Author: निरंतर पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा दल
किस में कितना है दम
दिखाये चितà¥à¤° और दिठगठशीरà¥à¤·à¤• को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से देखिठऔर रच डालिठà¤à¤• छोटी सी कविता। कविता जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बड़ी न हो तो अचà¥à¤›à¤¾, चार लाईना हो तो उतà¥à¤¤à¤®, हाइकू हो तो कà¥à¤¯à¤¾ कहनें!
पलकों ने लौटाये सपने
वातायन में पà¥à¥‡à¤‚ विनोद शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ, पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ वरà¥à¤®à¤¨ और महावीर शरà¥à¤®à¤¾ की कवितायें।
तूतू मैंमैं
लिखो कविता, जीतो इनाम! à¤à¤• चितà¥à¤° जिस पर आप अपनी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ परख सकते हैं और जीत सकते हैं रेबेका बà¥à¤²à¤¡ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• “द वेबलॉग हैनà¥à¤¡à¤¬à¥à¤•” की à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¥¤ à¤à¤¾à¤— लीजिये समसà¥à¤¯à¤¾ पूरà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता में।
वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ किसी महानगरीय संसà¥à¤•ृति जैसी है
कà¥à¤¯à¤¾ बातें होती हैं जब वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के मà¥à¤¤à¤¾à¤²à¥à¤²à¤¿à¤• अंतरà¥à¤œà¤¾à¤² पर सेंकड़ों बार मिले दो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पहली दफ़ा à¤à¤• दूसरे से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त रूप से रूबरू होते हैं। मारà¥à¤• घोष और कारà¥à¤¥à¤¿à¤• शरà¥à¤®à¤¾ जब लास वेगस में मिले तो इस मà¥à¤²à¤¾à¤•ात में वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ के दोनों सिपाहियों ने इस बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग तंतà¥à¤°à¤¾à¤‚श के समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ और इस के साथ बिताये दिनों की यादें ताज़ा की।
जून 2005 का कचà¥à¤šà¤¾ चिटà¥à¤ ा
जून 2005 के कचà¥à¤šà¤¾ चिटà¥à¤ ा सà¥à¤¤à¤‚ठमें मिलिये निटà¥à¤ ला चिंतन के लेखक तरà¥à¤£ जोशी और नौ दौ गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ के लेखक आदि चिटà¥à¤ ाकार आलोक कà¥à¤®à¤¾à¤° से।
