Author: रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ
अमृता इमरोज़: रूहानी रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की बयानी
उमा तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤• ने अपनी किताब में इमरोज़ और अमृता की रूहानी मोहबà¥à¤¬à¤¤ के जज़à¥à¤¬à¥‡ को तो खूबसूरती से अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किया ही है, साथ ही अमृता पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤® के जीवन के आखिरी लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ अपनी कलम से बख़ूबी बटोरा है। पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• अमृता इमरोज़ की रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ व रंजना à¤à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समीकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚।
मैं बोरिशाइलà¥à¤²à¤¾ : à¤à¥€à¤¡à¤¼ से अलग
बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ की मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿-गाथा पर केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ "मैं बोरिशाइलà¥à¤²à¤¾" महà¥à¤† माजी का पहला उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ है जो चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ à¤à¥€ हà¥à¤† और समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ à¤à¥€à¥¤ रवि कहते हैं कि थोड़ा बोà¤à¤¿à¤² होने के बावजूद यह अलग सा उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• विवरण के कारण बांगà¥à¤²à¤¾ जनजीवन को जानने समà¤à¤¨à¥‡ वाले और इतिहास में रà¥à¤šà¤¿ रखने वाले लोगों को दिलचसà¥à¤ª लगेगा।
सफल-असफल बनने की सतà¥à¤¯ तथाकथा
रवि रतलामी सफ़ल बनना चाहते थे, महान बनना चाहते थे। और खोजते खोजते उनका हाथ वो नà¥à¤¸à¥à¤–़ा लग ही गया जिससे वे महान ही नहीं, महानतम बन गये। तो देर किस बात की? आप à¤à¥€ बन जाइये उन के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€à¥¤
मोबाइल फ़ोन तेरे कितने रूप?
मोबाइल फ़ोन डिजिटल कैमरा, à¤à¤®à¤ªà¥€3 पà¥à¤²à¥‡à¤¯à¤°, à¤à¤«à¤¼à¤à¤® रेडियो के परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तो थे ही। अब आप इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कà¥à¤°à¥‡à¤¡à¤¿à¤Ÿ कारà¥à¤¡ के विकलà¥à¤ª के रूप में à¤à¥€ कर सकते हैं। रवि रतलामी बता रहे हैं दो इसी तरह की सेवाओं के बारे में, पहला à¤à¤¸à¤à¤®à¤à¤¸ आधारित पे-मेट तथा दूसरा मोबाइल à¤à¤ªà¥à¤²à¥€à¤•ेशन आधारित à¤à¤®-चेक।
पिपà¥à¤ªà¥€ के मोज़ों में कबाड़ से जà¥à¤—ाड़
पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾ में रवि रतलामी व देबाशीष लाये हैं बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिये नायाब पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें जिनमें शामिल हैं खेल खेल में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ सिखाने वाली "कबाड़ से जà¥à¤—ाड़" तथा "जॉय आफ मेकिंग इंडीयन टॉयà¥à¤œà¤¼", जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें "खिलौनों का खज़ाना" और "नज़र का फेर" तथा कथा कहानी के शौकीनों के लिये "समंदर और मैं" तथा "पिपà¥à¤ªà¥€ लंबेमोज़े"।




