EG-Series: अगस्त 2006

बहुमुखी प्रतिभा वाले हैं झालिया नरेश

कच्चा चिट्ठा में परिचय कीजिये दोस्तों के बीच झालिया नरेश या आमगाँव के ज़मींदार तथा चिट्ठाकारों के बीच चिरकुंवारे के रुप में जाने जाने वाले और लोकप्रिय चिट्ठे खाली-पीली के रचयिता आशीष श्रीवास्तव से।

वोट की राजनीति ने बनाये नपुंसक नेता

बड़े बांध विकास के मापदंड माने जाते हैं। बांधों से बिजली जैसे फायदे प्रगति के सापेक्ष एक और कटुसत्य है डूब क्षेत्र से जन सामान्य का विस्थापन। पत्रकार विजय मनोहर तिवारी ने इन्दिरा सागर बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आये कस्बे 'हरसूद' में विस्थापन का अनुभव टीवी द्वारा लोगों तक पहुँचाया, तत्पश्चात अपने अनुभवों को लेखनीबद्ध किया पुस्तक 'हरसूद 30 जून' में। पढ़िये विजय से अनूप शुक्ला की बातचीत।

लाल परी – भाग 1

"हर इन्सान के अंदर एक और रूप छिपा होता है, जेकिल और हाईड की तरह। जैसे दिन की शान्त, संकोची अरु रात होते ही लाल परी में बदल जाती है – चंचल, शोख, बीस-साला बिंदास बाला!" वातायन में प्रस्तुत है विश्व की पहली इंटरैक्टिव धारावाहिक कथा "लाल परी", प्रत्यक्षा की कलम से। पहला भाग पढ़ें और तय करें कहानी का अगला भाग कैसा हो।

हँसे न हँसे हम

जब हँसी नही आती थी तो उपहास का पात्र बनते थे, अब ताबड़तोड़ रावणनुमा ठहाके लगा लेते हैं तो भी भृकुटियाँ उठती हैं। गोया फकत एक पेशी की हरकत से जो तनाव हमें झेलना पड़ा उससे तो खुश रहने के तमाम मेडिकल फायदों का ही बेड़ा गर्क हो गया। पढ़िये विप्लव की हास्य रचना हँसे न हँसे हम

खिड़की

"कहने को कहते हैं कि लो खुलवा दी खिड़की तुम्हारे लिए। मैं जानती हूँ, इस बात में कितनी सच्चाई है। अगर एक बिटिया होती तो शायद यह खिड़की कभी न खुलती। बल्कि खुली हुई खिड़कियाँ भी बन्द हो जातीं।" वातायन में पढ़िये इला प्रसाद की संवेदनशील कथा खिड़की