डा. अंजलि देवधर के जापानी -अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ -हिंदी हायकू अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ से कà¥à¤› हायकू
लड़खड़ाती अनाथ गौरैया,
आओ और खेलो!
मैं हमेशा तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ साथी हूं।
-कोबायासी इसà¥à¤¸à¤¾
à¤à¤• सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€
à¤à¤• टब में नहाती हà¥à¤ˆ
à¤à¤• कौठकी चाह बन गई!
-ताकाहामा कियोशी
à¤à¤• मकà¥à¤–ी बैठी
सà¥à¤¤à¤¨ पर
जिसे सोता शिशॠà¤à¥‚ल गया चूसना।
-हीनो सोजो
टिमटिमाती बतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚
जà¥à¤—नà¥à¤’ं की
अलà¥à¤ª आयॠकी à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¾ हैं।
-कावाबाता बोशा
à¤à¤• पतà¤à¥œ की सांà¤
à¤à¤• घंटा विशà¥à¤°à¤¾à¤® का
à¤à¤• à¤à¤£à¤¿à¤• जीवन में
-योसा बà¥à¤¸à¤¾à¤¨
ओस की बूंद
बैठी à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° पर
à¤à¤• हीरे के समान
-कावाबाता बोशा
गौरैया खेल रही
छà¥à¤ªà¤¾-छà¥à¤ªà¤¾
चाय के फूलों के बीच में।
-कोबायाशी ईसà¥à¤¸à¤¾
à¤à¤• नया वरà¥à¤· आरमà¥à¤ हà¥à¤†
खिल जाने से
à¤à¤• तà¥à¤·à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤ गà¥à¤²à¤¾à¤¬ के।
-मिजà¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤“शी
तà¥à¤¯à¥‡à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾ के साहितà¥à¤¯ में देशकाल और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की अनेकानेक विधायें पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ होती रही हैं। जापानी साहितà¥à¤¯ की à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विधा हायकू है। अपने छंद विधान के कारण हायकू विशà¥à¤µ की दूसरी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤’ं में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हो रहे हैं। हिंदी में à¤à¥€ हायकू नवà¥à¤¯à¤¤à¤® कावà¥à¤¯ विधा के रूप में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ हासिल कर रहे हैं।
हायकू को कावà¥à¤¯ विधा के रूप में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ करने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ जाता है पà¥à¤°à¤®à¥à¤– जापानी साहितà¥à¤¯à¤•ार मातà¥à¤¸à¥à¤“ बासो (1644 – 1694) को। बासो से शà¥à¤°à¥‚ होकर हायकू जापनी कविता की यà¥à¤—धारा के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤«à¥à¤Ÿà¤¿à¤¤ हà¥à¤† और कालानà¥à¤¤à¤° में विशà¥à¤µ साहितà¥à¤¯ की निधि बन चà¥à¤•ा है।
हायकू तीन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में 17 अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में लिखी जाने वाली कविता है। पहली पंकà¥à¤¤à¤¿ में 5, दूसरी पंकà¥à¤¤à¤¿ में 7 और तीसरी पंकà¥à¤¤à¤¿ में पांच अकà¥à¤·à¤° होते हैं। कà¥à¤² सतà¥à¤°à¤¹ अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में पूरà¥à¤£ अरà¥à¤¥ संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ करना हायकू की कसौटी होती है। इस तरह हायकू गागर में सागर à¤à¤°à¤¨à¥‡ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ की पहचान का पैमाना होता है।
जापानी कविता में हायकू कावà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤–त: पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿ से संबंधित à¤à¤¾à¤µ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किये जाते रहे। हिंदी में à¤à¥€ हायकू कविता विधा में कवितायें लिखी जा रही हैं। मूल जापानी के हायकू के अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ हिंदी में उपलबà¥à¤§ हो रहे हैं जिसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हायकू के बारे में जानकारी मिलती है।
जापानी कविता हायकू का à¤à¤¸à¤¾ ही उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ का कारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ डा.अंजलि देवधर ने किया है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मूल जापानी से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में अनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ 32 महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कवियों की 100 उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ हायकू कविताओं का हिंदी में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ किया है। वसनà¥à¤¤, गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®, पतà¤à¥œ, शरद और नववरà¥à¤· की इन उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ हायकू कविताऒं का चयन और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ नगोया, जापान के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° यà¥à¤œà¥à¤°à¥ मियà¥à¤°à¤¾ ने किया है।
जापानी से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ से हिंदी अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ टटल पà¥à¤°à¤•ाशन अमेरिका दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया।
जापानी से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ से हिंदी में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ करने में इन हायकू कविताऒं के 5-7-5 का छà¥à¤¨à¥à¤¦ विधान का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ नहीं हो पाया à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¥€ थोड़ी कà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो गई लेकिन कविताऒं का à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤¦ करने का कठिन कारà¥à¤¯ करने के लिये डा.अंजलि देवधर करने के लिये बधाई की हकदार हैं। उसके इस कारà¥à¤¯ से हिंदी à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की जापानी कावà¥à¤¯ विधा हायकू की जानकारी मिलना समà¥à¤à¤µ हो सका।
डा. अंजलि देवधर ने अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• को अपने पति डा.शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° देवधर को आà¤à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया है जिनकी दी धनराशि से यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• छपी। उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ हायकू का हिंदी में à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करके डा.अंजलि देवधर ने उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय काम किया है।

