Author: पूर्णिमा वर्मन

लोग साथ आते गए, कारवां बनता गया

हिन्दी में शायद यह पहली पत्रिका होगी जहां संपादक एक देश में, निदेशक दूसरे देश में और टाइपिस्ट तीसरे देश में हों; जब एक की दुनिया में दिन हो और दूसरे की दुनिया में रात। अंर्तजाल पर हिन्दी भाषा की अत्यंत लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका "अभिव्यक्ति" तथा  "अनुभूति" की रोचक व मर्मस्पर्शी यात्रा कथा बयां कर रही हैं पूर्णिमा वर्मन