिया था। फिर à¤à¤• बड़े जन समरà¥à¤¥à¤¿à¤¤ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¤• विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ संगठन ने ले लिया। à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हà¥à¤†?
हर कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ की à¤à¥‚मि तैयार करती रहती है। इस में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त महतà¥à¤µà¤¾à¤•ांकà¥à¤·à¤¾à¤à¤, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ और अहं के अतिरिकà¥à¤¤ कà¥à¤› बाहरी हाथ à¤à¥€ सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ हो जाते हैं। वे तमाम शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¥€ सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ हो जाती हैं जो आप को अपना शतà¥à¤°à¥ मानने लगती हैं। पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° जब पहली बार टूटा (1993 में) तो उस में संघ के कारà¥à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾à¤“ं की à¤à¥‚मिका थी। उन की समठसे पनà¥à¤¨ कशà¥à¤®à¥€à¤° और जे.के.à¤à¤².à¤à¤«. में कोई अनà¥à¤¤à¤° नहीं था। इसलिठअगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र के नेतृतà¥à¤µ से आशंकित हो कर कà¥à¤› लोगों ने जो प.क. में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ थे, यह कर दिखाया। दूसरी बार 1996 में कà¥à¤› और साथियों ने कà¥à¤‚ठाओं, पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ तथा महतà¥à¤µà¤¾à¤•ांकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के चलते हम से विदा ली और अपनी अलग दà¥à¤•ान खोल ली। सांसà¥à¤•ृतिक और साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• चेतना संपनà¥à¤¨ अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥‡à¤–र के नेतृतà¥à¤µ में खालिस राजनीतिक à¤à¤œà¥‡à¤‚डा चलाना उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कारगर नहीं लगा। मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहूठतो साहितà¥à¤¯ राजनीति की मशाल होती है। मà¥à¤à¥‡ इस का उलट मंज़ूर नहीं था। जिस तरह का आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ हम चला रहे हैं, उस की अनिवारà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि वह आम जनता से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ और उस की दैननà¥à¤¦à¤¿à¤¨ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡, सांसà¥à¤•ृतिक आकांकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ और उन से अपने राजनैतिक मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ के लिठबल संचय करे।
मैं पारदरà¥à¤¶à¤¿à¤¤à¤¾, आधारितà¤à¥‚त संरचना और जवाबदेह संगठनातà¥à¤®à¤• ढ़ांचे में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखता हूà¤, इसलिठà¤à¥€ टूटा। जहाठतक à¤à¤•ीकरण की बात है, मैं ने à¤à¥€ अपनी ओर से तथा अपने साथियों की ओर से (अपने धड़े को) à¤à¤• साल तक à¤à¤‚ग किया, और बिना शरà¥à¤¤ किसी à¤à¥€ à¤à¤¾à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प और नेतृतà¥à¤µ के लिठसà¥à¤µà¤¯à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रखा। अà¤à¥€ तक à¤à¤•ीकरण नहीं हो पाया है, परनà¥à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कवि दीना नाथ नादिम के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में
मà¥à¤à¥‡ है आस कल की
कल पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ होगी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¥¤
आप की लिखी कहानी "मेरी ज़मीन" पर à¤à¤• फिलà¥à¤® शीन का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤†, जो ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं चली। इस फिलà¥à¤® ने आप की कहानी और आप के समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की कहानी के साथ कितना नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ किया?
शीन मेरी कहानी पर बनी, पर बॉलीवà¥à¤¡ की अब तक की सब से खराब फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है। à¤à¤• साहितà¥à¤¯à¤•ार के नाते अपनी कहानी पर फिलà¥à¤® बनने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में मेरे जो अनà¥à¤à¤µ हैं, वे पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦, अमृतलाल नागर, फणीशà¥à¤µà¤°à¤¨à¤¾à¤¥ रेणà¥, आदि से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ नहीं हैं। वासà¥à¤¤à¤µ में साहितà¥à¤¯ और फ़िलà¥à¤® का आतà¥à¤®à¥€à¤¯ संबनà¥à¤§ और संवाद आज तक बना ही नहीं। साहितà¥à¤¯ जहाठà¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¯à¤¤à¥à¤¤ à¤à¤•क है जहाठसाहितà¥à¤¯à¤•ार और उस का सृजन होता है, वहीं फिलà¥à¤® à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ समà¥à¤¦à¥à¤° है जहाठतरह तरह की कला विधाà¤à¤ आ कर जा मिलती हैं। à¤à¤• कà¥à¤¶à¤² अनà¥à¤à¤µà¥€ और दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤¸à¤‚पनà¥à¤¨ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• ही सफल रूप से इन सब का समावेश कर सकता है। फिलà¥à¤® माधà¥à¤¯à¤® ही निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• का है। हालाà¤à¤•ि मैं महेश à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ, अनà¥à¤ªà¤® खेर, नसीरà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ शाह की अपनी कहानी को ले कर उन की राय से बहà¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ था। महेश à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ का तो कहना था कि अगर अशोक पंडित मेरी कहानी को सही ढ़ंग से फिलà¥à¤®à¤¾ सके तो यह कान तक में जा सकती है। खैर छोड़िअ
कशà¥à¤®à¥€à¤° के विषय में हà¥à¤ˆ बैठकों आदि में आप का वासà¥à¤¤à¤¾ इस मसले से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ नेताओं से पड़ा है, और आप बता रहे थे कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के साथ à¤à¥€ आप का सीधा सामना हà¥à¤† है। उस के विषय में बताà¤à¤à¥¤
जहाठतक मà¥à¤¶à¤°à¥à¤°à¤« साहब की बात है, वे बहà¥à¤¤ ही होशियार और चालाक राजनेता और सैनà¥à¤¯ तानाशाह हैं, जो हर लिहाज़ से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नेतृतà¥à¤µ पर à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ते हैं। वे शानà¥à¤¤à¤¿ बातचीत की बात à¤à¥€ करते हैं, अपनी धरती को आतंकवादियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤² नहीं करने देने की बात à¤à¥€ करते हैं, और इस के विपरीत आतंकवादियों के पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ शिविर, मूलà¤à¥‚त संरचना बनाठरखने में à¤à¥€ अपनी à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। कशà¥à¤®à¥€à¤° के मामले में खà¥à¤²à¥à¤²à¤®à¤–à¥à¤²à¥à¤²à¤¾ दख़लअनà¥à¤¦à¤¾à¤œà¤¼à¥€ करते हैं और वज़ीरिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में अपने लोगों पर बम वरà¥à¤·à¤¾ पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करने पर इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ से डाà¤à¤Ÿ लगाते हैं, "India should mind its own business". उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विशà¥à¤µ बिरादरी में वरà¥à¤¦à¥€ में होने को बावजूद अपनी à¤à¤• पà¥à¤°à¤—तिशील और लचक वाली छवि गढ़ ली है, और self rule, demilitarization और joint control जैसे नठशगूफे छोड़ कर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ ही शराब को नई बोतलों में पेश किया है। मेरी आगरा समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ के दौरान पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के महाà¤à¥‹à¤œ में उन के साथ मà¥à¤ à¤à¥‡à¤¡à¤¼ हà¥à¤ˆ है। मैं ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कशà¥à¤®à¥€à¤° की विनाश लीला, कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों के निषà¥à¤•ासन और जीनोसाइड के लिठसीधे ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° ठहराया था और आस पास खड़े सà¤à¥€ दिगà¥à¤—ज नेता (वाजपेयी जी, आडवाणी, मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह जी, आदि) दंग रह गठथे। तब परवेज़ मà¥à¤¶à¤°à¥à¤°à¤« ने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा था, "कà¥à¤› तो करना होगा…, कà¥à¤› तो करना पड़ेगा à¤à¤ˆ…"।
