अच्छा अंतर्जाल कहां चला गया?

Ashish Tiwari

खास निरंतर के लिए हुसैन द्वारा संकलित

2 प्रतिक्रियाएं
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  1. अपनी भाषा अपनी बोली
    अपने अन्दाज़ में लिखना
    मुद्दे कुछ हों शिकवे कुछ हों
    अपना ही नज़रिया कहना
    आज़ाद सतह पर छपती हो
    मन की मन में ना रखना
    कभी देर-सवेर भले हो लेकिन
    सदा निरन्तर रहना

    शुभ…

    – विनय
    (Submitted on Thu, 2005-03-10 04:19)

  2. पूरी पत्रिका ही बढ़िया है.. इस लेख में काफ़ी अच्छे लिंक्स दिये गये है.. बहुत बहुत बधाईयां.
    (Submitted on Wed, 2005-03-09 17:23)

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