Category: आमà¥à¤– कथा
वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸: ज़ीरो बन गया हीरो
बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग सॉफà¥à¤Ÿà¤µà¥‡à¤¯à¤° में मà¥à¤•à¥à¤¤ कोड पर आधारित तंतà¥à¤°à¤¾à¤‚श वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने कà¥à¤› ही सालों में अपनी à¤à¤• खास जगह बना ली है। इतने सारे बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ और मूवेबल टाईप जैसे बड़े खिलाड़ियों के रहते वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने अतिशय सफलता कैसे हासिल की यह जानना ज़रूरी है। पंकज नरà¥à¤²à¤¾ नज़र डाल रहे हैं वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ के जनà¥à¤® से लेकर जवानी तक की यातà¥à¤°à¤¾ पर। साथ ही जिकà¥à¤° है इसकी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं और इसे बनाने वालों की सोच के बारे में।
वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸: बेमोल, फिर à¤à¥€ अनमोल
मà¥à¤•à¥à¤¤ सोरà¥à¤¸ परियोजनाओं में अनगिनत जाने पहचाने लोगों का पसीना होता है और बिना किसी लालच व पारिशà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• के बनाये गये इन उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ का मोल विशालकाय कंपनियों के नामचीन उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ से कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ के आसपास पनपते हैं समà¥à¤¦à¤¾à¤¯, जो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨, उमà¥à¤°, धरà¥à¤®, लिंग या à¤à¤¾à¤·à¤¾ से बंधे नहीं हैं। आखिर कà¥à¤¯à¤¾ वजह है कि लोग à¤à¤¸à¥€ परियोजनाओं में समय लगाते हैं? कैसा लगता है इनमें हिसà¥à¤¸à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ करना? ये सवाल हमने किये वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ की लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ मà¥à¤•à¥à¤¤ सोरà¥à¤¸ थीम मांजी के जनक ख़ालेद अबॠअलà¥à¤«à¤¼à¤¾ से।
वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ किसी महानगरीय संसà¥à¤•ृति जैसी है
कà¥à¤¯à¤¾ बातें होती हैं जब वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के मà¥à¤¤à¤¾à¤²à¥à¤²à¤¿à¤• अंतरà¥à¤œà¤¾à¤² पर सेंकड़ों बार मिले दो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पहली दफ़ा à¤à¤• दूसरे से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त रूप से रूबरू होते हैं। मारà¥à¤• घोष और कारà¥à¤¥à¤¿à¤• शरà¥à¤®à¤¾ जब लास वेगस में मिले तो इस मà¥à¤²à¤¾à¤•ात में वरà¥à¤¡à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ के दोनों सिपाहियों ने इस बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग तंतà¥à¤°à¤¾à¤‚श के समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ और इस के साथ बिताये दिनों की यादें ताज़ा की।
मà¥à¤•à¥à¤¤ बाज़ार के महातà¥à¤®à¤¾ कब आयेंगे?
राजनैतिक आज़ादी की अà¤à¤¿à¤œà¤¾à¤¤ संकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ को गाà¤à¤§à¥€à¤œà¥€ ने सरल रूप देकर जन आंदोलन बनाया और देश को आजादी दिलाई। नितिन पई मानते हैं कि à¤à¤• शताबà¥à¤¦à¥€ पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ को आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिये हमें महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ की दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ ज़रà¥à¤°à¤¤ है।
कृषि आधार का बà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°
हर विकसित देश ने कालांतर में गà¥à¤°à¤¾à¤®-केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤, कृषि-केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से शहर-केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤, गैर-कृषि केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की ओर अनà¥à¤¤à¤°à¤£ किया है। अतानॠदे और रà¥à¤¬à¤¨ अबà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤® मानते हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पास विकलà¥à¤ª है कि वह 6 लाख छोटे गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ की बजाय 600 सà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤, चमचमाते नठशहरों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पर विचार करे। जबकि कृषक चिटà¥à¤ ाकार अशोक पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯ मानते हैं कि à¤à¤¸à¤¾ कदम बाज़ार की ताकत के सामने गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤°à¤¤à¤¾ के घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ टेक देने के समान होगा।
