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जन्मः जून १९६०, झारखंड की राजधानी राँची में। राँची विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर के पश्चात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से भौतिकी में पी. एच.डी। भारतीय प्रॊद्योगिकी संस्थान, मुम्बई में सी. एस.आई. आर की शोधवृत्ति पर शोध परियोजना के अंतर्गत कुछ वर्षों तक शोधकार्य। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्टीय वैझानिक शोध पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित।
छात्र जीवन में ही काव्य लेखन की शुरूआत। प्रारंभ में कालेज पत्रिका एवं आकाशवाणी तक सीमित। साहित्य से जुड़ाव एवं अपने को अभिव्यक्त कर पाने की क्षमता उस वातावरण की देन है जो उनके घर में सहज सुलभ था। इसी वजह से वैझानिक शोधकार्य के दिनों में भी लेखन क्षमता पल्लवित होती रही। पहली कहानी २००२ में जनसत्ता में प्रकाशित। उसी वर्ष विवाहोपरान्त अमेरिका आने पर यह सिलसिला विश्व हिन्दी न्यास, न्यूयॉर्क की पत्रिका "हिन्दी जगत" के माध्यम से पुन: जुड़ा।
अब तक लगभग सभी प्रमुख वेब पत्रिकाओं/पत्रिकाओं यथा अनुभूति, कृत्या, हिन्दी नेस्ट, साहित्य कुंज, कलायन तथा पुरवाई( लंदन), स्पाइल-दर्पण (नार्वे), कथाक्रम तथा वर्तमान साहित्य में कविताएँ, कहानियाँ प्रकाशित। कहानी "रोड टेस्ट" का तेलुगू में अनुवाद एवं "आन्ध्र ज्योति में प्रकाशन। इलानरेन के नाम से भी लेखन। एक काव्य संग्रह "धूप का टुकड़ा" प्रकाशनाधीन। अपने अधूरे अनाम उपन्यास पर पिछले वर्ष से कार्यरत। लेखन के अतिरिक्त योग, रेकी, बागवानी, फ़ोटोग्राफ़ी, पर्यटन एवं पुस्तकें पढ़ने में रुचि।
टामबाल कालेज, ह्यूस्ट्न में भौतिकी एवं गणित का प्राध्यापन। संप्रति हूस्टन, अमरीका में वास।
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रविन्द्र कालिया हिन्दी साहित्य जगत के सुपरिचित लेखक हैं‚ इनकी पत्नी ममता कालिया भी लोकप्रिय उपन्यासकार और कथा लेखिका हैं। दो वयस्क होते बच्चों के पिता रविन्द्र बड़े जीवन्त व्यक्ति हैं।
रविन्द्र कालिया उन विरल रचनाकारों में से एक हैं‚ जिन्होंने पिछले अरसे में कहानी में शिल्प‚ शैली और संवेदना के स्तर पर कई परिवर्तन किये हैं। उनकी लेखकीय परिपक्वता‚ सहजता और साहस का दस्तावेज है 'गालिब छुटी शराब'। जिगर की गम्भीर बीमारी से जूझते हुए जहाँ कोई रचनाकार टूट कर बिखर जाता वहीं रविन्द्र जी ने उसी संघर्ष को अपना पाथेय बना बड़ी बेबाकी से उसे पाठकों से रूबरू करवाया है।
रविन्द्र ने अब तक की अपनी ज़िन्दगी में चित्र–विचित्र बहुत से रंग देखे हैं‚ और हर हाल में मस्त रहे हैं। उनकी चौबीस प्रकाशित मौलिक पुस्तकें इसकी भरपूर मिसाल हैं।
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प्रोफ़ेसर यश पाल (जन्म: २६ नवंबर १९२६) भारतीय शिक्षाविद व वैज्ञानिक हैं। यश पंजाब विश्वविद्यालय से १९४९ में भौतिकी में स्नातक बने और १९५८ से मैसेश्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेकनलाजी से इसी विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
यश पाल अनेक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं जिन में शामिल हैं योजना आयोग में मुख्य सलाहकार (१९८३-१९८४), विज्ञान व तकनलाजी विभाग में सचिव (१९८४-१९८६) तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में अध्यक्ष (१९८६-१९९१)। पाल दूरदर्शन पर अत्यंत चर्चित विज्ञान कार्यक्रम टर्निंग प्वाईंट में भागीदारी व विज्ञान को साधारण शब्दों में आम जनता तक पहुंचाने के प्रयासों के कारण लोकप्रिय रहे हैं। वे भारत की छाप जैसे टीवी के विज्ञान कार्यक्रमों के सलाहकार मंडल में भी शामिल रहे हैं।
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वर्जीनिया स्थित वेनोना हॉटर को ऊर्जा, अन्न, जल एवं वातावरण से जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर व्यापक कार्यानुभव है। वे 1997 में पब्लिक सिटिज़न के साथ जुड़ीं, और निर्देशक बनीं उसके क्रिटिकल मास ऍनर्जी ऍंण्ड ऍन्वाइरनमेंट प्रोग्राम की, जो अणु-शक्ति, अणु-जूठन, ऊर्जा नीति, अन्न सुरक्षा और जल सम्बन्धी मुद्दों पर केन्द्रित है। वेनोना मेरीलैंड विश्वविद्यालय से ऍन्थ्रोपॉलोजी में स्नातकोत्तर हैं।
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