विशà¥à¤µ की पहली इंटरैकà¥à¤Ÿà¤¿à¤µ धारावाहिक कथा
“हाई à¤à¤²à¤ªà¥€, कैसी हो?”
“ओह, केडी तà¥à¤®! कहाठगायब थे?”
“यहीं था। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ इंतज़ार में। वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो, या बात कर सकती हो?”
“अà¤à¥€ नहीं, वही अपना समय! दस बजे… जब अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾à¤½à¤½ होता है ;-)”
“ओके बाई, लाल परी!”
“बाऽआऽआईऽऽ”
अरॠअà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ है। वाकई वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥¤ चैट करने का समय अà¤à¥€ नहीं। बहà¥à¤¤ काम पड़ा है। रिपोरà¥à¤Ÿ बनाने हैं कल की मीटिंग के लिये, दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ फाईल निपटानी हैं। न! अà¤à¥€ चैट का टाईम नहीं। à¤à¤²à¥‡ ही केडी यानी कूल डà¥à¤¯à¥‚ड @ याहू डाट कॉम ही कयों न हो।
शाम हो जाती है। अरॠवà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ की वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥¤ दफà¥à¤¤à¤° से घर निकलने में à¤à¥€ देर। गाडी बेसमेंट दो में लगी है। घर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले दूध-बà¥à¤°à¥‡à¤¡-अंडा यानि रोजमरà¥à¤°à¤¾ की चीज़ें à¤à¥€ लेनी हैं। गरà¥à¤¦à¤¨ अकड़ गई है, उà¤à¤—लियाठटेà¥à¥€à¥¤
गाडी चलाते अरॠकà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं सोचती। हाईवे पर दस मिनट, फिर बाज़ार होते हà¥à¤¯à¥‡ करीब पंदà¥à¤°à¤¹ मिनट, पाà¤à¤š मिनट और कॉणà¥à¤¡à¥‹ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के पहले, फिर घर मतलब चैन।
सामान से लदी-फदी, लिफà¥à¤Ÿ का बटन बमà¥à¤¶à¥à¤•िल दबाया, लैच चाà¤à¥€ से घर खोला और दाखिल। सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ हो चली थी। फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हà¥à¤ˆ, फिर रसोई। चावल की तहरी चढ़ाई। रायता बनाया। पैकेट खोल कर सà¥à¤µà¥€à¤Ÿ-कॉरà¥à¤¨ सूप खौलाया। बोउल की बजाय कॉफी मग में ढारा और आखिर टीवी के सामने गदà¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर ढह गई। कोई बकवास टीवी सीरीयल को सूप की तरह ही आनंद लेते हà¥à¤¯à¥‡ घूà¤à¤Ÿ घूà¤à¤Ÿ देखा। आà¤à¤–ें थकान से मà¥à¤‚दी जा रही थीं। कà¥à¤› देर बाद पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ में खाना वहीं ले आई।
ये अरॠका रोज का रूटीन था। अरॠयानि अरà¥à¤‚धती सरन। à¤à¤• बेहद संकोची लड़की। शानà¥à¤¤, अंतरà¥à¤®à¥à¤–ी, शालीन। लेकिन उसके à¤à¥€ दो रूप हैं जेकिल और हाईड की तरह। न, ये कहना à¤à¥€ ठीक नहीं। आखिर हर इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ के अंदर à¤à¤• और रूप छिपा होता ही है। कà¤à¥€ उसे à¤à¥€ बाहर आने की तमनà¥à¤¨à¤¾ हो सकती है और अगर बाहर आ गई तो जेकिल हाईड थोड़े ही हो गई। आखिर अरॠà¤à¤• सामनà¥à¤¯ लड़की है, अगर पैंतीस साला को लड़की कहें तो। वैसे अरॠलड़की ही लगती है। छरहरा शरीर, साà¤à¤µà¤²à¤¾ सलोना रंग, तीखे नकà¥à¤¶à¥¤ बस à¤à¤• कमी है, बायें पैर से कà¥à¤› à¤à¤Ÿà¤• कर चलती है। बस इसी कारण अà¤à¥€ तक कà¥à¤à¤µà¤¾à¤°à¥€ कनà¥à¤¯à¤¾ का लेबल चिपकाये घूम रही है।
à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि विवाह के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ पर बात हर बार उसी बायें पैर पर आ कर टिक गई, जैसे विवाह उसके पूरे वजूद से नहीं सिरà¥à¤« उस बेचारे अà¤à¤¾à¤—े बायें पैर से हो रहा हो। ख़ैर, अब तो अरॠने à¤à¥€ मन बना लिया है कि शादी के à¤à¤®à¥‡à¤²à¥‡ में नहीं पड़ना। बीच में खà¥à¤¦ को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ था कि ये शादी वाले चोंचले को टाइमपास ही समà¤à¥‡, शायद तकलीफ कम हो। लेकिन बात फिर à¤à¥€ नहीं बनी। तकलीफ होती थी सो होती रही।
अब अरॠने à¤à¤• नया टाईम पास निकाला है। जैसे बचपन में पà¥à¥€ कहानियों में रात होते ही सारे खिलौने जिंदा हो जाते वैसे ही अरॠà¤à¥€ रात होते ही अपना चोला बदल लेती है। दिन की शानà¥à¤¤, मेहनती, संकोची à¤à¤•à¥à¤œà¤¼à¥€à¤•à¥à¤¯à¥‚टिव रात होते ही लाल परी यानि रेड फेयरी @ रीडिफमेल डॉट कॉम में बदल जाती है — चंचल, चपल, शोख शरारती, बीस-साला बिंदास बाला।
सब काम खतà¥à¤® हà¥à¤à¥¤ लाइट और टीवी बà¥à¤à¤¾ दिये गये। और कंपà¥à¤¯à¥‚टर सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ की नीली रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ रौशनी में अरॠकी उà¤à¤—लियाठकीबोरà¥à¤¡ पर फिसलने लगीं। लॉग इन किया। तà¥à¤°à¤‚त à¤à¤• मà¥à¤¸à¥à¤•ी (अरे à¤à¤ˆ सà¥à¤®à¤¾à¤‡à¤²à¥€!) सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ पर नमूदार हà¥à¤†à¥¤ अरॠके चेहरे पर पूरे दिन के बाद सà¥à¤•ून महंगे फेसपाउडर की तरह फैल गया।
“लाल परी! लाल परी! बहà¥à¤¤ इंतज़ार कराया! ”
“कहाà¤? बिलकà¥à¤² सही समय।” सà¥à¤ˆà¤¯à¤¾à¤ अब जाकर दस को छूती थीं।
कूल डà¥à¤¯à¥‚ड बिलकà¥à¤² कूल नहीं था। बड़ी जलà¥à¤¦à¥€ बेक़रार हो जाता। अरॠको केडी की यही बात बेहद पसंद थी। कोई शखà¥à¤¸ तो था जो उसके लिये बेक़रार था।
“तो.. कà¥à¤¯à¤¾ किया? कितने दिल तोडे आज?”
अरॠने दिन में खड़ूस सहकरà¥à¤®à¥€ के साथ बहस को दिमाग से परे धकेला। अपनी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ में फाइल के अंबार को अनगिनत दीवानों में तबà¥à¤¦à¥€à¤² किया। छोटा सा जादू था जो पलक à¤à¤ªà¤•ते हो जाता था… फिर इतरा कर (“वैसे सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ पर मकà¥à¤–ियों से अकà¥à¤·à¤° टाइप करते हà¥à¤¯à¥‡ कैसे इतराया जाता है?”) दो तीन मà¥à¤¸à¥à¤•ी टाईप कीं।
“लाशें बिछी आज तो!”
“ये ठीक नहीं। बेचारों का खà¥à¤¯à¤¾à¤² तो किया करो!”
“अब हम à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ करें?” बेखà¥à¤¦à¥€ का कà¥à¤¯à¤¾ आलम था, “हमने थोड़े ही कहा किसी को दिल तोड़ने को।”
इस सादगी पर कौन न मर जाये, खà¥à¤¦à¤¾!
“à¤à¤• दिल इधर à¤à¥€ तो है!”
“कà¥à¤¯à¤¾ टूटने को आतà¥à¤°?”
“अगर मिलो तो बतायें!”
“कहाà¤?”
“बरिसà¥à¤¤à¤¾, सिटी मॉल? शाम 6:30 बजे?”
अरॠअब मà¥à¤¶à¥à¤•िल में। मà¥à¤¶à¥à¤•िल कà¥à¤¯à¤¾, सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ खतरनाक। रेड अलरà¥à¤Ÿ ही समà¤à¥‹à¥¤ हाठकहे या ना? अà¤à¥€ तक सब कà¥à¤› बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ चल रहा था। रहसà¥à¤¯ पर से परà¥à¤¦à¤¾à¤«à¤¾à¤¶, इतनी जलà¥à¤¦à¥€…? पता नहीं केडी कैसा है और जो अरॠने खेल रचा है बीस साल की चपला का, उसका कà¥à¤¯à¤¾?
बात पूरे शबाब पर थी और जैसा कि होता है विलेन कमबख़à¥à¤¤ को बिलकà¥à¤² इसी वकà¥à¤¤ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ होता है वरना कहानी में बल कैसे पड़े। सो हमारी कहानी में à¤à¥€ विलेन धमक गया à¤à¤¨ वकà¥à¤¤ पर। अचानक बिजली जो गई तो फिर गई ही रह गई। अरॠकी उà¤à¤—लियाठकीबोरà¥à¤¡ पर थिरकने को मचलती रहीं। इतने दिनों बाद जाकर आज बात कà¥à¤› रासà¥à¤¤à¥‡ पर आई थी। दीवानगी और मिलने-मिलाने की बात शà¥à¤°à¥ हà¥à¤ˆ, आगे शायद à¤à¤•ाध सीढी और चà¥à¤¤à¥‡à¥¤ अब तक तो सीधी सचà¥à¤šà¥€ बातें ही होती थी, मसलन फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ की, गानों की या फिर “हेलो केडी” उधर से à¤à¥€ “हेलो! हेलो! हेलो!”। कई बार दो तीन बार “हेलो” कहते ही लिंक टूट जाता। कà¤à¥€ बड़ी बोर सी बातें होतीं। फिर कà¤à¥€ सरà¥à¤µà¤° डाउन, कà¤à¥€ बिजली गà¥à¤²à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ में चैट के सिलसिले को कैसे चटाखेदार बनाया जाय? मिरà¥à¤šà¥€ तो आज लगी है।
अरॠबिसà¥à¤¤à¤° में धंसे हà¥à¤¯à¥‡ कà¤à¥€ सोचती और मन ही मन मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥€à¥¤ जैसे बरसों फीका खाने के बाद कà¥à¤› तीखा चटक मà¥à¤à¤¹ के ज़ायके को चरपरा दे। कà¤à¥€ कà¤à¥€ बड़ी तीवà¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ होती कि ये कूल डà¥à¤¯à¥‚ड आखिर कैसा होगा। सचमà¥à¤š कूल या बेजान फीकी सी खिचड़ी। à¤à¤¸à¤¾ नहीं था कि केडी ही à¤à¤• था जिससे अरॠने चैट का सिलसिला शà¥à¤°à¥ किया था। पर फूलों के बीच से खर-पतवार तो उखाड़ना ही पड़ता है न? जितनी संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ केडी में दिखीं, वो औरों में नहीं। कà¥à¤› तो, बाद में पता चला कि दिलफेंक आशिक की बजाय नीरस टाईमपास करने वाले बूà¥à¥‡ खूसट निकले, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तीन चार बार की चैट के बाद ही पति-पतà¥à¤¨à¥€-और-वो की कहानी शà¥à¤°à¥ कर दी।
खैर आज बिजली न आठन सही! अरॠतकिये को बाà¤à¤¹à¥‹à¤‚ में à¤à¤° सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨-मà¥à¤—à¥à¤§ नायिका का पोज़ धरे केडी के सपनों में खो गई। (कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ)
सॉरी फॉर द वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ पर अरॠकी कथा को फिलहाल होना होगा अंतरà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¨! अगली किसà¥à¤¤ अगले अंक में, पर आप कहानी का अगला हिसà¥à¤¸à¤¾ खà¥à¤¦ रच सकते हैं शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¾à¤¨! यहीं टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ छोड़ें या patrikaa at gmail dot com पर विपतà¥à¤° से बतायें
- कà¥à¤¯à¤¾ अरॠकेडी से कल मिल ले?
- …या चैट कà¥à¤› और चले?
- और केडी कैसा हो? कूल डà¥à¤¯à¥‚ड या ठंडी खिचडी, जवान जहान या अधेड खूसट?
अपनी राय लिख डालिये मितà¥à¤°, फटाफट! जो à¤à¥€ होगी सरà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤ राय, कहानी की सà¥à¤Ÿà¥€à¤¯à¤°à¤¿à¤‚ग लेखिका वहीं देंगी घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥¤ बस फिर काहे का इंतज़ार, चटपट लिख डालो यहाठअपने विचार!


