इंटरनेट बुराइयों की जड़ है!
By रविशंकर श्रीवास्तव | November 4th, 2006 | Category: वातायन | 2 comments
अगर इंटरनेट नहीं होता तो सैकड़ों फ़िशर्स, स्पैमर्स, वायरस लेखक तो भूखे ही मर जाते। हैकरों और क्रैकरों का क्या होता। पॉर्न इंडस्ट्री कहां जाती? पढ़िये रविशंकर श्रीवास्तव की गुगदुगाने वाली रचना! »