Author: निरंतर पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा दल
देख तमासा
समसà¥à¤¯à¤¾ पूरà¥à¤¤à¤¿ निरंतर का à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¤à¤‚ठहै जहाठआप अपनी रचनातà¥à¤®à¤•ता परख सकते हैं। सà¥à¤¤à¤‚ठमें दिये चितà¥à¤° व शीरà¥à¤·à¤• के आधार पर रच डालिये कोई कविता, छंद या हाईकू। सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ रचना को मिलेगा आकरà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार।
नेताजी का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤·à¤£
1857 में हà¥à¤ˆ आज़ादी की पहली लड़ाई की 150वीं वरà¥à¤·à¤—ाà¤à¤ इस वरà¥à¤· देश à¤à¤° में मनाई जा रही है। इस मौके पर नेताजी सà¥à¤à¤¾à¤· चंदà¥à¤° बोस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिठगठà¤à¤• दà¥à¤°à¥à¤²à¤ à¤à¤¾à¤·à¤£ को हम पहली बार हिनà¥à¤¦à¥€ में पेश कर रहे हैं। यह à¤à¤¾à¤·à¤£ नेताजी ने समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ-कवि बहादà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¹ ज़फ़र की मज़ार पर हà¥à¤ आज़ाद हिनà¥à¤¦ फौज की आनà¥à¤·à¥à¤ निक कवायद और जलसे में 11 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, 1944 को दिया था। हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ व पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤ƒ अफ़लातून।
वाह वाह रामजी!
समसà¥à¤¯à¤¾ पूरà¥à¤¤à¤¿ निरंतर का à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¤à¤‚ठहै जिसमें दिये हये चितà¥à¤° और शीरà¥à¤·à¤• पर à¤à¤• छोटी सी कविता लिखनी होती है। कविता जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बड़ी न हो तो अचà¥à¤›à¤¾, चार लाईना हो तो उतà¥à¤¤à¤®, हाइकू हो तो कà¥à¤¯à¤¾ कहनें! तो कà¥à¤¯à¤¾ आप तैयार हैं à¤à¤¾à¤— लेने के लिये?
मन कहे
समसà¥à¤¯à¤¾ पूरà¥à¤¤à¤¿ निरंतर का à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता सà¥à¤¤à¤‚ठहै जिसमें दिये हये चितà¥à¤° और शीरà¥à¤·à¤• à¤à¤• छोटी सी कविता लिखनी होती है। कविता जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बड़ी न हो तो अचà¥à¤›à¤¾, चार लाईना हो तो उतà¥à¤¤à¤®, हाइकू हो तो कà¥à¤¯à¤¾ कहनें! तो कà¥à¤¯à¤¾ आप तैयार हैं à¤à¤¾à¤— लेने के लिये?
ठइंसानों, ओस न चाटो!
15 अगसà¥à¤¤ को सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ दिवस है और यह हमारे देश की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ का हीरक जयंती वरà¥à¤· है। इसी अवसर पर पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¬à¥‹à¤§ की कविता "ठइंसानों, ओस न चाटो!" और सोनी रतà¥à¤¨à¤¾ की कविता "सीखो बेखौफ़ साà¤à¤¸à¥‹à¤‚ का करà¥à¤œà¤¼ चà¥à¤•ाना"।

