Category: वातायन
खिड़की
"कहने को कहते हैं कि लो खà¥à¤²à¤µà¤¾ दी खिड़की तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ लिà¤à¥¤ मैं जानती हूà¤, इस बात में कितनी सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ है। अगर à¤à¤• बिटिया होती तो शायद यह खिड़की कà¤à¥€ न खà¥à¤²à¤¤à¥€à¥¤ बलà¥à¤•ि खà¥à¤²à¥€ हà¥à¤ˆ खिड़कियाठà¤à¥€ बनà¥à¤¦ हो जातीं।" वातायन में पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ इला पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की संवेदनशील कथा खिड़की।
सईदन बी – à¤à¤¾à¤— 2
जब बड़े इंसानों ने धरà¥à¤® की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ की होगी तो शायद पावन उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ रहा होगा, मेरा कà¥à¤¨à¤¬à¤¾, à¤à¤• खà¥à¤¯à¤¾à¤² लोग, मेरा समूह साथ रहे तो रोजी रोटी अचà¥à¤›à¥€ कटेगी। फिर लोगों ने धरà¥à¤® से पà¥à¤¯à¤¾à¤° हटा कर सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ जोड़ दिया और परिदृशà¥à¤¯ बदल गया। पà¥à¥‡à¤‚ देबाशीष की कहानी का दूसरा और अनà¥à¤¤à¤¿à¤® à¤à¤¾à¤—।
जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ का डर
सà¥à¤•ूल डà¥à¤°à¥‡à¤¸, किताबें, कॉपियाà¤, बसà¥à¤¤à¥‡, टà¥à¤¯à¥‚शन की चिंता में हैरान होता पालक हो या अवरà¥à¤·à¤¾, अति वरà¥à¤·à¤¾, सूखा, या बाढ़ की चिंता में घà¥à¤²à¤¤à¤¾ किसान। जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ का महीना हर किसी को डराता है यह चà¥à¤Ÿà¤•ी ले रहे हैं वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯à¤•ार रवि रतलामी।
पहचानी डगर का à¤à¤• और पथपà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤•
अà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ से सीधा-सपाट अनूदित पर उबाऊ नहीं। पà¥à¥‡à¤‚ अरिंदम चौधरी की मूल अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• “काउंट योर चिकंस बिफोर दे हैच” के पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤à¤¾ सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ “खà¥à¤¦à¥€ को कर बà¥à¤²à¤‚द इतना” की रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समीकà¥à¤·à¤¾à¥¤
जीवन है मरीचिका
वातायन में पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤® पीयà¥à¤·, उमेश शरà¥à¤®à¤¾ और देबाशीष की कवितायें

