Category: वातायन
पलकों ने लौटाये सपने
वातायन में पà¥à¥‡à¤‚ विनोद शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ, पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ वरà¥à¤®à¤¨ और महावीर शरà¥à¤®à¤¾ की कवितायें।
डंडे का जोर
बचपन में गà¥à¤°à¥ जी के डंडे की मार खाने के डर से गणित का पहाड़ा याद करने वाले लोगों को डंडे की महतà¥à¤¤à¤¾ तब उतनी पता नहीं चली होगी, जितनी जिंदगी की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¹à¤¦ के दौरान अब पता चलती है। अचà¥à¤›à¥‡ अचà¥à¤›à¥‹à¤‚ की हवा निकालने में सकà¥à¤·à¤® होते हैं ये, उनको अपनी औक़ात और नानी तक याद दिला सकते हैं, चà¥à¤Ÿà¤•ी ले रहे हैं रवि रतलामी।
हलà¥à¤•ी फà¥à¤²à¥à¤•ी, सकारातà¥à¤®à¤• और मज़ेदार
टà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¤° के सह संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• बिज़ सà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ की लिखी “हू लेट द बà¥à¤²à¥‰à¤—à¥à¤¸ आउट” मज़ेदार किताब है, बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कà¥à¤› दिन बिता चà¥à¤•े नौसिखियों और निपà¥à¤£ चिटà¥à¤ ाकारों के लिये बेहद काम की। बà¥à¤²à¥‰à¤— पर आवक कैसे बà¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग से पैसा कैसे कमायें, बà¥à¤²à¥‰à¤— की वजह से नौकरी कैसे न गवायें जैसे कई काम के टिप हैं पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में। पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ देबाशीष दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समीकà¥à¤·à¤¾à¥¤
सईदन बी – à¤à¤¾à¤— 1
जब बड़े इंसानों ने धरà¥à¤® की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ की होगी तो शायद पावन उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ रहा होगा, मेरा कà¥à¤¨à¤¬à¤¾, à¤à¤• खà¥à¤¯à¤¾à¤² लोग, मेरा समूह साथ रहे तो रोजी रोटी अचà¥à¤›à¥€ कटेगी। फिर लोगों ने धरà¥à¤® से पà¥à¤¯à¤¾à¤° हटा कर सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ जोड़ दिया और परिदृशà¥à¤¯ बदल गया। सईदन की कथा पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• है पर हो सकता है आप वो दरà¥à¤¦ महसूस कर सकें जो लेखक ने किया।”
पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾: द अलà¥à¤•ेमिसà¥à¤Ÿ – आधà¥à¤¨à¤¿à¤• परीकथा
जिस किताब की 2 करोड़ से अधिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बिक चà¥à¤•ी हों व 55 à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ हो चà¥à¤•ा हो वह किसी à¤à¥€ साहितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ को ललचाà¤à¤—ी ही। बचपन में सà¥à¤¨à¥€ परीकथा के नये, सà¥à¤«à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ संसà¥à¤•रण सी है बà¥à¤°à¤¾à¤œà¥€à¤²à¥€ लेखक पाओलो कोà¤à¤²à¥‹ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• अलकेमिसà¥à¤Ÿ, कह रहे हैं समीकà¥à¤·à¤• रवि रतलामी। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ सà¥à¤µ. कमलेशà¥à¤µà¤° ने किया था।


