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आमुख कथा
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असली भारत के लिये असली शिक्षा
हमारी शिक्षा पद्धति में बच्चे भारी बैग लिये फिरते हैं, जोर रहता हैं रटन विद्या और परीक्षाओं पर। यहाँ पाठ्यक्रम में बाहर से अर्जित ज्ञान, हुनर और काबलियतों को स्थान नहीं मिलता। शिक्षाविद व राष्ट्रीय शोध प्रोफेसर यश पाल मानते हैं कि आधुनिक औपचारिक शिक्षा तंत्र में प्रकृति और जीवन से सीखे हुनर को शामिल करना भी ज़रूरी है।
शिक्षा में आईसीटीः वक्त का तकाज़ा
दस लाख पाठशालायें जहाँ 90 फीसदी बच्चे 12वीं तक स्कूल ही छोड़ देते हैं। सालाना 3,50,000 स्नातक जिनमें महज 15 फीसद ही नौकरी के लायक होते हैं। केवल मुट्ठी भर लोगों के लिये ही शानदार काम कर रहे हमारे शिक्षा तंत्र में सुधार कैसे लाया जाये बता रहे हैं शिक्षाविद व अर्थशास्त्री अतानू दे।