जसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के शà¥à¤·à¥à¤• इलाकों में महिलाओं को रोज़ाना घरेलू ज़रूरत का पानी लाने के लिये तकरीबन 4 घंटे चलना पड़ता है।
- दिसंबर 2003 में करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• ने तमिलनाडू को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पानी देने के उचà¥à¤šà¤¤à¤® नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के निरà¥à¤£à¤¯ पर आपतà¥à¤¤à¤¿ जतायी।
- तमिलनाडू में समय पर पानी नहीं मिल पाने के कारण फसलें काल कवलित होती रहीं।
- मधà¥à¤°à¤‚थगम के किसानों का विरोध है कि चैनà¥à¤¨à¤ˆ की ज़रूरतो को पूरा करने के लिये उनके जलाशय से पानी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लिया जा रहा है।
- à¤à¤¾à¤°à¤¤ व बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ में सेंकड़ो लोग, आरà¥à¤¸à¥‡à¤¨à¤¿à¤• जैसे खतरनाक रसायनों से पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित पानी पीने को मजबूर हैं, वहीं बोतलबंद पानी का 800 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤‚ का बाज़ार फलफूल रहा है।
- पà¥à¤²à¤¾à¤šà¥€à¤®à¤¾à¤¡à¤¾, केरल में पंचायत विरोध जताती है कोका कोला के संयंतà¥à¤° पर, जो उनके पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक संसाधनों का नाश कर रहा है, पर नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ आदेश देता है कि कोक अपना उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ शà¥à¤°à¥ कर सकता है और गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¸à¤à¤¾ को लाईसेंस देना ही पड़ेगा।
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गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में महिलाओं को पानी लाने के लिये 4 घंटे पैदल चलना पड़ता है। |
पानी लाने की जà¥à¤—त में लड़कियाठपाठशाला जाने की सोचें à¤à¥€ तो कैसे! |
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चितà¥à¤° आà¤à¤¾à¤°à¤ƒ रामकृषà¥à¤£à¤¨, आकाशगंगा परियोजना |
यह सारे तथà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ विकराल रूप धरते जलसंकट का रूप दिखाते हैं। जल मनà¥à¤·à¥à¤¯ की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ ज़रूरत है। यà¥à¤¨à¥‡à¤¸à¥à¤•ो जल को मानवाधिकार का दरà¥à¤œà¤¾ देती है। पर आज दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में लगà¤à¤— 100 करोड़ लोगों के पास पेयजल उपलबà¥à¤§ नहीं है। लगà¤à¤— और 290 करोड़ लोगों को सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯-रकà¥à¤·à¤¾ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¥à¤¯à¤¾ नहीं हैं। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि सनॠ2015 तक विशà¥à¤µ की आधी आबादी विकट जल संकट à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ को विवश होगी। इस संकट की जड़ कà¥à¤¯à¤¾ है? कà¥à¤¯à¤¾ घटते जल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से जल संकट पैदा हो रहा है? इस संकट से मà¥à¤•ाबला कैसे किया जाये ताकि सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¬à¥à¤¦à¥€ के अंत तक सबके लिये पानी का लकà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सके?
जल चकà¥à¤° वह पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है जिससे शà¥à¤¦à¥à¤§ जल का सतत पà¥à¤¨à¤°à¥à¤à¤°à¤£ होती रहती है।
- महासागर का जल वाशà¥à¤ªà¤¿à¤•ृत (evaporate) हो वाषà¥à¤ª का रूप धरता है।
- वाषà¥à¤ª का दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤à¤µà¤¨ (condensation) होता है और ये बादल का रूप धर लेते हैं।
- ठंडी ज़मीनी हवा के संपरà¥à¤• में आकर जल पातन कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ (precipitation) के नतीजतन बारिश या हिम के रूप में गिरती है।
- वरà¥à¤·à¤¾ जल
- पौधों और वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ से वाषà¥à¤ª में बदलता है।
- ज़मीन मे समाता है और à¤à¥‚मिगत जल, नदियों तथा महासागर की ओर बहने लगता है।
- पृथà¥à¤µà¥€ की सतह पर जलधारा के रूप मे बह कर महासागर में मिल जाता है।
शà¥à¤¦à¥à¤§ पेयजल पूरà¥à¤¤à¤¿ व जà¥à¥œà¥‡ खतरे
पृथà¥à¤µà¥€ पर मौजूद जलसंपदा का सिरà¥à¤« 2.5 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ ही शà¥à¤¦à¥à¤§ जल का सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ है। इसका à¤à¥€ दो तिहाई हिसà¥à¤¸à¤¾ धà¥à¤°à¥à¤µà¥€à¤¯ हिमपिंडो, बरà¥à¤« की तहों और गहरे à¤à¥‚मिगत संगà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ में कैद हैं। तो पूरी जलसंपदा के सिरà¥à¤« 0.5 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तक ही मानव की सहज पहà¥à¤à¤š है। यह शà¥à¤¦à¥à¤§ जलापूरà¥à¤¤à¤¿ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रà¥à¤ªà¥‹à¤‚ में अà¤à¤¿à¤—मà¥à¤¯ है। जल चकà¥à¤° जल का à¤à¤• से अनà¥à¤¯ रूप में रूपांतरण करता है (देखें बॉकà¥à¤¸à¤ƒ जल चकà¥à¤°), जिससे सतही तथा à¤à¥‚मिगत जल सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ की वरà¥à¤·à¤¾ तथा पिघलते हिमपिंडो से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जल से पà¥à¤¨à¤°à¥à¤à¤°à¤£ होता है। पर यह जानना ज़रूरी है कि अगर वरà¥à¤·à¤¾à¤œà¤² तथा सतही जल की सही तरीके से हारà¥à¤µà¥‡à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग न हो तो अधिकांश जल à¤à¥‚गरà¥à¤à¥€à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¯à¥‚फरà¥à¤¸ (पानी का संचय करने वाली पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ और मिटà¥à¤Ÿà¥€ की à¤à¥‚गरà¥à¤à¥€à¤¯ सतह) का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤à¤°à¤£ करने के बजाय समà¥à¤¦à¥à¤° के हतà¥à¤¥à¥‡ चॠजायेगा।
सà¥à¤µà¤šà¥à¤› जल की आपूरà¥à¤¤à¤¿ तकरीबन 7400 घनमीटर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· यानि लगà¤à¤— 4500 लीटर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन होती है। इससे आपको à¤à¤¸à¤¾ लगता होगा कि यह तो ज़रूरत से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है, पर लगातार बà¥à¤¤à¥€ मांग और घटती सपà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से वैशà¥à¤µà¤¿à¤• जल पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन में कई परेशानियाठहैं। ताज़े पानी के संसाधन विशà¥à¤µ में असमान रूप से फैले हà¥à¤ हैं। उदाहरणतः à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ में, जहाठसंसार की 60 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ जनसंखà¥à¤¯à¤¾ रहती है, विशà¥à¤µ के केवल 36 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ जल संसाधन हैं। इस असमान विà¤à¤¾à¤œà¤¨ से जल पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¨ पर दो तरह से असर होता है: पहला, पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जल की मातà¥à¤°à¤¾ घट जाती है, जिस का अरà¥à¤¥ है पानी की तंगी और कà¥à¤› इलाकों में संकट की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿; और दूसरा, à¤à¥‚मिगत जल के दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— से à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में नवीकरण योगà¥à¤¯ पानी तक हमारी पहà¥à¤‚च को और हानि पहà¥à¤‚चती है।
विशà¥à¤µ à¤à¤° के जल का 80 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ कृषि के लिठपà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥â€à¤¤ होता है। परनà¥à¤¤à¥ सिंचाई के लिठपà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होने वाले जल का 60 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ जाता है, रिसती नहरों, वाषà¥à¤ªà¥€à¤•रण और कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¨ के कारण। कृषि में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हà¥à¤ खाद और कीटनाशकों के अवशेष à¤à¥€ जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ को दूषित करने में अपनी à¤à¥‚मिका अदा करते हैं।
संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की विशà¥à¤µ जल रिपोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक, मानवीय और कृषि-समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ जूठन के रूप में 20 लाख टन गनà¥à¤¦à¤—ी और विषाकà¥à¤¤ जल हमारे पानी में मिल जाता है। इस गनà¥à¤¦à¤—ी और विषाकà¥à¤¤ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से ताज़े जल की उपलबà¥à¤§à¤¿ 58 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तक घटने का डर है। इस के अतिरिकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से होने वाले नाटकीय जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ से à¤à¥€ जल की उपलबà¥à¤§à¤¿ 20 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ घटने की आशंका है।
à¤à¤• धंसता शहर
मेकà¥à¤¸à¤¿à¤•ो शहर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ 15वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में विजेता सà¥à¤ªà¥‡à¤¨à¥€ सेना ने की। जो जगह पहले नेटिव इंडीयनà¥à¤¸ को जीवनोयापन का सहारा देने वाली à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ की नगरी हà¥à¤† करती थी विजेताओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शहर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने के लिये बरबाद कर दी गई। विडंबना ही है कि शहर के बà¥à¤¤à¥‡ आकार व ओदà¥à¤¯à¥‹à¤—िकीकरण से अà¤à¥€ à¤à¥€ à¤à¥‚जल का अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हो रहा है। शà¥à¤¦à¥à¤§ पेयजल की कमी के साथ साथ अपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सीवेज और रिसते पाईपों की बदौलत शहर हर 14 दिन में 2 सेंटीमीटर धंसता चला जा रहा है।
पानी के बà¥à¤¤à¥‡ उपà¤à¥‹à¤— और बढ़ते शहरीकरण के कारण पानी का संकट और à¤à¥€à¤·à¤£ होता जा रहा है। बढ़ते शहरीकरण के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¥‚मिगत जल का à¤à¥€ संसार के अनेक शहरों में ज़रूरत से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दोहन हो रहा है (देखें बॉकà¥à¤¸à¤ƒ à¤à¤• धंसता शहर)। à¤à¥‚मिगत जल के दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— से à¤à¥‚मि à¤à¥€ सिकà¥à¤¡à¤¼ रही है और हम जल संगà¥à¤°à¤¹à¤£ के सबसे ससà¥à¤¤à¥‡ पातà¥à¤° से à¤à¥€ हाथ धोने जा रहे हैं। जलसà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के संरकà¥à¤·à¤£ और शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤•रण में वन महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। वे पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण करने वाले ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को नदियों तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से रोकते हैं, बाढ़ रोकते हैं और à¤à¥‚मिगत जल के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤à¤°à¤£ में वृदà¥à¤§à¤¿ करते हैं।
अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि नà¥à¤¯à¥‚यॉरà¥à¤• नगर में वितरित जल का 25 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ à¤à¤¾à¤— जंगल ही साफ करते हैं। शहरीकरण दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वनों के कटाव और वेटलैंडà¥à¤¸ (जलयà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¥‚मिकà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°) के हनन से पानी के à¤à¤Ÿà¤•ने के रासà¥à¤¤à¥‡ खà¥à¤²à¥‡ हैं, जिस से कà¤à¥€ बाढ आती हैं तो कà¤à¥€ सूखा पड़ता है।
किसी à¤à¥€ देश के जल की खपत का सà¥à¤¤à¤° और तरीका वहाठके आरà¥à¤¥à¤¿à¤• विकास के सà¥à¤¤à¤° का à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सूचक है। विकासशील देशों के लोग, विकसित देशों के लोगों से काफी कम पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जल खरà¥à¤š करते हैं। इस के अतिरिकà¥à¤¤, विकासशील देशों में जल संसाधनों का अधिकतर à¤à¤¾à¤— कृषि पर खरà¥à¤š होता है जबकि विकसित देशों में पानी का उपयोग कृषि और उदà¥à¤¯à¥‹à¤— में लगà¤à¤— बराबर वितरित रहता है (साथ का गà¥à¤°à¤¾à¤« देखें)।
आरà¥à¤¥à¤¿à¤• विकास से समाज की जीवन शैली में परिवरà¥à¤¤à¤¨ आता है – यानी शहरीकरण, पाईपों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पानी की पहà¥à¤à¤š, अनाज/माà¤à¤¸ की खपत में वृदà¥à¤§à¤¿, अधिक औदà¥à¤¯à¥‹à¤—ीकरण – यानि कि हर à¤à¤¸à¥€ चीज़ जिस से पानी की खपत पर सीधा असर पड़े। अमरीका में औसत पà¥à¤°à¤¤à¤¿ परिवार जल-खपत 1900 में 10 घन मीटर से बढ़ कर 2000 में 200 घन मीटर तक पहà¥à¤à¤š गई, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अधिकाधिक लोगों के लिठजल का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ कà¥à¤“ं और सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• नलों से बदल कर घरों के नल हो गà¤à¥¤
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पानी से जà¥à¥œà¥‡ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जल के दो मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ हैं – वरà¥à¤·à¤¾ और हिमालय के गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤°à¥‹à¤‚ का हिम-पिघलाव। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वारà¥à¤·à¤¿à¤• वरà¥à¤·à¤¾ 1170 मिलीमीटर होती है, जिस से यह संसार के सब से अधिक वरà¥à¤·à¤¾ वाले देशों में आता है। परनà¥à¤¤à¥, यहाठà¤à¤• ऋतॠसे दूसरी ऋतॠमें, और à¤à¤• जगह से दूसरी जगह पर, होने वाली वरà¥à¤·à¤¾ में बहà¥à¤¤ अधिक अनà¥à¤¤à¤° हो जाता है। जहाठà¤à¤• सिरे पर उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥‚रà¥à¤µ में चेरापूà¤à¤œà¥€ है, जहाठहर साल 11000 मिलीमीटर बौछार होती है, वहीं दूसरे सिरे पर पशà¥à¤šà¤¿à¤® में जैसलमेर जैसी जगहें हैं जहाठमà¥à¤¶à¥à¤•िल से 200 मिलीमीटर सालाना बारिश होती है। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लोगों को यह यकीन करना मà¥à¤¶à¥à¤•िल लगता होगा कि गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में इस मानसून की बाॠमें 2000 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का आरà¥à¤¥à¤¿à¤• नà¥à¤•सान हà¥à¤† या फिर कि हिमाचल की सतलज नदी की बाà¤à¤§ से हज़ारों लोग बेघर हो गये या यह कि हाल की बहà¥à¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ से मà¥à¤‚बई का जनजीवन ही असà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गया।

शहरी दरिदà¥à¤° के लिये शà¥à¤¦à¥à¤§ पेयजल अà¤à¥€ à¤à¥€ सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ मातà¥à¤° है। चितà¥à¤°à¤ƒ सोमनाथ मà¥à¤–रà¥à¤œà¥€ (à¤à¤¡, बॉसà¥à¤Ÿà¤¨)
हालांकि बरà¥à¤« व गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° ताजे पानी के इतने अचà¥à¤›à¥‡ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• नहीं हैं, पर वे इसे बांटने के अचà¥à¤›à¥‡ साधन हैं व जरà¥à¤°à¤¤ के समय पानी देते हैं, जैसे कि गरà¥à¤®à¥€ में। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 80 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ नदियों का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जून से लेकर सितमà¥à¤¬à¤° तक के चार महीनों मे होता है जबकि गरà¥à¤®à¥€ व उमस से à¤à¤°à¥€ समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ हवा उतà¥à¤¤à¤° पूरà¥à¤µ से अंदर की ओर आती है (दकà¥à¤·à¤¿à¤£ पशà¥à¤šà¤¿à¤® मानसून का मौसम)। पानी की कमी à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बड़ी तेजी से à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रूप लेती जा रही है। विशà¥à¤µ बैंक की à¤à¤• रपट के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, जब जनसंखà¥à¤¯à¤¾ 2025 में बढ़कर 140 करोड़ हो जाà¤à¤—ी, पानी की बढ़ी हà¥à¤ˆ जरà¥à¤°à¤¤ को पूरा करने के लिठदेश की सà¤à¥€ जल सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ का उपयोग करना पड़ेगा।
बढ़ती आबादी का दबाव, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• विकास और नाकारा सरकारी नीतियों ने जल सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के अतà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— तथा पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को बढ़ावा दिया है। पà¥à¤¨à¤°à¥à¤à¤°à¤£ से दà¥à¤—नी दर पर ज़मीनी पानी बाहर निकाला जा रहा है जिससे कि जलसà¥à¤¤à¤° हर साल 1 से 3 मीटर नीचे गिर जाता है। विशà¥à¤µ बैंक की à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ की बीस बड़ी नदियों में से पाà¤à¤š का नदी बेसिन पानी की कमी के मानक 1000 घन मीटर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· से कम है और अगले तीन दशकों में इस में पाà¤à¤š और नदी बेसिन à¤à¥€ जूड़ेंगे।
जल पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण à¤à¤• गमà¥à¤à¥€à¤° समसà¥à¤¯à¤¾ है व जल के उपलबà¥à¤§ साधनों पर और अधिक दबाव डालती है। जल मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, à¤à¤¾à¤°à¤¤ का 70% सतह जल व बढ़ते हूठजमीनी जल के à¤à¤‚डार जैविक, व जहरीले रसायनों से पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित हैं। वरà¥à¤²à¥à¤¡ वॉटर इंसà¥à¤Ÿà¤¿à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गंगा नदी, जो कि अनेकों à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का मà¥à¤–à¥à¤¯ जल सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ है, में हर मिनट 11 लाख लीटर गंदा नाले का पानी गिराया जाता है। यूनेसà¥à¤•ो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दी गई विशà¥à¤µ जल विकास रिपोरà¥à¤Ÿ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पानी को दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित पानी में तीसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रखा गया है।
हरित कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति
हरित कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति में तीन मà¥à¤–à¥à¤¯ कारक थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ को अनà¥à¤¨ निरà¥à¤à¤° देश से दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे बड़े कृषक देशों में बदल दिया
- कृषि योगà¥à¤¯ à¤à¥‚मि में लगातार विसà¥à¤¤à¤¾à¤°
- चालू कृषि à¤à¥‚मि में दोहरी फसलें – जिस से कि हर साल à¤à¤• की जगह दो बार उपज की कटाई होती थी
- आनà¥à¤µà¤‚शिक विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बेहतर बीजों का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—
हरित कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति से रिकारà¥à¤¡ तोड़ अनà¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ हà¥à¤† व पà¥à¤°à¤¤à¤¿ यूनिट उपज à¤à¥€ बढ़ी। लेकिन इस से परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पर बà¥à¤°à¤¾ असर à¤à¥€ पड़ा। कृषि-रसायनों पर आधारित खरपतवार नाशकों के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— ने आसपास के वातावरण व मानव सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पर à¤à¥€ असर डाला है। सींचित à¤à¥‚मि के बढ़ावे से जमीन की लवणता में à¤à¥€ वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆ है।
जल पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के अनेक सà¥à¤°à¥‹à¤¤ हैं जिनमें समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं – घरेलू सीवेज, कृषि à¤à¤µà¤‚ औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक अपशिषà¥à¤Ÿà¥¤ साठ– सतà¥à¤¤à¤° के दशक की “हरित कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति” ने ढेरों परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® दिया (देखें बॉकà¥à¤¸à¤ƒ हरित कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति)। कृषि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में बेतहाशा इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किठजा रहे कीटनाशकों तथा कृतà¥à¤°à¤¿à¤® खादों ने जल में घà¥à¤² मिलकर जलचरों के जीवन तक पहà¥à¤à¤š बना ली है तथा जल को उपयोग हेतॠअयोगà¥à¤¯ बना दिया है।
शहरी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में जल पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण है नालियों का मलमूतà¥à¤° यà¥à¤•à¥à¤¤ गंदा पानी तथा उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों का रसायन यà¥à¤•à¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤°à¥à¤œà¤¨ जो बह-बह कर नदियों में मिलता रहता है। हर साल करीब 5 करोड़ घन मीटर गैर-उपचारित शहरी नालों का गंदा पानी इन नदियों में बहाया जाता है जिससे à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सà¤à¥€ चौदह नदी तंतà¥à¤° à¤à¤¯à¤‚कर रूप से पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित हो चà¥à¤•ी हैं। इसी तरह, औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤¸à¤°à¥à¤œà¤¿à¤¤ 55 अरब घन मीटर पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित जल में से 6.85 करोड़ घन मीटर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ नदियों में, बिना किसी पूरà¥à¤µ उपचार के, सीधे सीधे बहा दिया जाता है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के 80 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में घरेलू जल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ तथा 45 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में कृषि कारà¥à¤¯ हेतॠà¤à¥‚गरà¥à¤ जल ही इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² में आता है। à¤à¥‚गरà¥à¤ जल पर यह à¤à¤¾à¤°à¥€-à¤à¤°à¤•म निरà¥à¤à¤°à¤¤à¤¾ इसके पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ को तेज़ी से ख़तà¥à¤® कर रही है। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤, उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ तथा दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥‚गरà¥à¤ जल सà¥à¤¤à¤° में तेज़ी से गिरावट दरà¥à¤œ की जा रही है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ अà¤à¥€ अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के दौर से गà¥à¤œà¤° रहा है जो जल संकट को और à¤à¥€ गहरा करेगा। जैसे जैसे गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ का पलायन शहरी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की ओर बढ़ता जाà¤à¤—ा, घरेलू तथा उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों की बढ़ती जरूरतों की वजह से जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ पर और à¤à¥€ अधिक à¤à¤¾à¤° पड़ता जाà¤à¤—ा।
संघरà¥à¤·
जल संकट के कारण साà¤à¤¾ जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ पर विवाद और संघरà¥à¤· पैदा होने की आशंका निरà¥à¤®à¥‚ल नहीं है। करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• तथा तमिलनाडॠराजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच कावेरी जल विवाद इसका अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® उदाहरण है। दोनों ही राजà¥à¤¯ सिंचाई हेतॠकावेरी नदी के जल पर निरà¥à¤à¤° हैं। मानसून अगर देरी से आता है या अवरà¥à¤·à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होती है तो नदी के जल के उपयोग के लिठहर बार विवाद की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बन जाती है। यह विवाद सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ कृषकों के विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨ से और अधिक तीवà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ जटिल हो गया है जो जीवनयापन के लिठकावेरी नदी के जल पर निरà¥à¤à¤° हैं।
कृषि उपज के असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ तौर तरीक़ों तथा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€-पारंपरिक वरà¥à¤·à¤¾ जल संगà¥à¤°à¤¹à¤£ तंतà¥à¤° के बेजा इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² के कारण जल के लिठसंघरà¥à¤· तीवà¥à¤°à¤¤à¤° होता जा रहा है। कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤° वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• लाà¤à¥‹à¤‚ के लिठतंजावूर डेलà¥à¤Ÿà¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ तमिलनाड़ॠके बड़े किसान धान की तीन तीन फसलें लेते हैं जिसके पैदावार के लिठजल की अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• आवशà¥à¤¯à¤•ता होती है। करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• में मंदà¥à¤¯à¤¾ के किसान गनà¥à¤¨à¥‡ की खेती करते हैं – जो à¤à¤• कैश कà¥à¤°à¥‰à¤ª है पर जिसके लिठà¤à¥€ अतिरिकà¥à¤¤ जल की आवशà¥à¤¯à¤•ता होती है।
हाल ही में पंजाब सरकार अपने उस वादे से मà¥à¤•र गई जो वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के जल को हरियाणा और राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के बीच साà¤à¤¾ करने के लिठसतलज यमà¥à¤¨à¤¾ लिंक बनाया जाने के लिठदिया गया था। हालाकि हरियाणा के तटवरà¥à¤¤à¥€ इलाकों में वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी नहीं बहती है, परंतॠयह नदी जल समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ दरअसल 1976 में हरियाणा के पंजाब अलग होने से पहले का है, लिहाजा हरियाणा का à¤à¥€ इस पर हक है। पर, तब से ही पंजाब अपने गहन कृषि उपयोग के लिठउस जल पर अपना दावा जताता रहा है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ तथा विशà¥à¤µ में अनेक जगहों पर कई नदियाठदो या अधिक देशों में से होकर बहती हैं। इन नदियों के जल सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° विवादों से घिरे रहे हैं कि किस देश का कितना हक बनता है। आज की महती आवशà¥à¤¯à¤•ता यह है कि कृषि को तरà¥à¤•संगत बनाया जाà¤, जल वितरण नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ संगत तरीके से किया जाठतथा राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ और कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर ठोस जल पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन नीति लागू की जाà¤à¥¤
बहस निजीकरण की
जैसे जैसे जल संरकà¥à¤·à¤£ की जरूरतें बढ़ती जाà¤à¤—ी, वैसे वैसे नीति निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•ों तथा उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों के बीच निजीकरण पर बहसें नया रूप लेती रहेंगी। आज के विशà¥à¤µ में जहाठवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ जल के लिठअपनी गांठसे खरà¥à¤š कर रहा है, वहीं कृषि तथा उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों को जल के लिठसिंचाई के लिठनहरों और टैकà¥à¤¸ छूट इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के जरिठआरà¥à¤¥à¤¿à¤• सहायता मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ किठजा रहे हैं। ऊपर से, शहरी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जल वितरण पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बढ़ती जरूरतों, à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°, जल चोरी और ढहते आधारिक संरचना के चलते असफल होती जा रही हैं।
पानी का निजीकरणः बोलिविया का सबक
दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अमेरिका के बोलिविया में जलवितरण का निजीकरण करने का नतीजा निकला पानी की कीमतों में बà¥à¥‹à¤¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ, पानी पहà¥à¤à¤š से परे हो गया। कोचाबंबा में जलवितरण के निजीकरण का ठेका बेकटेल नामक कंपनी को मिला। बेकटेल ने तà¥à¤°à¤‚त कीमतें दोगà¥à¤¨à¥€ कर दीं और शà¥à¤²à¥à¤• आधारित परमिट के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ घरों में वरà¥à¤·à¤¾à¤œà¤² के संचयन पर à¤à¥€ रोक लगा दी। कंपनी के इन मनमाने कदमों को वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जनविरोध का सामना करना पड़ा और अंततः बेकटेल को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। इसके बाद बेकटेल ने बोलिविआई सरकार पर ढाई करोड़ डालर का दावा ठोंक दिया, जो कंपनी का कथित विशà¥à¤¦à¥à¤§ मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ होता यदि उसे काम करने दिया जाता।
जलसंसाधनों के निजीकरण की बहस जल को उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ सामगà¥à¤°à¥€ बनाने के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ है और à¤à¤• सीधी विचारधारा पर आधारित हैः यदि जल संचयन समय की पà¥à¤•ार है तो जल का मूलà¥à¤¯ अदा करने की मजबूरी जलसंचयन को बढावा ही देगी। लेकिन बहस इतनी सीधी à¤à¥€ नही है। पहले तो, जलसंचयन से गरीब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, जो कि आहार शà¥à¤°à¤à¤–ला के सिरे पर होते हैं, और अधिक जलसंचय करने को मजबूर होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि पहले ही उसकी पानी तक पहà¥à¤à¤š कम है और वह पानी का अधिक मूलà¥à¤¯ वहन à¤à¥€ नही कर सकता। पानी का निजीकरण à¤à¤•ाधिकार को बढावा देगी कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि ढाà¤à¤šà¤¾à¤—त लागत की वसूली में जल कंपनियों को समय लगेगा और इस दौरान उसके जल वितरण पर निवारक अधिकार रहेंगे। यह à¤à¤•ाधिकार कंपनियों को गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•ों से पानी की बढी कीमतें लेने की à¤à¥€ इजाज़त दे देगा (देखें बॉकà¥à¤¸à¤ƒ पानी का निजीकरणः बोलिविया का सबक)।
à¤à¤¸à¥€ हालत में जब कि पानी की कीमत समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही वहन की जानी है, कà¥à¤¯à¤¾ निजी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को पानी जैसे बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ संसाधन से लाà¤à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨ की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ देनी चाहिà¤? तेजी से फैलते वैशà¥à¤µà¥€à¤•रण में जल का वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€à¤•रण उसे उन लोगों से छीन लेगा जो कीमत वहन नही कर सकते।
नदियो का यà¥à¤—मन – चमतà¥à¤•ार या मृगमरीचिका?
पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में नदियों को जोड़ने की योजना को खासा समरà¥à¤¥à¤¨ मिला है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 37 नदियों को तीस कड़ियों, दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ और हजारों मील लंबी नहरों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जोड़ना 10,000 करोड़ रूपये का à¤à¤• à¤à¤¾à¤—ीरथ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ होगा। इस योजना के मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ हैं:
- 340 लाख हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° à¤à¥‚मि की सिंचाई
- गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£, शहरी और औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक आवशà¥à¤¯à¤•ताओं के लिये पेयजल।
- जलविदà¥à¤¯à¥à¤¤ जनरेटरों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 34000 मेगावाट का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨à¥¤
- नदीयों के नेटवरà¥à¤• पर अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ परिवहन
- परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ सà¥à¤§à¤¾à¤° और वनीकरण का विकास
- रोजगार सृजन
- राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤•ता
यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ इनमें कà¥à¤› उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं पर जनता à¤à¤µà¤‚ गैरसरकारी संगठनों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤› सवालिया निशान à¤à¥€ लगाये गये हैं। à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ सरà¥à¤®à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤¨.डी.ठसरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकी गई इस परियोजना का कॉगà¥à¤°à¥‡à¤¸ सरà¥à¤®à¤¥à¤¿à¤¤ यू.पी.ठसरकार के नेतृतà¥à¤µ मे कà¥à¤¯à¤¾ हशà¥à¤° होता है यह à¤à¥€ असà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है। सरकारी दावा है कि नदियों को जोड़ने वाली आठनहरों के तकनीकी औचितà¥à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ पूरे कर लिठगठहैं, फिर à¤à¥€ इन रिपोरà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ को सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• नहीं किया गया है। à¤à¤¸à¥‡ दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¥›à¥‹à¤‚ तक पहà¥à¤à¤š न हो तो सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° संगठनों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सरकार के दावों की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ कठिन हो जाती है। उदाहरणतः यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नहीं है कि परियोजना से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कितनी ऊरà¥à¤œà¤¾ खà¥à¤¦ परियोजना को चलाने में खरà¥à¤š होगी ताकि पानी को अधिक ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ तक उठाया जाà¤à¥¤ यह à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नहीं है कि कà¥à¤¯à¤¾ रिसती नहरों को ठीक करने और सिंचाई की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ जैसे वैकलà¥à¤ªà¤¿à¤• समाधानों को à¤à¥€ मदà¥à¤¦à¥‡ नज़र रखा जा रहा है अथवा नहीं।
कà¥à¤¯à¤¾ बाà¤à¤§ à¤à¤• समाधान हैं?
बीसवीं सदी गवाह रहा ढेरों बड़े बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का। आज विशà¥à¤µ में करीब 48000 बाà¤à¤§ हैं जो बढती जनसंखà¥à¤¯à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•ताओं की पूरà¥à¤¤à¥€ कर रहे हैं। संपà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ व चीन विशà¥à¤µ के बड़े बाà¤à¤§ निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं में शामिल हैं। पर विरले ही à¤à¤¸à¥‡ शोध किये गये जिससे यह पता लगे कि कà¥à¤¯à¤¾ बाà¤à¤§ उन उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤¤à¥€ कर à¤à¥€ रहे हैं या नहीं, जिनके लिठउनका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤†à¥¤
पिछले दशक में वरà¥à¤²à¥à¤¡ कमिशन आन डैमà¥à¤¸ (बाà¤à¤§ पर वैशà¥à¤µà¤¿à¤• आयोग), जिसमें उदà¥à¤¯à¥‹à¤—पति, अà¤à¤¿à¤¯à¤‚ता, नीति निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• और गैरसरकारी संगठन शामिल होते हैं, दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बाà¤à¤§à¥‹ की लागत और उनसे लाठके मूलà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤à¤¨ पर शोध किया गया। उनके शोध से यह साबित हà¥à¤† कि à¤à¤²à¥‡ ही फायदे हà¥à¤ हों, पर बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कि लागत उनसे होने वालो लाà¤à¥‹à¤‚ से कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। आयोग की सलाह थी कि बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ विकलà¥à¤ªà¤¹à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में ही करना चाहिà¤à¥¤
बहà¥à¤¤ से आदिवासी, किसान और मछà¥à¤†à¤°à¥‡ नदियों के किनारों पर रहते हैं और अपनी जीविका के लिठनदियों पर निरà¥à¤à¤° रहते हैं। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 1950 से बने बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ के कारण पहले ही 2 करोड़ लोग विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गठहैं। बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ की आयॠ30 से 50 साल रहती है। आजकल पशà¥à¤šà¤¿à¤® में परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को हà¥à¤ˆ हानि के चलते बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ को तोड़ा जा रहा है। बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ से जंगल कट गठहैं, हज़ारों à¤à¤¸à¥‡ वनपà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚, जो बाढ़ को रोकने और पानी को ज़मीन में सोखने में मदद करते, का सफाया हो गया है। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¾à¤–ड़ा नांगल परियोजना के हाल के विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ से पता चला है कि इस बाà¤à¤§ से मिले पानी से पंजाब की सिंचाई की मांग की केवल 10% पूरà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है, और à¤à¥‚मिगत जल का घटाव राजà¥à¤¯ में खतरनाक गति से जारी है।
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच बेहतर सहयोग की मांग करता है। परनà¥à¤¤à¥ कई राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ योजना को समरà¥à¤¥à¤¨ देने से मना कर दिया है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दूसरे राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ पानी बाà¤à¤Ÿà¤¨à¤¾ पड़ेगा। नदियों की घाटियाठअनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ जल निकाय हैं और उन पर अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ जल सनà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤ लागू होती हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ और उसके पड़ोसियों के बीच पानी के समà¥à¤šà¤¿à¤¤ विà¤à¤¾à¤œà¤¨ पर कोई सहमति नहीं है।
विशà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ जल समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में निपà¥à¤£ सानà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ पोसà¥à¤Ÿà¥‡à¤² के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, जल संरकà¥à¤·à¤£ और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ संसाधनों का सकà¥à¤·à¤® पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£-संबनà¥à¤§à¥€ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से, बाà¤à¤§ बनाने और पानी के वैकलà¥à¤ªà¤¿à¤• सà¥à¤°à¥‹à¤¤ खोजने की अपेकà¥à¤·à¤¾ अधिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ है। नदियों के पारसà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ और अनà¥à¤¯ वैकलà¥à¤ªà¤¿à¤• समाधानों के लाठऔर लागत पर सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• चरà¥à¤šà¤¾ को बहà¥à¤¤ अधिक महतà¥à¤¤à¤¾ दी जानी चाहिà¤, इस से पहले कि ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर हो जाà¤à¥¤
समाधान

वरà¥à¤·à¤¾à¤œà¤² संचयन (रेनवॉटर हारà¥à¤µà¥‡à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग) से राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के अलवर जिले में पिछले तीन साल से सूखे के पà¥à¤°à¤•ोप से निजात पा रखी है।
जहाठचेरापूà¤à¤œà¥€, जिसे दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सब से वरà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रà¥à¤ª में जाना जाता है, जल की कमी से लगातार जूठरहा है, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का अलवर ज़िला, जहाठवारà¥à¤·à¤¿à¤• वरà¥à¤·à¤¾ मातà¥à¤° 300 मिलीमीटर होती है, असफल मानसून के रहते à¤à¥€ तीन साल से जल की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° रहा है। यह तà¤à¥€ संà¤à¤µ हो पाया जब à¤à¤¸à¥‡ जोहड़ बनाठगठऔर ठीक किये गà¤, जिन में मानसून के दौरान बारिश का पानी जमा किया जाता है, ताकि साल à¤à¤° पानी दसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¬ रहे। पानी के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— का नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ सामà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• निरà¥à¤£à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाता है और à¤à¤¸à¥‡ कारà¥à¤¯ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ होते हैं जिन से जल-संवरà¥à¤§à¤¨ को हानि पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥€ है, जैसे पशà¥à¤“ं को अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• चराना। जल संकट सिर पर होने के कारण गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¤¸à¥‡ समाधानों की ओर रà¥à¤– कर रहे हैं जो पारंपरिक रूप से à¤à¤¾à¤°à¤¤ और अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होते रहे हैं। महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में रालेगाà¤à¤µ सिदà¥à¤§à¤¿ से लेकर राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के अलवर ज़िले में और तमिलनाड़ के कई इलाकों में छोटे बाà¤à¤§ और तालाब ठीक किये जा रहे हैं ताकि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ जल समसà¥à¤¯à¤¾ को हल किया जाà¤à¥¤
जल संरकà¥à¤·à¤£ के दस साधारण नियम
- हर दिन à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ काम करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करें जिससे जल बचाया जा सके। फिकà¥à¤° न करें अगर यह कम है, हर बूà¤à¤¦ की कीमत है। आप का कदम बदलाव ला सकता है।
- पानी उतना ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करें जितना ज़रूरत हो, जैसे कि दाà¥à¥€ बनाते या बà¥à¤°à¤¶ करते वकà¥à¤¤ नल बंद कर दें।
- कोशिश करें कि आपके घर के अंदर व बाहर कहीं से पानी का रिसाव नहीं हो रहा हो।
- सबà¥à¤œà¤¼à¥€, दाल, चावल को धोने में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ पानी फेंके नहीं। इसे फरà¥à¤¶ साफ करने या पेड़ों को पानी देने के काम में लाया जा सकता है।
- अपनी गाड़ी धोते वकà¥à¤¤ पाइप की जगह बालà¥à¤Ÿà¥€ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करें।
- अपने समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में समूह बनाये जो जल संरकà¥à¤·à¤£ और वरà¥à¤·à¤¾ जल हारà¥à¤µà¥‡à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देता हो। अपने इलाके के लिये साधारण वरà¥à¤·à¤¾ जल हारà¥à¤µà¥‡à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ बनायें। छत के जल का संचय कर व छान कर घरेलू पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के लिये शà¥à¤¦à¥à¤§ पानी पाया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिये यह जालसà¥à¤¥à¤² देखें।
- अपने शौचालय में लो-फà¥à¤²à¤¶ या डà¥à¤¯à¥‚अल फà¥à¤²à¤¶ जैसे फà¥à¤²à¤¶ उपकरण लगवा कर आप पानी बचा सकते हैं।
- नहाते वकà¥à¤¤ शॉवर की जगह बालà¥à¤Ÿà¥€ व मग का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करें।
- अगर वाशिंग मशीन का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करना ही है तो मशीन फà¥à¤² लोड पर चलायें।
- दिन के सबसे ठंडे समय यानि पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ या सांयकाल अपने बगीचे में पानी डालें।
सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सरकारों ने, विशेषकर तमिलनाड़ और करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• में, शहरों की लगà¤à¤— सà¤à¥€ वाणिजà¥à¤¯à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ घरेलू इमारतों में वरà¥à¤·à¤¾ का जल à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने के लिठसारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• नीति बनाने पर ज़ोर दिया है, जैसा चेनà¥à¤¨à¤ˆ ने कर दिखाया है। परनà¥à¤¤à¥ बढ़ती आबादी और पानी की खपत के कारण शहरी समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की बढ़ती पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ में ये असफल रहे हैं। अनà¥à¤¯ समाधान à¤à¥€ हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में कà¥à¤› सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ जा सकता है। जैसे कि कनाडा, सिंगापà¥à¤°, ऑसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ व à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने अपनी समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤ सà¥à¤²à¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठ“गà¥à¤°à¥‡ वॉटर रिसाइकà¥à¤²à¤¿à¤‚ग” का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करना शà¥à¤°à¥‚ किया है।
देश में पानी की सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बरबादी कृषि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में होती है। जहाठविशà¥à¤µ में कृषि दकà¥à¤·à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ 70 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ है वहीं à¤à¤¾à¤°à¤¤ में यह केवल 35 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ है। शेष पानी बह जाने, वाषà¥à¤ª में बदल जाने या वॉटर लॉगिंग के कारण बरबाद हो जाता है। सिंचाई तकनीक में सà¥à¤§à¤¾à¤° लाने के लिये काफी आधà¥à¤¨à¤¿à¤•ीकरण हà¥à¤† है। डà¥à¤°à¤¿à¤ª तकनीक उनमें से à¤à¤• है। सरकार को कम लागत वाली आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सिंचाई तरकीबों की खोज के लिये धन लगाकर गरीब तथा मारà¥à¤œà¥€à¤¨à¤² किसानों की सहायता करनी चाहिये जो इन मंहगी तरकीबों का खरà¥à¤š नहीं उठा सकते।
पानी की बढ़ती कमी के कारण जल संरकà¥à¤·à¤£ को आज की जरूरत बना दिया है। घरेलू, कृषि तथा ओदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक सà¥à¤¤à¤° पर जलसंरकà¥à¤·à¤£ को बढ़ावा देना चाहिये। इसका मतलब यही है कि हमें अपनी जीवन शैली तथा कà¥à¤°à¥‰à¤ª पैटरà¥à¤¨ (फसल चकà¥à¤°) का पà¥à¤¨à¤°à¥€à¤•à¥à¤·à¤£ करना होगा ताकि पानी की मांग की को सफलता पूरà¥à¤µà¤• पूरा किया जा सके।
विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—करà¥à¤¤à¤¾à¤“ं में पानी के उपयोग की बढ़ती जरूरतों के मदà¥à¤¦à¥‡à¤¨à¤œà¤° पानी के उपयोग की पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ताओं का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ आवशà¥à¤¯à¤• हो गया है। विशà¥à¤µ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ संगठन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° घरेलू तथा सफाई संबंधी जरूरतों के लिये पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन पचास लीटर पानी की आवशà¥à¤¯à¤• होती है। विशà¥à¤µ में बढ़ती जनसंखà¥à¤¯à¤¾ के बावजूद यह आवशà¥à¤¯à¤•ता विशà¥à¤µ में उपलबà¥à¤§ ताजे पानी की मातà¥à¤°à¤¾ का केवल 1.5 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ है। अत: नà¥à¤¯à¥‚नतम मूलà¤à¥‚त जरूरत को पूरा करने राजनैतिक इचà¥à¤›à¤¾à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ आवशà¥à¤¯à¤• है। इस लकà¥à¤·à¥à¤¯ को पूरा करने के लिये नीति निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•ों, सामूहिक तथा कृषि/उदà¥à¤¯à¥‹à¤— कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—करà¥à¤¤à¤¾à¤“ं से अलाहदा परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ की जरूरत है। कà¥à¤¯à¤¾ हम इस चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ का सामना कर सकते है?
संदरà¥à¤:
- http://news.nationalgeographic.com/news/2003/06/0605_030605_watercrisis.html
- http://www.pacinst.org/reports/basic_water_needs/basic_water_needs.pdf
- www.worldwater.org
- www.cseindia.org
- http://www.clw.csiro.au/priorities/urban/awcrrp/stage1files/AWCRRP_1A_Final_23June04.pdf
- http://earthtrends.wri.org/features/view_feature.cfm?theme=2&fid=17
- http://unesdoc.unesco.org/images/0012/001295/129556e.pdf
- http://earthtrends.wri.org/pdf_library/country_profiles/
- http://www.devalt.org/water/WaterinIndia/issues.htm
- http://www.american.edu/projects/mandala/TED/ice/CAUVERY.HTM
- http://edugreen.teri.res.in/explore/water/
- http://www.fao.org/ag/agl/aglw/aquastat/countries/india/index.stm
à¤à¤¸à¥‹à¤¶à¤¿à¤¯à¥‡à¤¶à¤¨ फॉर इंडियाज़ डेवेलपमेंट (à¤à¤¡) जमीनी संगठनों तथा आंदोलनों के साथ मिलकर काम करता व à¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤• समान, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• विकास को बढ़ावा देने के लिये पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§ à¤à¤• सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवी, अलाà¤à¤•ारी संगठन है। यह संगठन शिकà¥à¤·à¤¾, जीविका, पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक संसाधन, सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•रण तथा सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ जैसे संबंधित मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को उठाने तथा सहयोग देने के लिये ततà¥à¤ªà¤° है। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जानकारी के लिये à¤à¤¡ का जालसà¥à¤¥à¤² देखें। हिदी रूपांतरणः निरंतर टीम, अतिरिकà¥à¤¤ सामगà¥à¤°à¥€ व गà¥à¤°à¤¾à¤«à¤¿à¤•à¥à¤¸à¤ƒ देबाशीष चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€