तिक पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ का अपन पर विरले ही असर होता है। à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि आपने और हमने सà¥à¤•ूल के नैतिक विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के परà¥à¤šà¥‡ पास नहीं किये, पर वो आदरà¥à¤¶à¤µà¤¾à¤¦à¥€ उपदेश, “जीवन की सही राह” दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥€ शिव खेरा तथा डेल कारà¥à¤¨à¥‡à¤—ी जैसी बातें दिमाग में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दिन तक नही रहती। हम लगà¤à¤— हमेशा अंततः खà¥à¤¦ से यही पूछते रह जाते हैं कि हे पà¥à¤°à¤à¥, अगर वे सब लोग जो यह किताबें पà¥à¤¤à¥‡à¤‚ हैं इन सब उपदेशों को वासà¥à¤¤à¤µ में अपने जीवन में कतरा कतरा डाउनलोड कर लें तो कà¥à¤¯à¤¾ यह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ लोगों से न à¤à¤° जाà¤à¤—ी जो गलतियों के मीन सी लेवल से सतà¥à¤¤à¤° फà¥à¤Ÿ उपर तिरते रहते हों। जो लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ सà¥à¤Ÿà¥€à¤² मितà¥à¤¤à¤² जैसे धनाढà¥à¤¯, मलà¥à¤²à¤¿à¤•ा शेरावत से सफल और वी पी सिंह जैसे सà¥à¤–ी हों। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शरà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¾ टैगोर की तरह जीवन में कà¤à¥€ किसी दà¥à¤ƒà¤–, किसी पराजय, किसी असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ का लेशमातà¥à¤° à¤à¥€ सामना न किया हो?
संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ सचाई यह है कि ये टनों बातें à¤à¤¾à¤°à¥€ और अवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• होती हैं, निरे बतोले। वैसे à¤à¥€ “परोपदेश कà¥à¤¶à¤² बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥‡”, इन उपदेशों को आप कà¤à¥€ à¤à¥€ असल जिंदगी में उपयोग में नही ला सकते, ठीक वैसे ही जैसे कि अपनी कोहनी को जीठसे नहीं चाट सकते। दिकà¥à¤•त à¤à¤°à¥€ बात यह है कि वे आपको हर बार, और बार बार, याने के लगातार, à¤à¤• आदरà¥à¤¶ और सही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बनने की सलाह देते हैं। हमें à¤à¥€ मालूम है à¤à¥ˆà¤¯à¥‡ कि सवेरे जलà¥à¤¦à¥€ उठना अचà¥à¤›à¤¾ है, या कि दारॠपीना बà¥à¤°à¤¾à¥¤ पर देर रात तक “कल घर वापस जा रही पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤•ा से दो बातें” करते वकà¥à¤¤ और फोकट की पारà¥à¤Ÿà¥€ में तो यह बातें याद आने से रहीं। अगर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ इतनी सरल होती मिसà¥à¤Ÿà¤° कारà¥à¤¨à¥‡à¤—ी, तो आपकी किताब में कोई टाईपो न होता।
इसके बावजूद, मी लारà¥à¤¡ गौर फरमायें, इसके बावजूद, यह किताब, जो मैंने हाल ही में पà¥à¥€, कà¥à¤› अलग सी लगी। इटà¥à¤¸ डिफरेंट! बिलाशक यह उन उपदेशों से à¤à¤°à¥€ किताबों से काफी अलग है। “जो आप को चोट पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¤à¥€ हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दोहराना बंद कीजिà¤, उन बातों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ न दें जो आधिकारिक तौर पर आपको बताई जाठऔर……केवल अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कीजीये, अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कीजीये, अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कीजिऔ। कà¥à¤¯à¤¾ आप सोच सकते हैं कि चिंतन के ये रतà¥à¤¨ तीन लतीफों से उà¤à¤°à¤•र आ सकते हैं जो अंकल शैकी ने बेन को सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡? “द बिग मू” कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ ही है।
यह ननà¥à¤¹à¥€ सी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मैलकम गलेडवेल और गाय कावासाकी जैसे 33 लोगों के अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ का निचोड़ है जिसे सेठगॉडिन ने संपादित किया है। परनà¥à¤¤à¥ इस किताब कि सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आपको “आदरà¥à¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯” या à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› बनने को नही कहती, बलà¥à¤•ि यह बताती है कि आप और आपका संगठन “विशिषà¥à¤Ÿ” कैसे बन सकते है। ढेर सारे किसà¥à¤¸à¥‡ और विवरण आपको बताते हैं कि किस तरह साधारण चीजों से लोगों ने अपने करियर, संगठन और जीवन को विशिषà¥à¤Ÿ बनाया।
इस किताब की खूबियों में से à¤à¤• निःसंदेह यह होगी कि यह बेहद संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ है। लेख सà¥à¤¸à¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ, संकेंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ हैं और किसी à¤à¥€ लेख के साथ लेखक का नाम नहीं है, यानी पà¥à¤¤à¥‡ समय किसी पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ के मन में चहलकदमी करते रहने का कोई संयोग नहीं। लेख आपस में संबंधित à¤à¥€ नहीं हैं, आप किताब उठाईठऔर किसी à¤à¥€ पनà¥à¤¨à¥‡ से शà¥à¤°à¥‚ हो जाइà¤, उन जैसे लोगों के लिये यह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤ƒ à¤à¤• वरदान है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बड़े, दिमाग खाउ लेख पà¥à¤¨à¥‡ से सखà¥à¤¤ नफरत है।
“द बिग मू” आपको जीवन में खतरे उठाने और अपने आलोचकों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ न देने की हिमà¥à¤®à¤¤ देगी, जो केवल किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिये नहीं वरन किसी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिये à¤à¥€ लागू होती है। साथ ही यह à¤à¥€ बताती है कि अचà¥à¤›à¤¾ परामरà¥à¤¶ किसी à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, घटना या संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से मिल सकता है, फरà¥à¤œà¤¼ कीजिये कि किसी सेकà¥à¤¸ थेरपिसà¥à¤Ÿ का नà¥à¤¸à¥à¤–ा किसी विपणन कंपनी के काम आ जाये।
कà¥à¤² मिलाकर बेहद अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•! इस किताब के विकà¥à¤°à¤¯ से अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ पैसा चैरिटी को देने का निरà¥à¤£à¤¯ लेखकों व पà¥à¤°à¤•ाशक ने लिया है जो काबिलेतारीफ बात है। अंत में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से मेरे à¤à¤• पसंदीदा अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ “वà¥à¤¹à¥‰à¤Ÿ à¤à¤•à¥à¤œà¤¼à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤²à¥€ आर यू अफà¥à¤°à¥‡à¤¡ आफ?” का हिनà¥à¤¦à¥€ तजà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤ƒ
आखिर किस बात से डरते हैं आप? यह रही à¤à¤• लिसà¥à¤Ÿà¥¤ आप चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करें
- बॉस की घà¥à¥œà¤•ी से
- नौकरी से निकाल दिये जाने से
- पà¥à¤°à¥‹à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ न मिलने की आशंका से
- आफिस के बाद फोटोकापी मशीन का उपयोग करते पकड़े जाने से
- गलती करने से
- सही जवाब न मालूम होने से
अब यह रही à¤à¤• बड़ी खबर। अगर आपकी नीति है चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª अपने काम किये जाने की, हिदायतों का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करने की और यह उमà¥à¤®à¥€à¤¦ करते रहने की कि कोई आप पर कोई तवà¥à¤œà¥à¤œà¥‹à¤¹ नहीं देगा तो (अ) आप पर वाकई कोई कà¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं देगा, और (ब) आप दरअसल किसी बà¥à¤°à¥€ बात होने के आसार बà¥à¤¾ रहे हैं।
इस के विपरीत अगर आप à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के रूप में अपनी साख बनाते हैं जो हमेशा बà¥à¤šà¥à¤•र काम कर अपने संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को अगले सà¥à¤¤à¤° तक जाने की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ देता है और अपने पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ काम करवा सकता है तो आपके पास विशà¥à¤µ की सबसे बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ जॉब सिकà¥à¤¯à¥‹à¤°à¤¿à¤Ÿà¥€ है।
तà¥à¤šà¥à¤› बने रहकर महानता की मंज़िल नहीं मिल सकती।

