Category: वातायन
वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤
संसà¥à¤•ृतियों, लिबासों और à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के कॉकटेल कलकतà¥à¤¤à¤¾ में नीता के सामने शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² है, उसका वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨à¥¤ शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² पहली बार आया है यहाà¤, पर नीता का वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ अतीत उसे साल रहा है। वह कलकतà¥à¤¤à¤¾ को à¤à¥‚ल जाना चाहती है। वातायन में पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ 1963 में मनोरमा पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा में पà¥à¤°à¤•ाशित वीणा सिनà¥à¤¹à¤¾ की सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के अंतरà¥à¤¦à¤‚दà¥à¤µ पर लिखी कहानी जो आज à¤à¥€ सामयिक लगती है।
अमृता इमरोज़: रूहानी रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की बयानी
उमा तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤• ने अपनी किताब में इमरोज़ और अमृता की रूहानी मोहबà¥à¤¬à¤¤ के जज़à¥à¤¬à¥‡ को तो खूबसूरती से अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किया ही है, साथ ही अमृता पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤® के जीवन के आखिरी लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ अपनी कलम से बख़ूबी बटोरा है। पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• अमृता इमरोज़ की रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ व रंजना à¤à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समीकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚।
मैं बोरिशाइलà¥à¤²à¤¾ : à¤à¥€à¤¡à¤¼ से अलग
बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ की मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿-गाथा पर केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ "मैं बोरिशाइलà¥à¤²à¤¾" महà¥à¤† माजी का पहला उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ है जो चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ à¤à¥€ हà¥à¤† और समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ à¤à¥€à¥¤ रवि कहते हैं कि थोड़ा बोà¤à¤¿à¤² होने के बावजूद यह अलग सा उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• विवरण के कारण बांगà¥à¤²à¤¾ जनजीवन को जानने समà¤à¤¨à¥‡ वाले और इतिहास में रà¥à¤šà¤¿ रखने वाले लोगों को दिलचसà¥à¤ª लगेगा।
सफल-असफल बनने की सतà¥à¤¯ तथाकथा
रवि रतलामी सफ़ल बनना चाहते थे, महान बनना चाहते थे। और खोजते खोजते उनका हाथ वो नà¥à¤¸à¥à¤–़ा लग ही गया जिससे वे महान ही नहीं, महानतम बन गये। तो देर किस बात की? आप à¤à¥€ बन जाइये उन के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€à¥¤
कितना बोलती हो सà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾!
वातायन के कावà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤— में पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ यà¥à¤µà¤¾ कवि गौरव सोलंकी की कविता।





