ऐ इंसानों, ओस न चाटो!
लेखकः निरंतर पत्रिका दल | August 9th, 2006
सीखो बेखौफ़ साँसों का कर्ज़ चुकाना
मुबारक हो सबको ये मंजर सुहाना पर संभलिए हवा कुछ अलग बह रही है गुटबाज़ी ने किए देश के कई हिस्से देश की साख पल-पल घट रही है जो न जानें देश के लिये कुछ लुटाना उठो, गफ़लत से जागो, टूटो बन कर कहर बेखौफ़ साँसों का कर्ज़ जब तुम सीखो चुकाना – रत्ना सोनी |
ऐ इंसानों, ओस न चाटो!ऐ इंसानों, ओस न चाटो! आंधी के झूले पर झूलो! कुरबानी करने को झूमो! अपने हाथों पर्वत काटो! पथ की नदियां खींच निकालो! रोटी तुमको राम न देगा! जो रोटी का युद्ध करेगा! – गजानन माधव मुक्तिबोध |
ओजस्वी कविता के लिए रत्ना सोनी जी को हार्दिक धन्यवाद. आज़ादी की सालगिरह पर यह कविता प्रेरणास्पद है.
मुक्तिबोध की यह रचना दोबारा पढ़ी.. मुक्तिबोध सदा प्रासंगिक रहेंगे. संपादक को धन्यवाद
”रोटी तुमको राम न देगा!वेद तुम्हारा काम न देगा!
जो रोटी का युद्ध करेगा!वह रोटी को आप वरेगा!”