
ता, जो वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ है, दोहराई जा रही है रात और दिन में। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² उसके लिये à¤à¤• सीमा है जिसके बाद सब गैर और अनैतिक है। दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, बेलूर, काली माठका मंदिर, विकà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ मेमोरियल, ज़ू और मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम में इतिहास जीवित है। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² इतिहास के पृषà¥à¤ ों से गà¥à¥›à¤° रहा है। नीता इन जगहों की धूल में अपना इतिहास खोज रही है जो शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² से पहले बीत गया है, जहाठनीता अवà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ है।
अतीत के पतà¥à¤¥à¤° पर खà¥à¤¦à¥€ दो मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ – पà¥à¤°à¥à¤· और नारी – जो मिलते मिलते जड़ हो गये सदा सदा के लिये। बारिश से नहाई सड़क पर तेज़ी से फ़िसलती हà¥à¤ˆ अनगिनत गाड़ियाà¤, वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ चेहरों का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹, à¤à¤¿à¤à¤•ा हà¥à¤† अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾, बेशà¥à¤®à¤¾à¤° जलते हà¥à¤¯à¥‡ लटà¥à¤Ÿà¥à¤“ं की हà¤à¤¸à¥€, सब हलà¥à¤•ी फ़à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से गीले। और नीता, सड़क के धà¥à¤à¤§à¤²à¥‡ आईने में इनकी à¤à¤¾à¤—ती हà¥à¤ˆ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤›à¤¾à¤¯à¤¾ देखती है। यह सड़क जो समय के जंगल से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ आ रही है, अतीत के पहाड़ को काटती हà¥à¤ˆ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के समतल मैदान में।
वकà¥à¤¤ नकà¥à¤¶à¤¾ बदल देता है, फ़ंडामेनà¥à¤Ÿà¤²à¥à¤¸ हर हालत में जीवित रहते हैं, जो शाशà¥à¤µà¤¤ हैं – सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और काल सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और संसà¥à¤•ृति से बिलकà¥à¤² अछूते – à¤à¤• कà¥à¤à¤µà¤¾à¤°à¥€ लड़की की तरह। कà¥à¤› खà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚, वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और घटनाओं में वकà¥à¤¤ कैद हो जाता है। नीता आज अपने मन के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर किनà¥à¤¹à¥€ बिसरे हà¥à¤¯à¥‡ खà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ की दसà¥à¤¤à¤• सà¥à¤¨ रही है जो à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और अनेक घटनाओं को जगा गई है। अनेक घटनाà¤à¤ और अनेक खà¥à¤¯à¤¾à¤² जिसमें à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीवित है, ऊà¤à¤šà¥€ इमारतों को चूमने वाली किरणों की तरह और उस पर नृतà¥à¤¯ करती हà¥à¤ˆ हवा की तरह।
शहर जी रहा है, गीत से सà¥à¤ªà¤‚दित है, पल à¤à¤° का विशà¥à¤°à¤¾à¤® नहीं। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² गति को पकड़ रहा है। नीता पीछे छूट जाती है। वह मà¥à¥œ मà¥à¥œ कर गà¥à¥›à¤°à¥‡ वकà¥à¤¤ के पास रह जाती है। लाल पीले, हरे नीले रिबनों की तितलियाà¤, जीनà¥à¤¸, सà¥à¤•रà¥à¤Ÿ, शलवार, दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ और साड़ियों की इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤§à¤¨à¥à¤·à¥€ रंगिनियों की परेड, सागर और घटाओं को मिलाने वाला संगीत, à¤à¤°à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ बूà¤à¤¦à¥‹à¤‚ की सिमà¥à¥žà¤¨à¥€ और आतà¥à¤® विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का अनंत सागर जो उन दोनों पर लहरा रहा है। चीनी, ईरानी, इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ होटलों और रेसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤‚ओं में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ संसà¥à¤•ृतियों, लिबासों और à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का कॉकटेल, यह कलकतà¥à¤¤à¤¾ है, à¤à¤• कॉसà¥à¤®à¥‹à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤Ÿà¤¨ शहर, जहाठसंसà¥à¤•ृतियाठà¤à¤• दूसरे को छूती हैं, टकराती हैं और à¤à¤• दूसरे पर असर डालती हैं।
अब वे दोनों चौरंगी के सायादार फ़à¥à¤Ÿà¤ªà¤¾à¤¥ पर चल रहे हैं। नीता बेहद थक गई है। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² ताज़ा और चà¥à¤¸à¥à¤¤ हैं। उसका कहना है, “किसी शहर को देखने और समà¤à¤¨à¥‡ के लिये पैदल चलना आवशà¥à¤¯à¤• है कि आà¤à¤–ें थक जायें। टैकà¥à¤¸à¥€ से à¤à¤¾à¤—ते हà¥à¤¯à¥‡ शहर को न हम आà¤à¤–ों से पकड़ सकते हैं न मन से।”
नीता की नज़र शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² पर है। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² के घà¥à¤à¤˜à¤°à¤¾à¤²à¥‡ बालों में बारिश की बूनà¥à¤¦à¥‡à¤‚ मरकरी की उजली रौशनी में मोतियों सी चमक रही है। ससà¥à¤¤à¥‡ बैगों, कंघियों, फ़ाउनà¥à¤Ÿà¥‡à¤¨ पेनों और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में आने वाली à¤à¤¸à¥€ अनà¥à¤¯ छोटी चीज़ों के ढेर फ़à¥à¤Ÿà¤ªà¤¾à¤¥ के दोनों बगल लगे हैं। बड़े बड़े फ़ूलों के सà¥à¤•रà¥à¤Ÿ में à¤à¤• जानà¥à¤¡à¤¿à¤¸ सी पीली लड़की शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² को घेर रही है। उसके हाथ में फ़ाउनà¥à¤Ÿà¥‡à¤¨à¤ªà¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤¾ à¤à¤• थैला है। इस हà¥à¤œà¥‚म में कौन किसके साथ चल रहा है, समà¤à¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•िल है। या तो सब साथ हैं या सब अकेले। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² को उसने अकेला समà¤à¤¾ है। वह शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² के हाथ में à¤à¤• पेन थमा देती है। वह बहà¥à¤¤ धीरे धीरे कà¥à¤› अà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ और बांगला में कà¥à¤› कह रही है जो शायद पेनों की बात नहीं है। नीता कà¥à¤› आगे शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² के लिये ठहरी है। वह उस लड़की को समà¤à¤¨à¥‡ की कोशिश कर रही है। लिबास और à¤à¤¾à¤·à¤¾ से नहीं जाना जा सकता कि वह किस देश की है, चेहरा à¤à¥€ शà¥à¤¦à¥à¤§ मंगोल नहीं है। देश चाहे कोई à¤à¥€ हो पर à¤à¥‚ख है जो काल और देश को नहीं बाà¤à¤§à¤¤à¥€à¥¤ शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† नीता के पास लौट आता है।
“नीता, पेन बेचने वाली लड़à¥à¤•ी को देख रही हो न? पोशाक और बोलचाल से कितनी सà¤à¥à¤¯ लग रही है। मैंने बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से पिंड छà¥à¥œà¤¾à¤¯à¤¾ है। वह à¤à¤• गलत तरह की लड़की है”।
“आपने पेन खरीदा?”
“वह पेन कहाठबेच रही थी। उसका वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° पेनों का नहीं शरीर का है। वह चंद सिकà¥à¤•ों पर बिक सकती है किसी à¤à¥€ अदना चीज़ की तरह। वह मेरे या किसी के à¤à¥€ अकेलेपन को दूर कर सकती है, à¤à¤• रात के लिये ही सही।”
गà¥à¤°à¥ˆà¤¨à¥à¤¡ होटल आ गया था। वे दोनो†वहाठठहरे हैं। बड़ा सा डाईनिंग हॉल, सà¥à¤°à¥à¤– गà¥à¤²à¤—à¥à¤²à¤¾ गलीचा, पीतल के चंद गमलों में कैद बहार, हर मेज़ पर सर उठाये सफ़ेद नैपकिनों के बगूले। पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¥‹à¤‚ और चमà¥à¤®à¤šà¥‹à¤‚, काà¤à¤Ÿà¥‹à¤‚ और छà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की ऑरकेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ के बीच डूबे हà¥à¤¯à¥‡ नीता और शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² और यà¥à¤¨à¤¿à¥žà¥‰à¤°à¥à¤® में मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥ˆà¤¦ बओरे जो हर कà¥à¤·à¤£ हà¥à¤•à¥à¤® की तामीली को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ हैं।
नीता का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ खाने में कम है। उसकी निगाह हर मेज़ को छू रही है। à¤à¤• मेज़ अà¤à¥€ खाली है। वह उस लड़की का इंतज़ार कर रही है जिसको वह लगातार तीन दिनों से देख रही है, जिसके गालों पर सà¥à¤°à¥à¤– गà¥à¤²à¤¾à¤¬ की आà¤à¤¾ रहती है और जिसकी à¤à¤‚ठी हà¥à¤ˆ पिपनियों पर हà¤à¤¸à¥€ डोलती रहती है, जिसकी हर अदा अनमनी नज़रों को à¤à¥€ ठहरा लेती है और जिसके साथ कीमती सूट और बो में à¤à¤• सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ लड़का रहता है। शायद उनका à¤à¤¨à¥à¤—ेज़मेंट हो गया है, शायद कोरà¥à¤Ÿà¤¶à¤¿à¤ª का सà¥à¤Ÿà¥‡à¤œ हो। खाने में तलà¥à¤²à¥€à¤¨ शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² नीता को à¤à¤²à¤¾ लगता है बिलकà¥à¤² शिशॠकी तरह सरल और निशà¥à¤›à¤²à¥¤ वह उसे माठकी ममता से देखती है।
खाना समापà¥à¤¤ कर वे दोनों उठरहे हैं। वह लड़की आ रही है, रà¥à¤• रà¥à¤• कर चलती हवा की तरह। लड़का आज उसके साथ नहीं है। आज उसकी अदा में बिजली की चपलता नहीं है। चेहरे पर डूबती हà¥à¤ˆ शाम की खामोशी है और उजड़े हà¥à¤¯à¥‡ बाग की वीरानी। ठहरी हà¥à¤ˆ हवा की तरह वह कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो जाती है। नीता और शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² अपने कमरे में वापस आ जाते हैं। उस लड़की की उदासी नीता को छू गई है। उसे अजय की याद आती है और उस बंगालन लड़की की, जो अब आम रासà¥à¤¤à¥‡ की तरह है जिस पर जो चाहे गà¥à¥›à¤° जाये बेà¤à¤¿à¤à¤•। गà¥à¤°à¥ˆà¤¨à¥à¤¡ होटल, ये कमरा, नीता पर शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² नहीं अजय, दो साल पहले का कलकतà¥à¤¤à¤¾à¥¤ अतीत दà¥à¤¹à¤°à¤¾à¤¯à¤¾ जा रहा है वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में। अजय के साथ वह दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गई थी। अजय ने कहा था, “नीता, कलकतà¥à¤¤à¤¾ मैं कई बार आया हूà¤, दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° देखने की साध लेकर लौट जाता रहा हूà¤à¥¤ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° देखने की चाह जैसे यà¥à¤— यà¥à¤— से मेरे अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤®à¤¨ में उमड़ती रही है, आज शायद तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पà¥à¤£à¥à¤¯ से यह इचà¥à¤›à¤¾ पूरी हो सकी है।”
नीता पà¥à¤²à¤•ित थी। आज मन मोरनी की तरह नृतà¥à¤¯à¤®à¤—न था। अजय परमहंस के कमरे के सामने à¤à¤¾à¤µ मगà¥à¤¨ आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤à¥‹à¤° खड़े थे। नीता देख रही थी, पल à¤à¤° के सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ अजय को।
नीता को महसूस हà¥à¤†, पà¥à¤°à¥‡à¤®, सपने और अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ विराग से धà¥à¤²à¤¤à¥€ जा रही हैं, और अजय पतà¥à¤¥à¤° की मूरà¥à¤¤à¤¿ की तरह जड़ थे। सिरà¥à¥ž आà¤à¤–ों में गति थी, आà¤à¤–ें जो à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ सागर में तैर रही थीं। नीता को à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤†, अजय दूर बहà¥à¤¤ दूर चले गये हैं और वह बिलकà¥à¤² असहाय और अकेली रह गई है।
नीता ने दो à¤à¤• बार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤•ारा पर वे खà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ की घाटी में इस तरह खो गये थे जैसे बाहà¥à¤¯ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से संबंध के हर तार फ़à¥à¤¯à¥‚ज़ हो गये हों। à¤à¤• मà¥à¤—à¥à¤§ à¤à¤¾à¤µ उनकी आà¤à¤–ों में तैर रहा रहा था। नीता ने फ़िर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगà¤à¤— à¤à¤à¤à¥‹à¤¡ दिया तो उनà¥à¤¹à¥‡ चेतना हà¥à¤ˆà¥¤ चौंक कर बोले, “नीता मेरा तो जी चाहता है कि यहीं इस पवितà¥à¤° धरती पर, जिंदगी के शेष दिन गà¥à¥›à¤¾à¤° दूà¤à¥¤ कितनी मोहक और रमणीक जगह है, गंगा के पावन तीर पर दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, à¤à¤• पूरà¥à¤£ विकसित कमल की तरह और उस तीर पर चनà¥à¤¦à¤¨ की मीठी खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ की तरह बिखरा हà¥à¤† बेलूर मठ!”
नीता को कà¥à¤› अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लग रहा था। वह बेमन ही बारह शिवों के बीच à¤à¤• गà¥à¤°à¤¹ की तरह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करती रही और हर शिव में उसे à¤à¤• ही चेहरा नज़र आ रहा था, अजय का। वे दोनों कà¥à¤› देर गंगा तीर पर बैठे रहे। फ़ूल, सिंदूर, बेल पतà¥à¤°, धूप और चंदन के गंध से आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ वातावरण और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से नतमसà¥à¤¤à¤• अनगिनत पà¥à¤°à¥à¤· नारियाà¤à¥¤ अजय सोचता रहा, कà¥à¤¯à¤¾ था परमहंस में? जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनगिनत पà¥à¤°à¥à¤· नारियों के सर à¤à¥à¤•ा दिये अपने कदमों में। और नीता सोच रही थी, परमहंस की पतà¥à¤¨à¥€ शारदा देवी की बात जो अपने पति के सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ को खà¥à¤¶à¥€ खà¥à¤¶à¥€ à¤à¥‡à¤² गई। नीता अजय के साथ बेलूर और दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° में बिखरे छोटे बड़े मंदिरों में घूमती रही।
उस शाम जब नीता और अजय होटल वापस आये तो नीता बहà¥à¤¤ थक गई थी अपने मन से। उसे बराबर यही लगता रहा कि अजय अपने आप में खूब उतà¥à¤«à¥à¤²à¥à¤² है और नीता से उनका कोई लगाव नहीं है। नीता की उदासी अजय की पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ के वाटरपà¥à¤°à¥‚फ पर फिसल फिसल जा रही थी। वे कमल के पतà¥à¤¤à¥‡ की तरह अपà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ थे। कपड़ा बदलने से बिसà¥à¤¤à¤° पर आने तक की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं में वे बराबर रामकृषà¥à¤£ के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤œà¤¨ को गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ रहे ..”मन चल निज निकेतन”। नीता कटी हà¥à¤ˆ शाख की तरह बिसà¥à¤¤à¤°à¥‡ पर गिर गई। अजय ने नीता को बड़े पà¥à¤¯à¤¾à¤° से अपनी बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ में बाà¤à¤§ लिया।
“आज मैं बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ हूà¤à¥¤ जानती हो नीता, दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° में मैंने अपने लिये कà¥à¤¯à¤¾ माà¤à¤—ा है, कà¥à¤¯à¤¾ कामना की है?”
“सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की कामना की होगी”
“धत! तà¥à¤® बिलकà¥à¤² नहीं समठसकीं। मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ माà¤à¤—ा है। तà¥à¤® कहती हो न नीता, कि छिपकर कलकतà¥à¤¤à¤¾ आना, फिर पति पतà¥à¤¨à¥€ की हैसियत से होटल में ठहरना। तरह तरह के बहाने और à¤à¥‚ठी बातें अंतरमन को मानà¥à¤¯ नहीं होतीं। पर à¤à¤• बड़े सतà¥à¤¯ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये अनगिनत à¤à¥‚ठकà¥à¤·à¤®à¥à¤¯ हैं। मैंने तो यही जाना है। कà¥à¤¯à¤¾ यह सच नहीं कि हम दोनों à¤à¤• दूसरे को संसार की किसी à¤à¥€ चीज़ से बॠकर पà¥à¤¯à¤¾à¤° करते हैं? नीता, तà¥à¤®à¤¨à¥‡ à¤à¥€ कोई वर शिव से माà¤à¤—ा? मैं तो à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤¾à¤µ विहà¥à¤µà¤² हो गया था कि à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ के लिये सबकà¥à¤› à¤à¥‚ल गया। सच कहता हूà¤, तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ à¤à¥‚ल गया था।”
“जानती हूà¤à¥¤ आपका वह à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ मेरे लिये अनगिनत सदियाठथीं जिनमें मैं असहाय, अकेली à¤à¤Ÿà¤• रही थी। आप ही मेरे शिव हैं। मेरा अंतरà¥à¤®à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ आपसे छिपा है।”
अजय नीता की पà¥à¤¯à¤¾à¤° à¤à¤°à¥€ बातों को सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहे अमर संगीत की तरह और देखते रहे मà¥à¤—à¥à¤§ होकर ताजमहल की तरह।
“लेकिन नीता, मैंने जान लिया है कि मेरे मन के किसी कोने में सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ छिपा बैठा है जो à¤à¤• दिन मेरे à¤à¥‹à¤—ी और लोà¤à¥€ मन को जीत सकेगा। à¤à¤• ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर à¤à¥‹à¤— और योग के बीच की विà¤à¤¾à¤œà¤• रेखा मिट जाती है और दोनों à¤à¤•ाकार हो जाते हैं समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ में। कोणारà¥à¤• के मंदिर पर पà¥à¤°à¥à¤· नारी के समà¥à¤à¥‹à¤— के अनगिनत आसन धरà¥à¤® की नज़र में अशà¥à¤²à¥€à¤² नहीं हैं। धरà¥à¤® की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर नैतिक अनैतिक के à¤à¥‡à¤¦ का अंत हो जाता है। अंतर सिरà¥à¤« देखने का है।
“तà¥à¤® पर मà¥à¤à¥‡ अगाध विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है नीता। à¤à¤• राज़ जो मेरे सीने में नज़रबंद है उसे तà¥à¤® तक पहà¥à¤à¤šà¤¾ देना चाहता हूà¤à¥¤ मà¥à¤à¥‡ à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ है कि तà¥à¤® मà¥à¤à¥‡ हर रूप, हर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में इसी तरह पà¥à¤¯à¤¾à¤° करती रहोगी।”
और अजय अपने अतीत के बखिया को उधेड़ने लगे…..
“तब मैं कोई अठारह उनà¥à¤¨à¥€à¤¸ साल का रहा होउà¤à¤—ा। पà¥à¤¾à¤ˆ के सिलसिले में मैं à¤à¤• बंगाली परिवार में पेईंग गेसà¥à¤Ÿ होकर रहने लगा। सारा परिवार मà¥à¤ पर खास तौर से मेहरबान था। मकान मालकिन की कई लड़कियाठथीं। सà¤à¥€ ने लवमैरिज किया था। à¤à¤• मà¤à¤à¤²à¥€ लड़की को छोड़कर जो पता नहीं अब तक कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अविवाहित थी। शायद उसे कोई उपयà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं मिला था। वह à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤‚त à¤à¤¾à¤µà¥à¤• किसà¥à¤® की, चà¥à¤ª सी लड़की थी जिसका दिल शीशे की तरह नाज़à¥à¤• और कमज़ोर था। उसकी बड़ी बड़ी आà¤à¤–ों में à¤à¤• अजीब सी उदासी थिरकती थी। उसके समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में दो आà¤à¤–ें ही महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ थीं, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ सबसे अधिक आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया। धीरे धीरे वह मà¥à¤à¤¸à¥‡ खà¥à¤²à¤¤à¥€ गई और मैंने उसके तन मन के सारे बà¤à¤§à¤¨ खोल दिये। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी समसà¥à¤¤ चेतना से छू कर कहता हूठकि नीता, न तब मà¥à¤à¥‡ उससे पà¥à¤¯à¤¾à¤° था न अब। महज à¤à¤• उतà¥à¤¸à¥à¤•ता थी आविषà¥à¤•ार की। पता नहीं उसने किस à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ पर अपना सब कà¥à¤› लà¥à¤Ÿ जाने दिया था। शायद वह उस बà¤à¤§à¤¨ का इंतज़ार कर रही थी जिसमें मैं बà¤à¤§ पाता।”
“और à¤à¤• दिन उसने बतलाया कि वह माठबनने वाली है। मैं घबरा गया। दरअसल अंजाम मैंने सोचा ही न था। उसे मैंने किसी डॉकà¥à¤Ÿà¤° से सलाह लेने की बात समà¤à¤¾à¤ˆ पर वह उसके लिये à¤à¤•दम राजी न थी। पूरी रात को वह आà¤à¤¸à¥à¤“ं से à¤à¤¿à¤—ोती रही। वह जो चाहती थी उसके लिये मेरे मन में हिमà¥à¤®à¤¤ न थी। बात उसके परिवार पर खà¥à¤² गई। उसके पिता डरा धमका कर मà¥à¤à¥‡ शादी के लिये बाधà¥à¤¯ करना चाहते थे। पर उस आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ ने सबको चà¥à¤ª करा दिया। मैंने उन लोगों का घर छोड़ दिया। कà¥à¤› दिनों के बाद मà¥à¤à¥‡ मालूम हà¥à¤† कि उसके पिता ने उसको à¤à¥€ घर से निकाल दिया है। अब वह कलकतà¥à¤¤à¥‡ के टेलीफोन à¤à¤•à¥à¤¸à¤šà¥‡à¤‚ज़ में काम करती है और अपना तथा अपने बचà¥à¤šà¥‡ की परवरिश करती है। मà¥à¤à¥‡ उससे सहानà¥à¤à¥‚ति थी। मैं अपनी à¤à¥‚ल महसूस करता था। इसलिये कई बार मैंने रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पैसों से मदद करनी चाही थी पर हर बार उसने मनीऑरà¥à¤¡à¤° लौटा दिया। कà¥à¤› दिन पहले सà¥à¤¨à¤¾ अब उसने इज़à¥à¥›à¤¤ की नौकरी छोड़ दी है और किसी न किसी मालदार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के साथ घूमा करती है। अब मेरे मन में उसके लिये घृणा के सिवा कà¥à¤› नहीं है, सिरà¥à¤« उस लड़के की बात सोचता हूà¤à¥¤ उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤• अजब खिंचाव का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ मà¥à¤à¥‡ होता है। वह जो किसी को अपना पिता नहीं पà¥à¤•ार सकता, करीब दस साल का होगा। उसे देखने की इचà¥à¤›à¤¾ कà¤à¥€ कà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¬à¤² हो उठती है पर मैं उस इचà¥à¤›à¤¾ को कà¥à¤šà¤² देता हूà¤à¥¤”
नीता अजय की बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ के घेरे से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो गई। उसे à¤à¤¸à¤¾ लगा था कि उस घेरे में उसका दम घà¥à¤Ÿ जायेगा। वह ठीक समय पर सà¤à¤à¤² नहीं गई होती तो उसके इरà¥à¤¦à¤—िरà¥à¤¦ पड़ी बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ के नाग उसे डà¤à¤¸ लेते और वह उस ज़हर में तड़पती रहती सारा जीवन। सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की बात, रामकृषà¥à¤£ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होने की बात, सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ सपने और अनगिनत वायदे सब हवा महल की तरह विलीन हो गये। उसे लगा कि अजय के चेहरे पर à¤à¤• नकाब था जो उतर गया। अजय जो नीता को असाधारण लगते थे और जिनको वह पà¥à¤°à¥‡à¤® से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और इज़à¥à¥›à¤¤ करती थी ..अब नीता की नज़र में किसी à¤à¥€ मामूली कमज़ोर पà¥à¤°à¥à¤· की तरह थे जो वासना की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में अपने सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त, अपने आदरà¥à¤¶ होम कर देता है।
सारी रात नीता तनी रही, अजय उसे à¤à¥à¤•ाते रहे ..पर नीता थी कि टूट सकती थी, à¤à¥à¤• नहीं सकती थी।
“नीता कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤® मà¥à¤à¥‡ मेरे दोषों के साथ सà¥à¤µà¥€à¤•ार नहीं कर सकतीं? पà¥à¤°à¥‡à¤® जीवन में à¤à¤• बार किया जाता है और वह मैंने तà¥à¤®à¤¸à¥‡ किया है, विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करो। वह लड़की तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ मिले तो पूछना कि कà¥à¤¯à¤¾ मैंने उसे कà¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤® का आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया था? धोखा मैंने उसे दिया नहीं और न मैंने उससे कोई वायदा ही किया।”
नीता खामोश थी। उसे लग रहा था वो नीता नहीं है, बंगालन लड़की है और ये सारी बातें अजय उससे ही कह रहा हो। उसे अजय से कà¥à¤› कहना नहीं था।
“नीता कà¥à¤¯à¤¾ मेरे सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का वकà¥à¤¤ आ गया है?”
नीता ने सोचा ये सारी बातें न जाने कितनी बार, कितनों के सामने की गई होंगी और आगे कही जायेंगी। दूसरी सà¥à¤¬à¤¹ वह कलकतà¥à¤¤à¤¾ से अकेली ही लौट आई थी।
दो साल बाद फिर कलकतà¥à¤¤à¤¾ आई है शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² के साथ। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² पहली बार आया है और नीता जो à¤à¤• बार कलकतà¥à¤¤à¤¾ देख चà¥à¤•ी है उस कलकतà¥à¤¤à¤¾ को à¤à¥‚ल जाना चाहती है।
खिड़की के शीशे पर बूनà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का नृतà¥à¤¯ खतà¥à¤® हो चà¥à¤•ा है। घटायें जो आखिरी बूनà¥à¤¦ तक बरस चà¥à¤•ी हैं…अब खामोश हैं। शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² के हाथ में सिगरेट है। नीता जानती है आखिरी कश के बाद शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² कà¥à¤› कहेगा। और शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² खà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ के घाटी में à¤à¤Ÿà¤•ती नीता को छेड़ता नहीं। वह धैरà¥à¤¯ से इंतज़ार करता है।
“नीता तà¥à¤® कà¤à¥€ कà¤à¥€ मूडी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो जाती हो? कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कलकतà¥à¤¤à¤¾ आकरà¥à¤·à¤• नहीं लगा?”
“हाठशà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤²”, और नीता शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² की बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ के घेरे में समा गई। इन बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ के घेरे में उसे कितनी शांति मिलती है। अब उसे कà¥à¤› सोचना नहीं है। वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ को वह सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ नहीं करेगी। आज उसके सामने शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² है जो उसका वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ है …शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² जो उसके लिये à¤à¤• सीमा है जिसके आगे सब गैर और अनैतिक।
“नीता, कल हम कलकतà¥à¤¤à¤¾ छोड़ देंगे। मैं जानता हूठकलकतà¥à¤¤à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लगा। हम कहीं और चलेंगे।” और पà¥à¤¯à¤¾à¤° से वह नीता को थपथपाता रहा।
आà¤à¤§à¥€ की तरह à¤à¤• खà¥à¤¯à¤¾à¤² नीता के मन में आता है और उड़ जाता है कि अजय की मंजिल कहीं वही तो न थी। शायद अजय अब तक à¤à¤Ÿà¤• रहा हो ..à¤à¤Ÿà¤•ता रहेगा ज़िनà¥à¤¦à¤—ी à¤à¤°?