Tag: Holi
वातायन
1
अंगने की होली
"न जाने कितने त्यौहार चुपचाप खिसक जाते हैं कालनिर्णय रसोईघर की भीत पर टंगा-टंगा। सब त्योहारों के नाम कान में बुदबुदाता रहता है…मन मामा के आँगन में उस त्यौहार को मना आता है।" वातायन में पढ़िये डॉ रति सक्सेना रचित मार्मिक संस्मरण "अंगने की होली"।