Month: July 2005
विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ à¤à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¸à¥€ में à¤à¤• दिन
कैसे काम करती हैं गोरेपन की कà¥à¤°à¥€à¤® से कॉनà¥à¤¡à¥‹à¤® तक की पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° सामगà¥à¤°à¥€ तैयार करतीं विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ कंपनियाà¤, बता रहे हैं पेशेवर कापीराईटर व चिटà¥à¤ ाकार चंदà¥à¤°à¤šà¥‚दन गोपालाकृषà¥à¤£à¤¨.
जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ का डर
सà¥à¤•ूल डà¥à¤°à¥‡à¤¸, किताबें, कॉपियाà¤, बसà¥à¤¤à¥‡, टà¥à¤¯à¥‚शन की चिंता में हैरान होता पालक हो या अवरà¥à¤·à¤¾, अति वरà¥à¤·à¤¾, सूखा, या बाढ़ की चिंता में घà¥à¤²à¤¤à¤¾ किसान। जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ का महीना हर किसी को डराता है यह चà¥à¤Ÿà¤•ी ले रहे हैं वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯à¤•ार रवि रतलामी।
पहचानी डगर का à¤à¤• और पथपà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤•
अà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ से सीधा-सपाट अनूदित पर उबाऊ नहीं। पà¥à¥‡à¤‚ अरिंदम चौधरी की मूल अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• “काउंट योर चिकंस बिफोर दे हैच” के पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤à¤¾ सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ “खà¥à¤¦à¥€ को कर बà¥à¤²à¤‚द इतना” की रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समीकà¥à¤·à¤¾à¥¤
नारियल का मिरà¥à¤šà¥€ के साथ गठबंधन
बंगलौर में नारियल की चटनी में इतनी मिरà¥à¤šà¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डालते हैं? तोगडिया जी हमेशा गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ मे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रहते है? आग लगने पर ही पानी à¤à¤°à¤¨à¥‡ की याद कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आती है? जब ये सवाल पूछे गये हैं फà¥à¤°à¤¸à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ से तो à¤à¤ˆ जवाब à¤à¥€ मजेदार ही होंगे, फà¥à¤°à¤¸à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤ˆà¤².
मिरà¥à¤œà¤¾ ने à¤à¥‡à¤²à¤¾ रैबिट फूड
डाकà¥à¤Ÿà¤° की सलाह पर मिरà¥à¤œà¤¾ की बेगम ने छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¨ को हà¥à¤•à¥à¤® सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ कि अब साहब को सिरà¥à¤« सलाद खिलाया जायेगा। पर मिरà¥à¤œà¤¾ जी तो हैरीसन फोरà¥à¤¡ की नाई इस रैबिट फूड को न खाने की जिद कर चà¥à¤•े थे। पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ अतà¥à¤² अरोरा का लिखा पà¥à¤°à¤¹à¤¸à¤¨à¥¤

