
चितà¥à¤° में रविशंकर बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ को निरंतर का अंक दिखाते हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ à¤à¤•दम दायें बैठे हैं परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• खà¥à¤¶à¤¾à¤² सिंह।
आप चिपको आंदोलन के पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾ रहे हैं। कशà¥à¤®à¥€à¤° से कोहिमा तक वन को बचाने के लिठआपने गंà¤à¥€à¤° आंदोलन चलाठहैं। अपनी इस यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में कà¥à¤› पà¥à¤°à¤•ाश डालेंगे?
मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•ृति को अपनी निजी संपतà¥à¤¤à¤¿ मानने की à¤à¥‚ल कर बैठा है तथा इसके अंधाधà¥à¤‚ध दोहन की वजह से संसार में अनेक विसंगतियाठऔर समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो रही हैं। पà¥à¤°à¤•ृति के असंतà¥à¤²à¤¨ से मौसम का चकà¥à¤° ही बदल गया है नतीजतन दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के अनेक हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक पà¥à¤°à¤•ोप बढ़ चला है। पà¥à¤°à¤•ृति को बचाने के लिठपà¥à¤°à¤•ृति को पà¥à¤°à¤•ृति के पास वापस रहने देने के लिठही चिपको आंदोलन की सरà¥à¤œà¤¨à¤¾ की गई थी। संतोष की बात यह है कि देश में ही नहीं तमाम विशà¥à¤µ में इस मामले में जागृति आई है। वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ को काटने के बजाठवृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की खेती करना जरूरी है यह बात बड़े पैमाने पर महसूस की जा रही है और इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ किठजा रहे हैं।
टिहरी बाà¤à¤§ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ को रोकने के लिठआपका दो दशकों का लंबा, गहन आंदोलन à¤à¥€ फलीà¤à¥‚त नहीं हो पाया। आपका यह आंदोलन असफल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो गया?
à¤à¤¸à¤¾ मानना तो अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ होगा। जन जागृति तो आई है कि बड़े बाà¤à¤§ नहीं बनेंगे। बड़े बाà¤à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के असà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ हल हैं। नदी का पानी हमेशा पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤®à¤¾à¤¨ रहता है। बाà¤à¤§ कà¥à¤› समय बाद गाद से à¤à¤° जाते हैं और मर जाते हैं। दूसरी बात यह है कि बाà¤à¤§ जिंदा जल को मà¥à¤°à¥à¤¦à¤¾ कर देते हैं। पानी के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पर अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से यह बात सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हà¥à¤ˆ है कि रà¥à¤•े हà¥à¤ जल में मछलियों व अनà¥à¤¯ जीव जंतà¥à¤“ं, जिनका जीवन पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤®à¤¾à¤¨ पानी के अंदर होता है उनके सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ में विपरीत व उलटे परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤ हैं। बड़े बाà¤à¤§ à¤à¤• दिन अंततः सरà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¶ का ही कारण बनेंगे।
परंतॠइस बात से कैसे इंकार किया जा सकता है कि बड़े बांधों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के पीछे नदियों के जल की विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वितरण की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होती है तथा परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ अनà¥à¤•ूल जल विदà¥à¤¯à¥à¤¤ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ होता है?
यह à¤à¥€ à¤à¤• दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे जनसंखà¥à¤¯à¤¾ बहà¥à¤² देश में जहाठपà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक संसाधन जैसे कि वरà¥à¤·à¤¾ का जल व सौर ऊरà¥à¤œà¤¾ बहà¥à¤²à¤¤à¤¾ से मिलते हैं इनका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² चहà¥à¤ ओर जल तथा विदà¥à¤¯à¥à¤¤ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨-वितरण के लिठबखूबी किया जा सकता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वरà¥à¤·à¤¾ इतनी होती है कि हर गांव में हर कसà¥à¤¬à¥‡ – मà¥à¤¹à¤²à¥à¤²à¥‡ में तालाब बना कर वरà¥à¤·à¤¾ का जल रोका जा सकता है और इससे पानी की समसà¥à¤¯à¤¾ से छà¥à¤Ÿà¤•ारा पाया जा सकता है। इसी तरह सौर ऊरà¥à¤œà¤¾ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² बिजली उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में किया जा सकता है।
à¤à¤• मजेदार वाकया आपको सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤¾ हूà¤à¥¤ à¤à¤• बार मैं नारà¥à¤µà¥‡ गया। वहाठजब मैं पहà¥à¤à¤šà¤¾ तो देखा कि सà¤à¥€ घरों में ताले लगे हैं, और शहर में कोई नहीं है। मà¥à¤à¥‡ लगा कि कà¥à¤¯à¤¾ मैं गलत समय पर आ गया या हूà¤à¥¤ परंतॠमà¥à¤à¥‡ बताया गया कि यहाठधूप बहà¥à¤¤ कम खिलती है लिहाजा लोग बाग़ समà¥à¤¦à¥à¤° किनारे धूप सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठगठहà¥à¤ हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बारिश के चार महीनों को छोड़ दें तो यहाठधूप का अकाल कà¤à¥€ नहीं रहता। यह पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक, अकà¥à¤·à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾ है। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ अनà¥à¤•ूल ऊरà¥à¤œà¤¾ है। इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं किया जाता। आप देखेंगे कि जब अंधाधà¥à¤‚ध दोहन के कारण पृथà¥à¤µà¥€ के संसाधन समापà¥à¤¤ हो जाà¤à¤‚गे तो अंततः यही अकà¥à¤·à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾ ही काम आà¤à¤—ी। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अà¤à¥€ से चेत जाना चाहिà¤à¥¤
आप विनोबा जी के गà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ आंदोलन से à¤à¥€ जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ रहे हैं। आज की पीढ़ी यह सब à¤à¥‚ल चà¥à¤•ी है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पीढ़ी के लिठà¤à¤¸à¥‡ आंदोलनों की सारà¥à¤¥à¤•ता आप महसूस करते हैं?
विनोबा जी के गà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ योजना में à¤à¥€ शाशà¥à¤µà¤¤ सतà¥à¤¯ का अनà¥à¤·à¥à¤ ान किया गया है। ऋणं कृतà¥à¤µà¤¾ घृतं पिबेत की अवधारणा जो चली आ रही है उसे बदलना होगा और देश के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• नागरिक को सà¥à¤µ-समरà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बनाना होगा। यही गà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ था और इसे अपनाठबिना à¤à¤¾à¤°à¤¤ का उदà¥à¤§à¤¾à¤° नहीं होगा।
आज हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मिटà¥à¤Ÿà¥€ के उपजाऊपन को निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ कर रहे हैं। खेतों की मिटà¥à¤Ÿà¥€ अंधाधà¥à¤‚ध रासायनिक खादों के उपयोग के कारण नशेबाज हो गई है। खेत मरूसà¥à¤¥à¤² बनते जा रहे हैं। खेतों में इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ की तरह उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ लिया जा रहा है। अंततः धरती बांठहो जाà¤à¤—ी। हमें इससे बचना है तो वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की खेती शà¥à¤°à¥‚ करनी होगी। धरती की गोद में वृकà¥à¤· सदाबहार रहेंगे तो उनसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ वनोपजों से परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ सà¥à¤µà¤šà¥à¤› तो रहेगा ही, सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤šà¥à¤°à¤¤à¤¾ में पानी, à¤à¥‹à¤œà¤¨ व वसà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ सà¥à¤²à¤ हो सकेंगे।
आपने बहà¥à¤¤ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया है और अपने विचारों को तमाम कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में रखा है। लोगों में आपके विचारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ किस तरह की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ जागà¥à¤°à¤¤ हà¥à¤ˆ है, कà¥à¤¯à¤¾ आपके इन विचारों को मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ मिली है?
चिपको आंदोलन उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हिमालय से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• तक पहà¥à¤à¤š गया। वहाठइसका नाम पिकà¥à¤• हो गया है। तो इन विचारों को मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ तो चहà¥à¤ ओर मिली ही है।
बहà¥à¤¤ समय से देश की कà¥à¤› बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने के बारे में बातें की जा रही हैं – गंगा-कावेरी जैसी योजना के बारे में आपके कà¥à¤¯à¤¾ विचार हैं?
यह à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ृति के साथ खिलवाड़ है। देश की नदियों को जोड़ना मूरà¥à¤–तापूरà¥à¤£ कदम होगा। लाठके बजाठहानि ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होगी। नदियों का जलसà¥à¤¤à¤° घटेगा व नदी अपनी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की शà¥à¤¦à¥à¤§ करने की शकà¥à¤¤à¤¿ खो देगी। à¤à¤• नदी पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित होने पर वह सारी नदियों को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित करेगी। इसे रोकने के लिà¤, लोकशकà¥à¤¤à¤¿ जागृत करने के लिठहिमालय से कनà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ तक पदयातà¥à¤°à¤¾à¤à¤ करने की आवशà¥à¤¯à¤•ता है।
बड़े बाà¤à¤§ और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर राजà¥à¤¯ व केंदà¥à¤° की सरकारों की à¤à¥‚मिका पर अकसर सवाल उठाठजाते रहे हैं। आप इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कहाठतक उचित समà¤à¤¤à¥‡ हैं?
यह तो सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¤¿à¤¤ है कि राजà¥à¤¯ अपने अलà¥à¤ªà¤•ालिक लाठके लिठकारà¥à¤¯ करते हैं। परंतॠखà¥à¤¶à¥€ की बात यह है कि हमारी नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा बहà¥à¤¤ मजबूत है, काफी गंà¤à¥€à¤° है और सतà¥à¤¯ की अवधारणा पर कारà¥à¤¯ करती है। बहà¥à¤¤ से मामलों में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•ा ने सरकार को इन संवेदनशील मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर अपना रूख बदलने को मजबूर à¤à¥€ किया है।
आपके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ इस आंदोलन की गति कà¥à¤¯à¤¾ होगी?
यह कतई जरूरी नहीं है कि आंदोलन, चलाने वाले के जीवनकाल में सफल हो जाà¤à¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ तो नाशवान है। परंतॠसतà¥à¤¯ हमेशा शाशà¥à¤µà¤¤ रहता है। इटरनल टà¥à¤°à¥à¤¥, शाशà¥à¤µà¤¤ सतà¥à¤¯ तो अमर रहेगा।
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल में आपने व आपकी पतà¥à¤¨à¥€ ने नशाबंदी के लिठà¤à¥€ बहà¥à¤¤ कारà¥à¤¯ किà¤à¥¤ आज जब आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समाज में मदà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤¨ को सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• समà¤à¤¾ जाने लगा है तब नशाबंदी की अवधारणा कहाठतक उचित पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है?
यह सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ तो नहीं, सामाजिक अवनति है। कोई à¤à¥€ नशा उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की ओर नहीं ले जा सकता यह तो तय है। हमारे पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से हिमाचल के तमाम जिलों में जागरूकता फैली है। चिपको आंदोलन के कारण वनों की कटाई पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ बनà¥à¤¦ है। पाà¤à¤š जिलों में संपूरà¥à¤£ मदà¥à¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥‡à¤§ अपनाया गया है। ये बातें कम महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ नहीं हैं।
मैं फिर कहूंगा कि सतà¥à¤¯ हमेशा जिनà¥à¤¦à¤¾ रहता है। मैं इसे अपना सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मानता हूठकि आज मैं जिंदा हूà¤à¥¤ वन माफिया और शराब माफिया ने मेरे जीवन को समापà¥à¤¤ करने के बहà¥à¤¤ से कà¥à¤šà¤•à¥à¤° चले। à¤à¤• बार मà¥à¤à¥‡ गंगा में डà¥à¤¬à¥‹ दिया गया था। इस तरह की समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤ हर आंदोलनकारी के जीवन में तो आती ही हैं। परंतॠहार अंततः असतà¥à¤¯ की ही होती है।
निरंतर के पाठकों को कोई संदेश देना चाहेंगे?
हमारे समय सà¥à¤µà¤šà¥à¤› जल, पवितà¥à¤° धरती और निरà¥à¤®à¤² आकाश (वायà¥) था। उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ संसà¥à¤•ृति ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा है और सरà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¶ फैलाया है। आज सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के शिकार हैं। समसà¥à¤¯à¤¾ गंà¤à¥€à¤° होती जा रही है। हमें लड़कर नया जमाना लाना होगा, जो वही, पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ – सà¥à¤µà¤šà¥à¤›, पवितà¥à¤° और निरà¥à¤®à¤² था। यà¥à¤¦à¥à¤§ तो छेड़ना ही होगा। और यही उपयà¥à¤•à¥à¤¤ समय है।
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¤µà¤¿à¤¦à¥ व चिपको आंदोलन के पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾ सà¥à¤‚दरलाल बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ पिछले दिनों रतलाम पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ पर थे। जनशिकà¥à¤·à¤£ मंच में परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ विषय पर उनका वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ था। इस दौरान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ डाइजेसà¥à¤Ÿ नामक पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा के इंटरनेट संसà¥à¤•रण का लोकारà¥à¤ªà¤£ à¤à¥€ किया तथा जालघर की अपने तरह की अकेली व पहली चिटà¥à¤ ा-पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा निरंतर का अवलोकन à¤à¥€ किया। इस अवसर पर निरंतर के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ विषयों पर सà¥à¤‚दरलाल बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ से खास बातचीत की निरंतर के वरिषà¥à¤ संपादक रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ ने। संवाद में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है उसी बातचीत के कà¥à¤› अंश: