ये कशà¥à¤®à¥€à¤° मà¥à¤à¥‡ दे दे ठाकà¥à¤°

मà¥à¤¶à¤°à¥à¤°à¤« साहब कहना यूठचाहते हैं, “हम ने 1948 में कशà¥à¤®à¥€à¤° को हथियाना चाहा, पर वह बेवकूफी à¤à¤°à¤¾ कदम निकला। 1965 और 1999 में फिर कोशिश की। फिर “नैतिक और राजनैतिक मदद” कह कर आतंकियों को चोरी छà¥à¤ªà¥‡ घà¥à¤¸à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की। हमारे बनाठआतंकियों ने ढेर सारे कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कतà¥à¤² किया और हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को घाटी से निकाल बाहर किया। यह तरकीब à¤à¥€ नाकाम रही। तो अब यह रहा मेरा सनà¥à¤¤ रà¥à¤ªà¥€ अगला अवतार। अब हाथ जोड़ता हूà¤, कà¥à¤› तो दरियादिली दिखाओ और कशà¥à¤®à¥€à¤° हमें दे दो।”
“पर हमें बदले में कà¥à¤› करने को न कहो। हम पहले कह चà¥à¤•े हैं कि हम ढीठहैं। मैं ने अà¤à¥€ अपने जालसà¥à¤¥à¤² पर बता दिया कि तà¥à¤® लोग हमारे कटà¥à¤Ÿà¤° दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ हो। हम ने कà¥à¤› à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संगीतजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के वीज़ा à¤à¥€ ठà¥à¤•रा दिठऔर à¤à¤¾à¤°à¤¤ को MFN status देने से à¤à¥€ मना कर दिया। पर फिर à¤à¥€ हमें कशà¥à¤®à¥€à¤° दे दो।”
“मेरा देश बदहाली में है। किसी अनजाने खतरे के चलते, कराची में अमरीकी दूतावास बनà¥à¤¦ पड़ा है। लाहौर और कराची हवाई अडà¥à¤¡à¥‡ à¤à¥€ हाई अलरà¥à¤Ÿ पर चल रहे हैं। बलूचिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ हम से लोग बग़ावत पर आमादा है। लगà¤à¤— 50,000 PPP कारà¥à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ जेलों में हैं। पर उस सब को छोड़ो, अब मैं यहाठà¤à¤¾à¤°à¤¤ में हूठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मà¥à¤à¥‡ मेरा शानà¥à¤¤à¤¿ कपोत चाहिà¤, इसलिठकृपया हमें कशà¥à¤®à¥€à¤° दे दो।”
कमà¥à¤¬à¤–à¥à¤¤ पाइपलाइन
कहानी कà¥à¤› यूठहै। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को अपने देश से गà¥à¥›à¤°à¤¤à¥€ गैस पाइपलाइन की इजाज़त देने से टà¥à¤°à¤¾à¤‚ज़िट फीस के ज़रिठअचà¥à¤›à¥€ खासी दौलत मिलती है, माना जाये कि दसियों करोड़ डॉलर की। तो तरà¥à¤• यह दिया जाता है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¤—ड़े की सूरत में à¤à¥€ पाइपलाइन को हानि नहीं पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤à¤—ा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि उसकी आमदनी बनà¥à¤¦ हो जाà¤à¤—ी। पर इस दलील में दम नहीं है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस बात का हिसाब तो लगाया ही नहीं जा रहा कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को दूसरी ओर से à¤à¥€ लाठहो सकता है — à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤¾à¤°à¥€ नà¥à¤•सान कर के।
मान लीजिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में à¤à¤—ड़ा होता है — कशà¥à¤®à¥€à¤° समसà¥à¤¯à¤¾ को ले कर, या किसी नदी के पानी के विवाद को ले कर। अब बातचीत की मेज़ पर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ से बड़े आराम से कहते हैं, बिना लिखा-पढ़ी के, “बनà¥à¤¦à¥‹, संà¤à¤² जाओ, वरना हम नामà¥à¤°à¤¾à¤¦ पाइपलाइन को सवेरे पाà¤à¤š बजे उड़ा देंगे।” बेवकूफ हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ कहेंगे, “ना ना, तà¥à¤® à¤à¤¸à¤¾ कैसे करोगे? à¤à¤¸à¤¾ करोगे तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ दस करोड़ डॉलर गठपानी में।”
“अचà¥à¤›à¤¾ जी?” पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ ताना मारेंगे। “और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ कितना नà¥à¤•सान होगा, उलà¥à¤²à¥‚ के पटà¥à¤ ों? चार सौ करोड़ की तो गई पाइपलाइन, हज़ार करोड़ का गया औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ जो आयातित à¤à¤²à¤à¤¨à¤œà¥€ के बूते पर खड़ा किया है तà¥à¤® लोगों ने। नाकारों, इसे अपनी काफिर पाईपों में ड़ालो और बैठकर बीड़ी पियो।”
à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤¦à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¾
आने वाले सà¥à¤…वसरों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने वाली शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कौन सी हैं? कà¥à¤› नाम लिठजाà¤à¤ तो — ससà¥à¤¤à¥€, लगà¤à¤— मà¥à¤«à¥à¤¤ बैंडविडà¥à¤¥ का यà¥à¤—, इंटरनेट का पà¥à¤¨à¤°à¤¾à¤—मन, जैवतकनीक और सूचना तकनीक के मà¥à¤–à¥à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ता चालक होने के यà¥à¤— का अनà¥à¤¤à¥¤
पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨
सरà¥à¤« की ‘दो बकेट पानी रोज़ाना है बचाना’ विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ और लाइफबॉय का विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ जिस में बचà¥à¤šà¥‡ आस-पड़ोस की सफाई करते हैं, साबà¥à¤¨ और डिरà¥à¤Ÿà¤œà¥‡à¤‚ट के परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤—त विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ से हट कर है। à¤à¤• तरह से कहा जा सकता है कि ये सामाजिक रूप से “पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक” है। यह विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ लोगों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¥€ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर रहे हैं, और à¤à¤• सकारातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ छोड़ रहे हैं। à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ, जिससे आखिरकार बिकà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ बढ़ाना चाहिये। पर शायद असर जलà¥à¤¦ न हो। जिसका अरà¥à¤¥ ये कि सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ जलà¥à¤¦ ही फिर से ‘सफेदी की à¤à¤¨à¤•ार’ जैसे विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ की बन जायेगी।
यादें याद आती हैं
ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° यादें गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के मौसम की हैं, जब बस गरà¥à¤®à¥€ होती थी। कà¤à¥€ à¤à¥€ असहनीय गरà¥à¤®à¥€ नहीं। गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से याद आती है पेडों की छाà¤à¤µ की, दोपहर की नींदों की, कà¥à¤²à¥à¤«à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की, लमà¥à¤¬à¥€ सैरों की, लमà¥à¤¬à¥‡ उजले दिनों की और लाखों जà¥à¤—नà¥à¤“ं से à¤à¤°à¥€ उन रातों की जब मैं माठकी गोद में सिर रख कर तारे गिना करती थी। जब उन की कहानियाठसà¥à¤¨à¤¾ करती थी, मोहित सी हो कर।
पर जाड़ों की तो बात ही और थी… धà¥à¤¨à¥à¤§ à¤à¤°à¥‡, छोटे छोटे ऊनी दसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡, गरà¥à¤® अलाव और बहà¥à¤¤ सारी कोलà¥à¤¡ कà¥à¤°à¥€à¤®à¥¤ और फिर नानी के घर का वह बहà¥à¤¤ बड़ा जैतून का पेड़। जाड़े के मौसम में फल खाने की मनाही होती थी, पर मेरी सब से पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ यादें उस पेड़ की ओर दौड़ लगाने की ही हैं, चेहरे पर बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ हवा के थपेड़े खाते हà¥à¤à¥¤ वे खटà¥à¤Ÿà¥‡ फल खा कर अपना गला खराब कर लेने की। मैं पेड़ के नीचे हाà¤à¤«à¤¤à¥€ थी, दौड़ लगाने से चेहरा लाल होता था, और मेरा फà¥à¤«à¥‡à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¤• छोटी, à¤à¥‚री डंडी निकाल कर उसे जलाता था। ‘फॉरेन’ से आठरिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का तोहफा। और मेरा पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ वह आधी सिगार सी चीज़ पी कर मà¥à¤à¥‡ गà¥à¤° सिखाता था कि धà¥à¤à¤ की बू छà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¥‡ के लिठकà¥à¤¯à¤¾ खाना चाहिà¤à¥¤
ज़रा सा कठिन है, नया लिखना
रमन बी ने शोà¤à¤¾ डे की किताब का रोचक समीकà¥à¤·à¤¾à¤¨à¥à¤®à¤¾ विवरण दिया। जैसे किताब का सार ही निचोड़ दिया।- लाइलाज आशावादी रमन कौल का संदेश है:
“à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की योजना à¤à¤¸à¥€ बनाओ जैसे सौ साल जीना हो, काम à¤à¤¸à¥‡ करो जैसे कल मरना हो।” चलते चलते यह बता दूठकि मेरे लिठआशा के बिना बिलà¥à¤•à¥à¤² जीवन नहीं है, चाहे लड़े, चाहे मरें, आशा के साथ अगà¥à¤¨à¤¿ के सात फेरे जो लिठहैं।
- सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने बताया दिशा वो जिधर चल पड़ो। हेगेल के डायलेकà¥à¤Ÿ के अलावा à¤à¤• खासियत इस पोसà¥à¤Ÿ की थी कि इसमें कमेंट सीधे हिंदी में किये गये। लगता है सजाने संवारने के लिये सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने इसे हटा लिया बाद में। हिंदी में लिखने के बारे में आलोक के लेख पर चौपाल में सिरà¥à¤« आलोक-सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ संवाद देखकर थोड़ा अचरज हà¥à¤†à¥¤ आशा ही जीवन के बजाय सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ मानते हैं –पà¥à¤°à¤ªà¤‚च ही जीवन है। हिंदी बà¥à¤²à¤¾à¤—र से सूचना अपेकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के बारे में कह रहे हैं सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤
- मà¥à¤¨à¥€à¤¶ के कविता सागर में कà¥à¤› और नायाब मोती निकले।
- हिंदी के दिन कब बहà¥à¤°à¥‡à¤‚गे पूछते हà¥à¤¯à¥‡ रवि रतलामी आशा ही जीवन है लिखते हà¥à¤¯à¥‡ बताते हैं अपना किसà¥à¤¸à¤¾ जिसे सà¥à¤¨à¤•र आशावाद बढ़ जाता है। इंटरनेटजालसाजी के बारे में बताया विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से। हिंदी फानà¥à¤Ÿ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सैर, जानकारी से à¤à¤°à¥€ है।
- जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ में लेखों की विविधता बढ़ती जा रही है। खड़कपà¥à¤° आई.आई.टी के लोगों ने जूट की सड़कें विकसित की हैं जो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤•ूल हैं तथा ससà¥à¤¤à¥€ हैं। इसके पहले शूनà¥à¤¯ की महतà¥à¤¤à¤¾ तथा पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिये परिवार नियोजन पर आये।
- सूचना कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दौर में पतà¥à¤° नदारद होते जा रहे हैं । विजय ठाकà¥à¤° इसके बारे में पड़ताल करते हैं। यह à¤à¥€ कि सूचना कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के कà¥à¤¯à¤¾ नकारातà¥à¤®à¤• पकà¥à¤· हैं।
- हाइकू की बहती गंगा में देवाशीष à¤à¥€ डà¥à¤¬à¤•ी लगाने से नहीं चूके।
- à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लिपियों को देवानागरी में कैसे बदल बदल सकते हैं यह आलोक बताते हैं गिरगिट की बात करते हà¥à¤¯à¥‡à¥¤
- अमेरिका की खà¥à¤¶à¥€ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ की खà¥à¤¶à¥€ खोजने वाले अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦ को आशा है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का सरà¥à¤š इंजन जलà¥à¤¦ ही आयेगा।
अमेरिका की खà¥à¤¶à¥€ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ की खà¥à¤¶à¥€ खोजने वाले अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦ को आशा है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का सरà¥à¤š इंजन जलà¥à¤¦ ही आयेगा।
- अतà¥à¤² अरोरा ने बकरमंडी से नई कहानी को टेमà¥à¤ªà¥‹ पर बिठा दिया है। टेमà¥à¤ªà¥‹à¤µà¤¾à¤²à¤¾ कà¥à¤› नखरे कर रहा है। देखो कौन इसको आगे ले जाता है?
- विजय ठाकà¥à¤° के सà¥à¤•ूल के बचà¥à¤šà¥‡ दिन पर दिन समà¤à¤¦à¤¾à¤° होते जा रहे हैं। असल में बà¥à¤²à¤¾à¤— शायद यही लिख रहे हैं।
- तीन पीढ़ियों के सहित 100वां जनà¥à¤®-दिवस मना रही महिला से मिलवाते हैं महावीर शरà¥à¤®à¤¾à¥¤ इसके पहले वे लंदन में वैसाखी उतà¥à¤¸à¤µ के बारे में बताते हैं।
दà¥à¤† मे तेरी असर हो कैसे
सिरà¥à¥ž फूलों का शहर हो कैसे
यह बात पूछते-पूछते मानोशी फà¥à¤Ÿà¤ªà¤¾à¤¥ पर पहà¥à¤‚च जाती हैं तथा उनके आराम से सो जाने के बारे में लिखती हैं।
- सरदार, जो दारॠके पैसे बेहिचक मांगता है, की साफगोई से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो गये जीतेनà¥à¤¦à¥à¤°à¥¤ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ लेख à¤à¥€ सहेज के रखे।
- रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की बारे में रति जी बताती हैं:-
रिशà¥à¤¤à¥‡
à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ होते हैं
चिनगारी बन
सà¥à¤²à¤—ते रहतें हैं जो
जिंदगी à¤à¤°
- आउटसोरà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° तांतà¥à¤°à¤¿à¤•ों -ओà¤à¤¾à¤“ं तक हो चà¥à¤•ा है बताते हैं अतà¥à¤²à¥¤ अमेरिकी जीवन के अनà¥à¤à¤µ से रूबरू कराते हà¥à¤¯à¥‡ बता रहे हैं कि कैसे वहां गाड़ी ‘टोटल’ होती है।
- शंख सीपी रेत पानी में कमलेश à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ फिर-फिर अपनी जमी-जमी जमायी कवितायें पढ़ा रहे हैं:-
कौन मानेगा
सबसे कठिन है
सरल होना.
फूल सी पली
ससà¥à¤°à¤¾à¤² में बहू
फूस सी जली
लिखने का मन होता है:-
कौन मानेगा
ज़रा सा कठिन है
नया लिखना।
- पंकज मिले गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में फिर कहते हैं – पूछो न कैसे रैन बिताई?
- हरीराम बता रहे हैं हिंदी में बोलकर लिखाने की तकनीक के बारे में।
- डा.जगदीश वà¥à¤¯à¥‹à¤® आवाहन करते हैं:-
बहते जल के साथ न बह
कोशिश करके मन की कह
कà¥à¤› तो खतरे होंगे ही
चाहे जहाठकहीं à¤à¥€ रह।
- मà¥à¤‚गेरीलाल के हसीन सपनों से आप परिचित होंगे। मà¥à¤‚गेरीलाल की कहानी सà¥à¤¨à¤¾ रहे हैं तरà¥à¤£à¥¤ जीवन-आशा पर à¤à¥€ हाथ साफ किया गया।
- फà¥à¤°à¤¸à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ ने कानपà¥à¤° में हà¥à¤¯à¥‡ कवि समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ के माधà¥à¤¯à¤® से बताया कि कविता के पारखी अà¤à¥€ à¤à¥€ मौजूद हैं। जीवन में आशा ही सब कà¥à¤› नहीं नहीं है यह बताते हैं। इसके पहले कविताओं तथा हायकू पर à¤à¥€ हाथ आजमाये।
