Category: वातायन
मोकà¥à¤· की दà¥à¤•ान बंद है
"चिरकà¥à¤Ÿ मिसिर का चिता की आग को उलट-पà¥à¤²à¤Ÿ कर हाथ व शरीर गरम करना, चिता जलने के बाद विषà¥à¤Ÿ के साथ ठेके पर दारू पीना और अब पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सारे करà¥à¤®à¤•ांड की बात à¤à¥‚लकर बिना नहाये रजाई में घà¥à¤¸à¤¨à¥‡ की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे देना। लगता है कि आज मोकà¥à¤· की दà¥à¤•ान बंद है।" पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ सशकà¥à¤¤ कथाकार गोविंद उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की लिखी कहानी।
सà¥à¤ªà¤¾à¤‰à¤¸ – शादी का सच: दà¥à¤¹à¤°à¤¾à¤¯à¤¾ वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯
शोà¤à¤¾ डे की अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤•र रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ चà¥à¤¹à¤² करते हैं कि ‘सà¥à¤ªà¤¾à¤‰à¤¸’ पढ़कर अपना वैवाहिक रिशà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ के बारे में सोचने से तो अचà¥à¤›à¤¾ है कि उस पैसे से मियाà¤-बीवी कोई फ़िलà¥à¤® देख अपनी शाम सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥€ बना लें।
इंटरनेट बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ की जड़ है!
अगर इंटरनेट नहीं होता तो सैकड़ों फ़िशरà¥à¤¸, सà¥à¤ªà¥ˆà¤®à¤°à¥à¤¸, वायरस लेखक तो à¤à¥‚खे ही मर जाते। हैकरों और कà¥à¤°à¥ˆà¤•रों का कà¥à¤¯à¤¾ होता। पॉरà¥à¤¨ इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ कहां जाती? पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ की गà¥à¤—दà¥à¤—ाने वाली रचना!
यादों के घरौंदे में à¤à¤• सोनचिरैया
जानीमानी पतà¥à¤°à¤•ार, गीतकार, कवियतà¥à¤°à¥€ और लेखिका सà¥à¤®à¤¨ सरीन का इस वरà¥à¤· अगसà¥à¤¤ में देहानà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ 25 साल पूरà¥à¤µ सà¥à¤®à¤¨ का पटना से मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ आना ही à¤à¤• साहसिक कदम था। वे विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ जगत और धरà¥à¤®à¤¯à¥à¤—, माधà¥à¤°à¥€ और पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ जैसी पतà¥à¤°à¤¿à¤•ाओं से जà¥à¥œà¥€à¤‚ और अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ का लोहा मनवाया। निरंतर संपादक शशि सिंह सà¥à¤®à¤¨ के सहयोगियों से मिले और सà¥à¤®à¤¨ की यादें ताज़ा कीं।
यायावरी शरद आया है
वातायन में पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ हिमानी की कविता "समय" और राकेश खंडेलवाल की कविता "यायावरी शरद आया है"।
