Author: डॉ वीणा सिन्हा
व्यतीत
संस्कृतियों, लिबासों और भाषाओं के कॉकटेल कलकत्ता में नीता के सामने श्यामल है, उसका वर्तमान। श्यामल पहली बार आया है यहाँ, पर नीता का व्यतीत अतीत उसे साल रहा है। वह कलकत्ता को भूल जाना चाहती है। वातायन में पढ़िये 1963 में मनोरमा पत्रिका में प्रकाशित वीणा सिन्हा की स्त्री के अंतर्दंद्व पर लिखी कहानी जो आज भी सामयिक लगती है।