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शशि सिंह की लेखनी ने टेलीविजन पर मायावी दुनिया गढ़ने से लेकर, पत्रकारिता में दुनिया की हकीकत बयां करने और फिर चिट्ठाकारी तक का सफर तय किया है। पत्रकारिता की मुख्यधारा छूट चुकी है लेकिन न तो मीडिया से नाता टूटा है और न ही खुद को पत्रकार कहना छोड़ा है। अब खुद को न्यू मीडिया के खांचे में पाते हैं, संप्रति मुम्बई में एक बहुराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी में प्रबंधक हैं। यहां उन पर मोबाइल पर वेल्यू एडैड सर्विसेज़ के लिए उपयोगी बॉलीवुड व क्षेत्रीय भाषाओं की सामग्री की पहचान और विकास की जिम्मेदारी है। शशि की कर्मभूमि मुम्बई भले हो लेकिन जड़े झारखंड के कोयला खदानों से होती हुई बिहार में सरयू नदी के तीर तक जाती है। भोजपुरी, नागपुरी व हिंदी के अलावा उन्हें पसंद हैं बच्चे। घर में पत्नी व पुत्र वेदांत के अलावा माता पिता व दो छोटे भाई हैं।
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वाराणसी निवासी अफ़लातून देसाई समाजवादी जनपरिषद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष व लोकप्रिय हिन्दी चिट्ठाकार हैं।
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दिल्ली के जगदीश भाटिया हिन्दी के पुराने चिट्ठाकारों में शुमार हैं. अपने चिट्ठे आईना में हास्य, विचार, अर्थशास्त्र, समाज और राजनीति पर लिखते हैं.
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जन्म: 5 अगस्त 1942 को कानपुर में। शिक्षा हाईस्कूल।
प्रकाशित कृतियां: कहानी संग्रह: कहां जाएगा सिद्धार्थ, काला हाण्डी, चांदनी हूं मैं¸ सिर फोड़ती चिड़िया।
हंस, कथादेश, कथाक्रम, वसुधा¸ साक्षात्कार और वागर्थ जैसी पत्रिकाओं में निरंतर कहानियां प्रकाशित। सम्प्रति – स्वतंत्र लेखन।
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