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एक दहकते शहर की दास्तान
धरती के अनगिनत दरारों से उफनती गर्म ज़हरीली गैसें, ज़मीन इतनी गर्म कि जूते के तले गल जायें, हवा साँस लेने के लिये नाकाफी। जैसे दोज़ख उतर आया हो धरा पर। सेंट्रालिया एक ऐसा शहर है जहाँ भूमीगत खदानों की ऐसी ही आग ने वहाँ के बाशिंदो से उनकी ही ज़मीन हड़प ली। आमुख कथा में पढ़िये सेंट्रालिया जा चुके अतुल अरोरा का लोमहर्षक आलेख। |
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हिन्दी समांतर कोश: एक विराट प्रयास
शब्दकोश से आप किसी भी शब्द का अर्थ जान सकते हैं। लेकिन यदि आप किसी सटीक शब्द की तलाश में हैं तो शब्दकोश अपने हाथ खड़े कर देगा। ऐसे में आपको थिसारस की शरण में जाना होगा। अनूप शुक्ला बता रहे हैं अरविंद व कुसुम कुमार द्वारा २० साल के अथक परिश्रम से तैयार हिन्दी समांतर कोश के बारे में। |
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मोक्ष की दुकान बंद है
“चिरकुट मिसिर का चिता की आग को उलट-पुलट कर हाथ व शरीर गरम करना, चिता जलने के बाद विष्ट के साथ ठेके पर दारू पीना और अब पत्नी द्वारा सारे कर्मकांड की बात भूलकर बिना नहाये रजाई में घुसने की अनुमति दे देना। लगता है कि आज मोक्ष की दुकान बंद है।” पढ़िये सशक्त कथाकार गोविंद उपाध्याय की लिखी कहानी। |
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खुद को पत्नी माना ही नहीं कभी
कथाकार व उपन्यासकार मैत्रेयी पुष्पा समकालीन महिला हिंदी लेखन की सुपरस्टार हैं। पिछले दिनों हंस के एक अंक में संपादक राजेंद्र यादव ने मैत्रेयी की तुलना मरी हुयी गाय से की, इस पर साहित्य जगत में काफी हलचल हुयी। यह और अन्य अनेक बिंदुओं को लेकर वरिष्ठ कथाकार अमरीक सिंह दीप ने मैत्रेयी पुष्पा से विस्तार से बातचीत की। |
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स्पाउस – शादी का सच: दुहराया वक्तव्य
शोभा डे की अंग्रेज़ी पुस्तक का हिन्दी अनुवाद पढ़कर रविशंकर श्रीवास्तव चुहल करते हैं कि ‘स्पाउस’ पढ़कर अपना वैवाहिक रिश्ता सुधारने के बारे में सोचने से तो अच्छा है कि उस पैसे से मियाँ-बीवी कोई फ़िल्म देख अपनी शाम सुहानी बना लें। |
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इंटरनेट बुराइयों की जड़ है!
अगर इंटरनेट नहीं होता तो सैकड़ों फ़िशर्स, स्पैमर्स, वायरस लेखक तो भूखे ही मर जाते। हैकरों और क्रैकरों का क्या होता। पॉर्न इंडस्ट्री कहां जाती? पढ़िये रविशंकर श्रीवास्तव की गुगदुगाने वाली रचना! |
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लाल परी – भाग 2
वातायन में आप पढ़ रहे हैं विश्व की पहली इंटरैक्टिव धारावाहिक कथा“लाल परी”। पहला भाग पढ़ कर पाठकों की आम राय थी कि केडी और अरु की चैट कुछ और चले और नाटकियता कुछ और जुड़े। हम तो हुकुम के गुलाम हैं, लेखिका प्रत्यक्षा कहती हैं, और चटपट अगला भाग जनता की डिमांड पर लिख दिया। पढ़ें कथा का दूसरा भाग पढ़ें और तय करें कहानी का अगला भाग कैसा हो। |
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यादों के घरौंदे में एक सोनचिरैया
जानीमानी पत्रकार, गीतकार, कवियत्री और लेखिका सुमन सरीन का इस वर्ष अगस्त में देहान्त हुआ। 25 साल पूर्व सुमन का पटना से मुम्बई आना ही एक साहसिक कदम था। वे विज्ञापन जगत और धर्मयुग, माधुरी और प्रिया जैसी पत्रिकाओं से जुड़ीं और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। निरंतर संपादक शशि सिंह सुमन के सहयोगियों से मिले और सुमन की यादें ताज़ा कीं। |
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यायावरी शरद आया है
वातायन में पढ़िये हिमानी की कविता “समय” और राकेश खंडेलवाल की कविता “यायावरी शरद आया है”। |
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मन कहे
समस्या पूर्ति निरंतर का ऐसी प्रतियोगिता स्तंभ है जिसमें दिये हये चित्र और शीर्षक एक छोटी सी कविता लिखनी होती है। कविता ज्यादा बड़ी न हो तो अच्छा, चार लाईना हो तो उत्तम, हाइकू हो तो क्या कहनें! तो क्या आप तैयार हैं भाग लेने के लिये? |
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