Author: देबाशीष चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€
सà¥à¤•à¥à¤–ी जैसा कोई नही
जितेनà¥à¤¦à¥à¤° के बचपन के दोसà¥à¤¤ सà¥à¤•à¥à¤–ी बहà¥à¤¤ ही सही आइटम हैं। उनकी जिनà¥à¤¦à¤—ी में लगातार à¤à¤¸à¥€ घटनायें होती रहती हैं जो दूसरों के लिये हास-परिहास का विषय बन जाती है। हास परिहास में पà¥à¤¿à¤ सà¥à¤¨à¥‡ अनसà¥à¤¨à¥‡ लतीफ़े और रजनीश कपूर की नई कारà¥à¤Ÿà¥‚न शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला "ये जो हैं जिंदगी"।
बà¥à¤²à¥‰à¤— से देश नहीं बदलेगाः अतानॠडे
संवाद, जिसके तहत हर माह आप रूबरू हो सकेंगे चिटà¥à¤ ा जगत के ही किसी पहचाने नाम से, में इस बार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार इंडीबà¥à¤²à¥‰à¤—ीज़ 2004 में सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤Ÿ बà¥à¤²à¥‰à¤— के पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार से नवाज़े गठचिटà¥à¤ े "दीशा" के रचयिता अतानॠडे से।
बलॉगिंग विथ परपस
जिहà¥à¤µà¤¾ ने जब अपना पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ चिटà¥à¤ ा बंद किया तो उनकी उकताहट छà¥à¤ªà¤¤à¥€ न थी। कà¥à¤¯à¤¾ चिटà¥à¤ ाकार मूलतः अपने मेटà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤¸ में कैद आतà¥à¤®à¤®à¥à¤—à¥à¤§ अंरà¥à¤¤à¤®à¥à¤–ी लेखक ही हैं बस? कà¥à¤¯à¤¾ वे समाज के सतà¥à¤¯ से रूबरू ही नहीं होना चाहते? नज़रिया सà¥à¤¤à¤‚ठमें पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ संपादक की कलम से निरंतर का परिचय और चिटà¥à¤ ा जगत पर नà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾ चीनी के साथ पाईठपरिचय आमà¥à¤– कथा का।