हास परिहासजितेन्द्र के बचपन के दोस्त सुक्खी बहुत ही सही आइटम हैं। उनकी जिन्दगी में लगातार ऐसी घटनायें होती रहती हैं जो दूसरों के लिये हास‍-परिहास का विषय बन जाती है। हम नजर डालते रहेंगे सुक्खी के जीवन में घटी कुछ घटनाओं पर।

इस अंक से आनन्द लीजिये व्यंजलों का भी। साथ ही हमेशा की तरह रजनीश की मज़ाहिया नज़र से देखें दुनिया।

वैसे तो सुक्खी के सारे फार्म हम लोग ही भरते थे लेकिन एक बार उनको अचानक एक नौकरी का फार्म भरा, कुछ समझ मे नही आ रहा था कि कैसे भरें। अब जरा देखिये उन्होने क्या भराः

नामः सुखबीर सिंह उर्फ सुक्खा
सैलरी एकस्पैक्टेडः यस
सेक्सः वन्स इन ए वीक


पहले मुर्गी आयी या अन्डा, इस पर दुनिया मे विवाद हो सकता है, लेकिन अपने सुक्खी के पास जवाब है

ओ यार! जिसका आर्डर पहले दोगे, वो ही तो पहले आयेगी।


अपने सुक्खी ने सीसामऊ वाले शर्मा लाटरीज से 20 रूपये में लॉटरी का टिकट खरीदा, उनकी २० करोड़ की लॉटरी लगी, दुकानदार ने टैक्स काटकर ११ करोड़ दिये, सरदारजी भड़क गये बोले

या तो पूरे बीस करोड़ दो या फिर मेरे बीस रुपये वापस करो।


सुक्खी एक दिन एक जनाजे में गये, बहुत सेन्टी हो गये था, मेरे से बोले, यार मेरी एक अन्तिम इच्छा है

मै जब भी मरूं, तो अपने स्वर्गवासी बस ड्राइवर चाचाजी की तरह मरूं, जो सोते सोते मरे थे, उनके पैसेन्जर्स की तरह नही, जो चिल्लाते चिल्लाते मरें।

शेर सवाशेर

तुम्हारे दर पर हम हजार बार आयेंगे,
तुम्हारे दर पर हम हजार बार आयेंगे,
तुम्हारे दर पर हम हजार बार आयेंगे,
घन्टी बजायेंगे और भाग जायेंगे।

वाह! क्या सन्तरा था!दूर से देखा तो सन्तरा था,
पास जाके देखा तो सन्तरा था,
छील के देखा तो सन्तरा था,
खा के देखा तो भी सन्तरा था,
वाह! क्या सन्तरा था!

जिस वक्त खुदा ने तुम्हें बनाया होगा,
एक सरूर सा उसके दिल पर छाया होगा।
पहले सोचा होगा तुझे जन्नत में रख लूँ,
फिर उसे चिड़ियाघर का ख्याल आया होगा।

ये जो है ज़िंदगीः रजनीश कपूर

ये जो है ज़िंदगी