
वन के चार दशक गà¥à¤œà¤¾à¤° लेने के बाद पीछे मà¥à¤¡à¤¼à¤•र जब मैंने देखा तो पाया कि मैं सफल तो कतई नहीं कहलाऊंगा। जीवन के किसी à¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सफलता के कोई खास à¤à¤‚डे गाड़े हों, जब मà¥à¤à¥‡ दिखाई नहीं दिया तो मैं उदास हो गया। इसी उदासी में मैं टहलने निकल गया। सोचा था इस उदासी को गायों-गोलà¥à¤²à¤°à¥‹à¤‚, टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¼à¤¿à¤• और धूल à¤à¤°à¥€ सड़कों में उड़ाकर आ जाऊंगा। वैसे à¤à¥€, ऑटो-टैमà¥à¤ªà¥‹ और सड़क के दोनों ओर रेहड़ी-खोमचे-ठेलों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ के बीच यदि आप सकà¥à¤¶à¤² à¤à¤• दो किलोमीटर की यातà¥à¤°à¤¾ बिना ठà¥à¤•े-ठोंके सपà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ कर आà¤à¤‚, तो आपकी उदासी यकीनन कई दिनों के लिठछूमंतर हो जाà¤à¤—ी।
सड़क में à¤à¤• सांड के सींग से बचने की कोशिश में मैं सीधे à¤à¤• फेरी वाले के ठेले के ऊपर जा गिरा। वो कà¥à¤› सजà¥à¤œà¤¨ किसà¥à¤® का आदमी था जिसने मà¥à¤à¥‡ पलट कर गालियाठनहीं दीं और मà¥à¤à¥‡ ततà¥à¤ªà¤°à¤¤à¤¾ से उठाया। मेरी à¤à¥€ सजà¥à¤œà¤¨à¤¤à¤¾ कà¥à¤› जागी और मैं ठेले पर विकà¥à¤°à¤¯ के लिठरखी सामगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को उचटती निगाह से देखने लगा। वो किताब की दà¥à¤•ान थी। तमाम तरह की किताबें विकà¥à¤°à¤¯ के लिठउपलबà¥à¤§ थीं। उन सबमें सबसे ऊपर à¤à¤• किताब का चमकीला शीरà¥à¤·à¤• चमक रहा था – “उठो महान बनो”।
आह! यही तो मैं खोज रहा था। मैं सफल बनना चाह रहा था, महान बनना चाह रहा था। जरूर इस किताब में महान बनने के ससà¥à¤¤à¥‡ सà¥à¤‚दर सरल तरीके होंगे। मेरी आंतरिक खà¥à¤¶à¥€ जाग उठी। मà¥à¤à¥‡ लगा कि मेरे पास महान बनने का हथियार आ गया है। कांपते हाथों से मैंने उस किताब को उठाया। डरते डरते उसकी कीमत देखी – कहीं यह हजारों में न हो – महान बनाने वाली महान किताब कहीं कीमत में à¤à¥€ महान न हो। कीमत से तसलà¥à¤²à¥€ हà¥à¤ˆà¥¤ वो जेब पर बहà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¥€ नहीं हो रही थी। मैंने ततà¥à¤•ाल उसे खरीद लिया और सीधे घर की ओर वापस लपका।
अब मेरे महान बनने में चंद लमहों की ही देरी थी। किताब का आदà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤‚त पाठन करना था। चंद बातों को जीवन में उतारना था और बस हो गया। लौटते समय मेरे कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ में मैंने देखा कि मैं महान से महानतम बन गया हूं और तमाम दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के लोग मेरे अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ बन गठहैं और मेरे जयकारे लगा रहे हैं। घर आकर मैंने बीवी की ओर हिकारत à¤à¤°à¥€ नजरों से देखा कि वो हमेशा मà¥à¤à¥‡ मेरी औकात से कम आंका करती है, मेरी असफलताओं पर टोकती रहती है, मेरे निठलà¥à¤²à¥‡à¤ªà¤¨ के ताने कसती रहती है, अब देखना – तेरा वही निठलà¥à¤²à¤¾ पति देखते देखते ही कैसे महान बनता है।
नहा-धोकर, किताब में धूप-बतà¥à¤¤à¥€ देकर उसका पारायण पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकिया। आंखें मà¥à¤‚द रही थीं, सिर à¤à¤¾à¤°à¥€ हो रहा था, मà¥à¤à¤¹ से उबासी दूर हो नहीं रही थी, मगर मैं किताब पढ़ता रहा। इतनी गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से तो मैंने अपने बोरà¥à¤¡ के इमà¥à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¨ की पढ़ाई à¤à¥€ नहीं की थी। मगर यहाठमामला महान बनने का जो था। सो गà¥à¤‚जाइश ही नहीं थी। अठारह घंटे छतà¥à¤¤à¥€à¤¸ मिनट में किताब à¤à¤• ही बैठक में आदà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤‚त पढ़ गया। इस बीच कोई छबà¥à¤¬à¥€à¤¸ कप कॉफ़ी के उदरसà¥à¤¥ कर लिठऔर बीबी के छः ताने और सà¥à¤®à¤¿à¤¤ हासà¥à¤¯ के कोई आठवार à¤à¥€ à¤à¥‡à¤² लिà¤à¥¤ किताब को मैंने पूरा पढ़ लिया था। उठो महान बनो। अब मैं उठसकता था। मैं उठा और सीधे बिसà¥à¤¤à¤°à¥‡ पर जा गिरा। उसके बाद दो दिनों तक सोता रहा।
उठो महान बनो नाम की किताब पढ़ने के महीनों बीत जाने के बाद à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ मेरी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में कोई परिवरà¥à¤¤à¤¨ नहीं आया। मैंने तो उसमें बताठतौर तरीकों को अपने ऊपर ओढ़ने आजमाने की ईमानदार कोशिश की थी। मगर महानता शायद मà¥à¤à¤¸à¥‡ कोसों दूर थी। या इस शबà¥à¤¦ से मेरा छतà¥à¤¤à¥€à¤¸ का आंकड़ा था। मैं फिर से गहन उदासी के दौर में फंस गया था।
मैं à¤à¤• बार फिर उदासी दूर करने घूमने निकला तो अपने आपको उसी किताब दà¥à¤•ान पर पाया। इस दफ़ा सबसे ऊपर à¤à¤• किताब चमकती दिखाई दे रही थी – “बेसà¥à¤Ÿ सेलर – कैसे पाà¤à¤‚ सफलता।” वलà¥à¤²à¤¾à¤¹! कà¥à¤¯à¤¾ किताब है। à¤à¤•दम सही। सही समय पर सही किताब मिली मà¥à¤à¥‡à¥¤ मैं अब तक हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का असफल आदमी सफलता ही तो चाहता था। मà¥à¤à¥‡ लगा कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का हर सफल आदमी इस किताब में से होकर निकला है। और अब मेरी बारी है। मैंने अपनी जेब कà¥à¤› ढीली की और इस किताब को ले आया।
इस दफ़ा मैंने इस किताब के हर हिसà¥à¤¸à¥‡ को गौर से पढ़ा। ये नहीं कि अखंड-रामायण पाठकी तरह à¤à¤• बैठक में पढ़ मारा। मैंने नोटà¥à¤¸ बनाà¤, सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को, वाकà¥à¤¯à¤¾à¤‚शों को रटा। मà¥à¤à¥‡ लगा कि मेरी सफलता में अब बस आठ-दस दिनों की देरी है। मगर सूरज रोज सà¥à¤¬à¤¹ उगता रहा और चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ की कलियाठरोज ब रोज कम होती रहीं – उसी रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से। उनमें à¤à¥€ कोई परिवरà¥à¤¤à¤¨ नहीं हà¥à¤† और मेरी सफलता में à¤à¥€ बाल बराबर फरà¥à¤• नजर नहीं आया। मैं फिर निराश हो गया।
निराशाओं के à¤à¤¸à¥‡ दौर आते रहे और मैं अपनी निराशा दूर करने सड़क नापता रहा, सांड के सींग खाता रहा, और किताब दà¥à¤•ान पर गिरता रहा। वहां से अपने आपको बदलने के लिà¤, सफल होने के लिà¤, धनी बनने के लिà¤, सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ बनने के लिà¤, सà¥à¤–ी बनने के लिà¤, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कà¥à¤¶à¤² बनने के लिठतमाम किताबें लाता रहा, और पढ़ता रहा। मगर परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं बदलना था सो नहीं बदलीं। मेरे घर के दरवाजे की दिशा दकà¥à¤·à¤¿à¤£ की ओर थी और वो à¤à¥€ वैसी ही बनी रही।
घोर निराशा में मैंने इन सारी किताबों को à¤à¤•तà¥à¤° किया और उस दà¥à¤•ान में वापस फेंकने के लिठले गया। मैंने किताबों का गटà¥à¤ र उसके ठेले पर दे मारा। मारे कà¥à¤°à¥‹à¤§ के मेरा माथा à¤à¤¨à¥à¤¨à¤¾ रहा था मैं उसे कà¥à¤°à¥‹à¤§ में कà¥à¤› बोलता – कि वो कैसी अनà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤—ी, बेकार, रदà¥à¤¦à¥€ अपà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ किताबें बेचता है – सामने à¤à¤• नई नवेली चमचमाती किताब पर मेरी नजर पड़ी। किताब का नाम था – “चिंता छोड़ो सà¥à¤– से जिओ”। आह! तो ये है अलà¥à¤Ÿà¥€à¤®à¥‡à¤Ÿ, अंतिम किताब। मेरा गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ काफूर हो गया। मैंने ततà¥à¤•ाल उसे खरीदा और पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ मन घर वापस आया।
मेरी निराशा दूर हो चà¥à¤•ी है। हमेशा के लिà¤à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि मैंने किताब का पाठकर लिया है और उसे पूरा पढ़ लिया है और उसके उपदेशों को जीवन में उतार लिया है। दरअसल, जब à¤à¥€ मैं उसे पढ़ने के लिठउठाता हूं, और उसका शीरà¥à¤·à¤• पढ़ता हूà¤, मेरी सारी दà¥à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤‚ताà¤à¤‚ हवा में विलीन हो जाती हैं। मैं सारी चिंता वहीं छोड़ देता हूं – उस किताब को पढ़ने की चिंता को à¤à¥€ और मैं सà¥à¤– से जीने लग जाता हूं। किताब को मैंने अपने इबादतगाह में सबसे ऊपर रख दिया है और इसका शीरà¥à¤·à¤• ही मà¥à¤à¥‡ रोज-ब-रोज, हर वकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता रहता है। यह वो किताब है – ओह माफ कीजिà¤, यह किताब का वो शीरà¥à¤·à¤• है, जिसने मेरे जीवन में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ डाला है। जय हो।
मैं सफल हो गया हूà¤à¥¤ मैं महान हो गया हूà¤à¥¤ मैं धनवान, अरबपति हो गया हूठ– कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अब मैं इन बातों के लिठकतई कोई चिंता नहीं करता।
आप बताà¤à¤‚, कà¥à¤¯à¤¾ आप चिंता करते हैं? यदि हाà¤, तो मेरी सलाह मानें – “चिंता छोड़ो सà¥à¤– से जियो” नाम की यह किताब खरीद लाà¤à¤‚। पढ़ने व आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करने के लिठनहीं, उसकी पूजा करने के लिठ– जैसे कि मैं करता हूं।



