आमुख कथा

जल है धरती की धमनी का रक्त


image यदि लोग और समुदाय, सही सूचना स्रोतों से सशक्‍त हो कर, अपने आस पास के जल की स्थिति सुधारने का दायित्व अपने ऊपर लें, तो बड़ी कंपनियों, विकास संस्थाओं और केन्द्रीकृत सरकारों की मदद के बिना ही बहुत कुछ हासिल हो सकता है, कह रहे है वाटर स्टीवर्ड्स के रायन केस। »


जल में घुली राजनीति


image पानी का असमान वितरण, बांधों के लिये विस्थापितों को अपर्याप्त मुआवज़ा, आर्थिक रूप से संपन्न और विपन्न उपभोक्ताओं में भेदभाव। यह भारत में जल से जुड़ी आम बातें हैं। पत्रकार दिलीप डिसूजा इस पर गौर कर रहें हैं और सुझाव दे रहें हैं कि राजनीति के द्वारा ही स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है। »


जनता द्वारा, जन हित हेतु : विश्व भर में जल की रक्षा


image दुनिया भर में ऐसे लोगों के बीच की खाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिनके पास पानी पर्याप्त है और जो पानी को तरस रहे हैं। जल की उपलब्धता बड़ी समस्या है यह तो सभी मानते है पर इस से जुड़ी समस्याओं के हल पर आपसी सहमती और समन्वय न के बराबर है। प्रकृति की नेमत जल जो दरअसल एक मानवाधिकार होना चाहिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कमाई का ज़रिया बन गया है। प्रस्तुत आलेख में अमरीका स्थित “पब्लिक सिटिज़न्स वॉटर फॉर ऑल” नामक अभियान की निर्देशिका वेनोना हॉटर कह रही हैं कि पानी जैसी मूल सेवाओं में निजी निवेशक को नहीं वरन् नागरिकों की सीधी भागीदारी को बढ़ावा मिलना चाहिए। »


मोहे गोरा रंग दई दे


image गोरेपन की क्रीम बेतहाशा बिकती है. स्वास्थ्य पर इसके विपरीत प्रभावों तथा विज्ञापनों को शानदार पति व करियर का जरिया बताने पर आपत्ति उठती रही है. चारूकेसी तफ्तीश कर रही हैं गोरेपन के उत्पादों के काले पक्ष की. »


विज्ञापन एजेन्सी में एक दिन


image कैसे काम करती हैं गोरेपन की क्रीम से कॉन्डोम तक की प्रचार सामग्री तैयार करतीं विज्ञापन कंपनियाँ, बता रहे हैं पेशेवर कापीराईटर व चिट्ठाकार चंद्रचूदन गोपालाकृष्णन. »


वर्डप्रेस: ज़ीरो बन गया हीरो


image ब्लॉगिंग सॉफ्टवेयर में मुक्त कोड पर आधारित तंत्रांश वर्डप्रेस ने कुछ ही सालों में अपनी एक खास जगह बना ली है। इतने सारे ब्लॉगिंग माध्यमों और मूवेबल टाईप जैसे बड़े खिलाड़ियों के रहते वर्डप्रेस ने अतिशय सफलता कैसे हासिल की यह जानना ज़रूरी है। पंकज नरुला नज़र डाल रहे हैं वर्डप्रेस के जन्म से लेकर जवानी तक की यात्रा पर। साथ ही जिक्र है इसकी क्षमताओं और इसे बनाने वालों की सोच के बारे में। »


वर्डप्रेस: बेमोल, फिर भी अनमोल


image मुक्त सोर्स परियोजनाओं में अनगिनत जाने पहचाने लोगों का पसीना होता है और बिना किसी लालच व पारिश्रमिक के बनाये गये इन उत्पादों का मोल विशालकाय कंपनियों के नामचीन उत्पादों से कहीं ज्यादा है क्योंकि इन उत्पादों के आसपास पनपते हैं समुदाय, जो स्थान, उम्र, धर्म, लिंग या भाषा से बंधे नहीं हैं। आखिर क्या वजह है कि लोग ऐसी परियोजनाओं में समय लगाते हैं? कैसा लगता है इनमें हिस्सेदारी करना? ये सवाल हमने किये वर्डप्रेस की लोकप्रिय मुक्त सोर्स थीम मांजी के जनक ख़ालेद अबु अल्फ़ा से। »


वर्डप्रेस किसी महानगरीय संस्कृति जैसी है


image क्या बातें होती हैं जब वर्डप्रेस समुदाय के मुताल्लिक अंतर्जाल पर सेंकड़ों बार मिले दो भारतीय पहली दफ़ा एक दूसरे से व्यक्तिगत रूप से रूबरू होते हैं। मार्क घोष और कार्थिक शर्मा जब लास वेगस में मिले तो इस मुलाकात में वर्डप्रेस के दोनों सिपाहियों ने इस ब्लॉगिंग तंत्रांश के समुदाय से जुड़ने और इस के साथ बिताये दिनों की यादें ताज़ा की। »


मुक्त बाज़ार के महात्मा कब आयेंगे?


image राजनैतिक आज़ादी की अभिजात संकल्पना को गाँधीजी ने सरल रूप देकर जन आंदोलन बनाया और देश को आजादी दिलाई। नितिन पई मानते हैं कि एक शताब्दी पश्चात भारत को आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये हमें महात्मा गाँधी की दुबारा ज़रुरत है। »


कृषि आधार का बढ़ता भार


image हर विकसित देश ने कालांतर में ग्राम-केन्द्रित, कृषि-केन्द्रित व्यवस्था से शहर-केन्द्रित, गैर-कृषि केन्द्रित व्यवस्था की ओर अन्तरण किया है। अतानु दे और रुबन अब्राहम मानते हैं कि भारत के पास विकल्प है कि वह 6 लाख छोटे गाँवों की बजाय 600 सुनियोजित, चमचमाते नए शहरों के निर्माण पर विचार करे। जबकि कृषक चिट्ठाकार अशोक पाण्डेय मानते हैं कि ऐसा कदम बाज़ार की ताकत के सामने गाँवों की आत्मनिर्भरता के घुटने टेक देने के समान होगा। »