रात के बाद सबेरा होता है या सबेरे के पहले रात? आजकल हसीनों में शर्मोहया क्यों नहीं है? पूजा के समय भगवान को प्रसाद व भोग चढ़ाया जाता है, यह जानते हुये भी कि अंतत: खाना इन्सान को ही है। आखिर क्यों? ऐसे ही टेड़े सवालों के मेड़े जवाब दे रहे हैं हाजिर जवाब फुरसतिया! »
एक चित्र जिस पर आप अपनी कल्पनाशीलता परख सकते हैं और जीत सकते हैं रेबेका ब्लड की पुस्तक "द वेबलॉग हैन्डबुक" की एक प्रति। भाग लीजिये समस्या पूर्ति प्रतियोगिता में। »
क्या "दा-विन्ची कोड" किताब वास्तव में नकल है? एक फ्राँसीसी व्यक्ति ने 25,000 भारतीय गीतों के अधिकार क्यों खरीदे? जर्मनी के एक प्रांत में मेंढ़क गुब्बारों की तरह फूल कर क्यों फूट रहे हैं? आस्वादन कीजिये हुसैन द्वारा संकलित, रमण कौल तथा अतुल अरोरा द्वारा अनुवादित, अंर्तजाल के कोने कोने से चुनी बेहद रोचक कड़ियाँ। »
कच्चा चिट्ठा स्तंभ में हर माह परिचय कीजिये नये चिट्ठाकारों से। मई 2005 के कच्चा चिट्ठा में हम आपकी मुलाकात करवा रहे हैं युवा कवि व चिट्ठाकार प्रेमपीयूष और हरदिल अज़ीज़ तकनीकी चिट्ठाकार व लेखक रविशंकर श्रीवास्तव से। »
"आबो हवा" में खबर लीजीये भारतीय भाषाओं के ब्लॉगजगत के बैरोमीटर की और सुनिये ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के बढ़ते कदमों कि आहट। "भाषा रचते शब्द" में सीखिये ब्लॉगिंग से संसार से जुड़ कुछ नये शब्दों के बारे में और "उसने कहा" में विभिन्न चिट्ठों से चुने कुछ मनभावन कथ्य और उल्लेखनीय उक्तियाँ जो आप भी अपनी डायरी में सहेज कर रखना चाहेंगे। »
जितेन्द्र के बचपन के दोस्त सुक्खी बहुत ही सही आइटम हैं। उनकी जिन्दगी में लगातार ऐसी घटनायें होती रहती हैं जो दूसरों के लिये हास-परिहास का विषय बन जाती है। हास परिहास में पढ़िए सुने अनसुने लतीफ़े और रजनीश कपूर की नई कार्टून श्रृंखला "ये जो हैं जिंदगी"। साथ ही "शेर सवाशेर" में नोश फ़रमायें गुदगुदाते व्यंजल। »