सीखो बेखौफ़ साà¤à¤¸à¥‹à¤‚ का करà¥à¤œà¤¼ चà¥à¤•ाना
मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• हो सबको ये मंजर सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾
शान से ये परचम हवा में फहराना।
पर संà¤à¤²à¤¿à¤ हवा कà¥à¤› अलग बह रही है
सरसराते हà¥à¤ हमसे कà¥à¤› यूं कह रही है
घिसने लगा है परचम का ताना-बाना
कई सà¥à¤°à¥‹à¤‚ में बंटा है आज कौमी तराना।
गà¥à¤Ÿà¤¬à¤¾à¤œà¤¼à¥€ ने किठदेश के कई हिसà¥à¤¸à¥‡
सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ ईमानदारी के बचे सिरà¥à¤« किसà¥à¤¸à¥‡
सैंकड़ों सेनानियों के सपने है टूटे
निज देश को अपने देशवासी ही लूटें।
देश की साख पल-पल घट रही है
गली-कूचों में मगर मिठाईयां रही हैं
ये मिठाइयां ही देश को है मंहगी पड़ी
इनकी रिशà¥à¤µà¤¤ से ही तो जड़ें तक सड़ी।
जो न जानें देश के लिये कà¥à¤› लà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¤¾
वही कहते ये मंज़र है कितना सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾
बस यही हवा हर ओर बह रही है
मदहोशी की थपकी कौम को दे रही है।
उठो, गफ़लत से जागो, टूटो बन कर कहर
वतन-फरामोशों का लहू जाठरगों में ठहर
जाति-मज़हब à¤à¥‚लो, याद रखो फरà¥à¤œà¤¼ अपना
पूरा करना है तà¥à¤®à¤•ो देशà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का सपना।
बेखौफ़ साà¤à¤¸à¥‹à¤‚ का करà¥à¤œà¤¼ जब तà¥à¤® सीखो चà¥à¤•ाना
तà¤à¥€ शान से आकर ये अपना परचम फहराना।
– रतà¥à¤¨à¤¾ सोनी
|
ठइंसानों, ओस न चाटो!
ठइंसानों, ओस न चाटो!
आंधी के à¤à¥‚ले पर à¤à¥‚लो!
आग बबूला बनकर फूलो!
कà¥à¤°à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ करने को à¤à¥‚मो!
लाल सबेरे का मà¥à¤‚ह चूमो!
अपने हाथों परà¥à¤µà¤¤ काटो!
पथ की नदियां खींच निकालो!
जीवन पीकर पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बà¥à¤à¤¾ लो!
रोटी तà¥à¤®à¤•ो राम न देगा!
वेद तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ काम न देगा!
जो रोटी का यà¥à¤¦à¥à¤§ करेगा!
वह रोटी को आप वरेगा!
– गजानन माधव मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¬à¥‹à¤§
[साà¤à¤¾à¤°à¤ƒ अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿]
|