आमुख कथाः

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विचार, संदेश और व्यवहार उसी तरह फैलते हैं जैसे कि कोई वायरस। दीना मेहता मानती हैं कि भारतीय ब्लॉगिंग मैल्कम ग्लैडवेल द्वारा पारिभाषित “टिप्पिंग प्वाइंट” की कगार पर है और अनुमान लगा रही हैं कि इसका भविष्य कैसा होगा।

इस अंक में ख़ास

ब्लॉग से देश नहीं बदलेगाः अतानु डे

ब्लॉग से देश नहीं बदलेगा
संवाद, जिसके तहत हर माह आप रूबरू हो सकेंगे चिट्ठा जगत के ही किसी पहचाने नाम से, में इस बार प्रस्तुत है साक्षात्कार इंडीब्लॉगीज़ 2004 में सर्वश्रेष्ट ब्लॉग के पुरस्कार से नवाज़े गए चिट्ठे “दीशा” के रचयिता अतानु डे से।

आईए फायरफॉक्स अपनाएं

आईए फायरफॉक्स अपनाएं
निधि में प्रस्तुत होगी जाल और चिट्ठाकारी के तकनीकी मुद्दों पर चर्चा और आलेख। इस अंक में पंकज नरूला की कलम से फायरफॉक्स के प्रयोग पर रोचक लेख का पहला भाग जिसमें सीखें टैब्ड ब्राउज़िंग के गुर।

वेबलॉग नीतिशास्त्र

वेबलॉग नीतिशास्त्र
सारांश में पेश करते हैं पुस्तकाँश या पुस्तक समीक्षा। निरंतर के पहले अंक में हमें प्रसन्नता है रेबेका ब्लड की पुस्तक “द वेबलॉग हैन्डबुक” के अंश का हिन्दी रूपांतर प्रस्तुत करते हुए। रेबेका 1996 से अंर्तजाल पर हैं, उनका ब्लॉग रेबेकाज़ पॉकेट खासा प्रसिद्ध है।


अंक के अन्य आकर्षण

बलॉगिंग विथ परपस
बलॉगिंग विथ परपस
जिह्वा ने जब अपना प्रसिद्ध चिट्ठा बंद किया तो उनकी उकताहट छुपती न थी। क्या चिट्ठाकार मूलतः अपने मेट्रिक्स में कैद आत्ममुग्ध अंर्तमुखी लेखक ही हैं बस? क्या वे समाज के सत्य से रूबरू ही नहीं होना चाहते? नज़रिया स्तंभ में पढ़िये संपादक की कलम से निरंतर का परिचय और चिट्ठा जगत पर नुक्ता चीनी के साथ पाईए परिचय आमुख कथा का।

कम्पयूटर स्त्रीलिंग है या पुर्लिंग?
कम्पयूटर स्त्रीलिंग है या पुर्लिंग?
घर, दफ्तर, सड़क हर जगह मुसीबतें आतीं हैं, सेंकड़ों सवाल उठ खड़े हो जाते हैं। अब सर खुजलाते खुजलाते हमारे रडार पर एक महारथी की काया दिखी तो उम्मीद कि किरणें जाग उठीं। प्रश्न चाहे किसी भी विषय पर हों, साहित्यिक हों या हों जीवन के फलसफे पर, सरल हो या क्लिष्ट, नॉटी हो या शिष्ट, विषय बादी हों या मवादी, कौमार्य हो या शादी, पूछे जायेंगे बेझिझक फुरसतिया से!

आस्कजीव्स ने निगला ब्लॉगलाईंस को
आस्कजीव्स ने निगला ब्लॉगलाईंस को
क्या याहू सिक्स आपार्ट को हथिया लेगा? क्या गूगल अब डोमेन भी बेचेगा? ये और ढेर सारी और खबरें। पढ़िए माह के दौरान घटित ब्लॉगजगत से संबंधित खबरें तड़के के साथ।

आज रात तीन चाँद खिले हैं!
आज रात तीन चाँद खिले हैं!
वातायन है निरंतर का साहित्य प्रकोष्ठ यानि कि ब्लॉगजगत के बाशिंदो कि साहित्यिक प्रतिभा का झरोखा। इस अंक में प्रस्तुत है रविशंकर श्रीवास्तव की लघुकथा “प्रशिक्षु”, अतुल अरोरा की हास्य कविता “तीन चाँद” और देबाशीष चक्रवर्ती की कविता “महानगर”।

✒️ मिक्स मसाला: मिक्स मसाला में चिट्ठा जगत के छाया कौशल से आँखें चार कीजिए “आँखन देखी” स्तंभ में जहाँ बिखरेंगी नौसिखिये छायाकारों के चित्रों की चटकदार छटा। इस अंक में रसस्वादन करें जितेन्द्र चौधरी और अतुल अरोरा के कैमरों के कमाल का। “आबो हवा” में खबर लीजीये भारतीय भाषाओं के ब्लॉगजगत के बैरोमीटर की और सुनिये ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के बढ़ते कदमों कि आहट।

✒️ अच्छा अंतर्जाल कहां चला गया?: हुसैन द्वारा संकलित अंर्तजाल के कोने कोने से चुनी बेहद रोचक कड़ियाँ, कुछ खट्टी कुछ मीठी।

✒️ चिट्ठा चर्चा: चिट्ठा चर्चा में पढ़िये दो प्रस्तुतियाँ। “चिट्ठा जोरदार” में कुछ उल्लेखनीय प्रविष्टियों की चर्चा और “उसने कहा” में विभिन्न चिट्ठों से चुने कुछ मनभावन कथ्य और उल्लेखनीय उक्तियाँ जो आप भी अपनी डायरी में सहेज कर रखना चाहेंगे।

✒️ मार्च का कच्चा चिट्ठा: कच्चा चिट्ठा स्तंभ में हर माह परिचय कीजिये नये चिट्ठाकारों से। इस अंक में आपकी भेंट करवा रहे हैं ई-लेखा के लेखक चिट्ठाकार आशीष तिवारी और प्रतिभास के लेखक और लिंकमास्टर अनुनाद सिंह से।

✒️ मैं ऐसा क्यों हूँ?: एक चित्र जिस पर आप अपनी कल्पनाशीलता परख सकते हैं और जीत सकते हैं रेबेका ब्लड की पुस्तक “द वेबलॉग हैन्डबुक” की एक प्रति। भाग लीजिये समस्या पूर्ति प्रतियोगिता में।

✒️ जम्बू द्वीप की उन्नति कैसे हो?: हास परिहास में पढ़िए सुने अनसुने लतीफ़े और मज़ेदार वाकये।