EG-Series: अकà¥à¤Ÿà¥à¤¬à¤° 2006
सूचना संचयन की इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤§à¤¨à¥à¤·à¥€ तकनीक
केरल के à¤à¤• à¤à¤®à¤¸à¥€à¤ के छातà¥à¤° सैनà¥à¤² ने रेनबो नामक à¤à¤¸à¥€ तकनीक का ईजाद किया है जिसमें डेटा न केवल कागज़ जैसे सामानà¥à¤¯ माधà¥à¤¯à¤® पर सà¥à¤Ÿà¥‹à¤° यानि संगà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ किया जा सकता बलà¥à¤•ि यह संगà¥à¤°à¤¹à¤£ रंगबिरंगी आकृतियों के रूप में किया जाता है। इस अधिक कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾, कम कीमत वाले परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¤¾à¤¨à¥à¤•ूल और आसान माधà¥à¤¯à¤® की रोचक जानकारी दे रहे हैं ईसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤
à¤à¤• दहकते शहर की दासà¥à¤¤à¤¾à¤¨
धरती के अनगिनत दरारों से उफनती गरà¥à¤® ज़हरीली गैसें, ज़मीन इतनी गरà¥à¤® कि जूते के तले गल जायें, हवा साà¤à¤¸ लेने के लिये नाकाफी। जैसे दोज़ख उतर आया हो धरा पर। सेंटà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ शहर है जहाठà¤à¥‚मीगत खदानों की à¤à¤¸à¥€ ही आग ने वहाठके बाशिंदो से उनकी ही ज़मीन हड़प ली। आमà¥à¤– कथा में पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ सेंटà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ जा चà¥à¤•े अतà¥à¤² अरोरा का लोमहरà¥à¤·à¤• आलेख।
पल में कोला, पल में तमाशा
कोला में कीटनाशक पाये जाने के बाद कोई कहता है कि à¤à¤®à¤à¤¨à¤¸à¥€ विकासशील देशों में निमà¥à¤¨à¤¤à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ मानक चलने देतीं हैं, तो कोई à¤à¤¨à¤œà¥€à¤“ पर शक करता है। कà¥à¤¯à¤¾ "à¤à¤•ीकृत खादà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ व मानक अधिनियम" दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिक इंजीनियरिंग से विकसित खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ बाजारों में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के चोर दरवाजे खà¥à¤² गये हैं? पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ अफलातून देसाई और अरà¥à¤œà¥à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‚प की रोचक बहस।
हिनà¥à¤¦à¥€ समांतर कोश: à¤à¤• विराट पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸
शबà¥à¤¦à¤•ोश से आप किसी à¤à¥€ शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ जान सकते हैं। लेकिन यदि आप किसी सटीक शबà¥à¤¦ की तलाश में हैं तो शबà¥à¤¦à¤•ोश अपने हाथ खड़े कर देगा। à¤à¤¸à¥‡ में आपको थिसारस की शरण में जाना होगा। अनूप शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ बता रहे हैं अरविंद व कà¥à¤¸à¥à¤® कà¥à¤®à¤¾à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ २० साल के अथक परिशà¥à¤°à¤® से तैयार हिनà¥à¤¦à¥€ समांतर कोश के बारे में।
मोकà¥à¤· की दà¥à¤•ान बंद है
"चिरकà¥à¤Ÿ मिसिर का चिता की आग को उलट-पà¥à¤²à¤Ÿ कर हाथ व शरीर गरम करना, चिता जलने के बाद विषà¥à¤Ÿ के साथ ठेके पर दारू पीना और अब पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सारे करà¥à¤®à¤•ांड की बात à¤à¥‚लकर बिना नहाये रजाई में घà¥à¤¸à¤¨à¥‡ की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे देना। लगता है कि आज मोकà¥à¤· की दà¥à¤•ान बंद है।" पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ सशकà¥à¤¤ कथाकार गोविंद उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की लिखी कहानी।