Author: देबाशीष चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€
140 अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾: माइकà¥à¤°à¥‹à¤¬à¥à¤²à¥‰à¤—िंग
बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग के बाद इंटरनेट पर à¤à¤• और विधा ने जोर पकड़ा है। जी हाठटà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¤°, पाउंस और पà¥à¤²à¤°à¥à¤• के दीवाने अपने बलॉग छोड़ दीवाने हो चले हैं माईकà¥à¤°à¥‹à¤¬à¥à¤²à¥‰à¤—िंग के। पैटà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤¸ और देबाशीष कर रहे हैं इस लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ तकनीक की संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ पड़ताल जिसमें लोग फकत 140 अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में कà¤à¥€ अपने मोबाईल, कà¤à¥€ डेसà¥à¤•टॉप तो कà¤à¥€ जालसà¥à¤¥à¤² दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपना हालेदिल लिखे चले जाते हैं।
HIW: खà¥à¤¦ कंपà¥à¤¯à¥‚टर सीखते हैं बचà¥à¤šà¥‡
"होल इन द वॉल" दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¨à¤†à¤ˆà¤†à¤ˆà¤Ÿà¥€ के सà¥à¤—ाता मितà¥à¤°à¤¾ ने सिदà¥à¤§ किया कि बचà¥à¤šà¥‡ बिना औपचारिक पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ के सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कंपà¥à¤¯à¥‚टर सीख सकते हैं। कम कीमत में करोड़ों à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तक सूचना पà¥à¤°à¥‹à¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी पहà¥à¤‚चाना अब कोई दिवासà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ नहीं। निरंतर ने डॉ मितà¥à¤°à¤¾ से जानकारी ली इस अनूठे पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के बारे में।
पिपà¥à¤ªà¥€ के मोज़ों में कबाड़ से जà¥à¤—ाड़
पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾ में रवि रतलामी व देबाशीष लाये हैं बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिये नायाब पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें जिनमें शामिल हैं खेल खेल में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ सिखाने वाली "कबाड़ से जà¥à¤—ाड़" तथा "जॉय आफ मेकिंग इंडीयन टॉयà¥à¤œà¤¼", जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें "खिलौनों का खज़ाना" और "नज़र का फेर" तथा कथा कहानी के शौकीनों के लिये "समंदर और मैं" तथा "पिपà¥à¤ªà¥€ लंबेमोज़े"।
ओपन आईडीः ताले अनेक, चाबी सिरà¥à¤« à¤à¤•
जितने जालसà¥à¤¥à¤² उतने लॉगिन, अपने यूज़रनेम और पासवरà¥à¤¡ की जोड़ी याद रखना सरदरà¥à¤¦à¥€ है। शà¥à¤•à¥à¤° है कि सिंगल साईन आन की तरà¥à¤œà¤¼ पर अंतरà¥à¤œà¤¾à¤² पर à¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ आकार ले रही है, जिसका नाम है ओपन आईडी। निधि में पà¥à¥‡à¤‚ आईडेनà¥à¤Ÿà¤¿à¤Ÿà¥€ 2.0 और ओपन आईडी की जानकारी देता देबाशीष चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ का आलेख।
बà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¥‡ के घर?
कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¥‰à¤ªà¤°à¥à¤Ÿà¥€ बाज़ार की कीमतों में अवà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¾à¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• उछाल बाजार में मांग और पूरà¥à¤¤à¤¿ के नियमों पर आधारित है, या फिर à¤à¤• फूलते बà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¥‡ का हिसà¥à¤¸à¤¾ है जो जब à¤à¥€ फटे तबाही ही बरपा करेगा? आमà¥à¤– कथा में जगदीश à¤à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ और देबाशीष चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ के खोजी आलेख को पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ और निरà¥à¤£à¤¯ लीजिये।