वर्डप्रेस विशेषांक
निरंतर का यह अंक वर्डप्रेस विशेषांक है। इस विशेषांक के जरिए हमारा प्रयास है कि हम वर्डप्रेस से संबंधित जानकारी रोचक तरीके से प्रस्तुत करे साथ ही आपको इस उत्पाद की सफलता के नेपथ्य में निहित सामुदायिक प्रयत्नों के पसीने की महक आप तक पहूँचा सके। वर्डप्रेस के विशेषांक में –
- आमुख कथा ज़ीरो बन गया हीरो में पंकज नरुला नज़र डाल रहे हैं वर्डप्रेस के जन्म से लेकर जवानी तक की यात्रा पर। साथ ही पहचानें इसकी क्षमताओं और इसे बनाने वालों की सोच के बारे में।
- यदि आपके पास अपना जालस्थान या वेबस्पेस उपलब्ध है तो आप अपने ब्लॉग को वर्डप्रेस पर स्थापित कर सकते हैं। निधि में आपके समस्त प्रारंभिक प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास कर रहा है रमण कौल के रोचक लेख आईये वर्डप्रेस अपनायें का पहला भाग। वर्डप्रेस को अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए कैसे लगाएं तथा इसे अपने हिसाब से कैसे ढाले यह इस लेख से जाना जा सकता है।
- वर्डप्रेस अपने समुदाय के दम पर ही सफलता की चोटी पर चढ़ा है। अनगिनत लोगों का इसके विकास में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष योगदान रहा है। क्या माजरा बनता है जब समुदाय के मुताल्लिक अंतर्जाल पर सेंकड़ों बार मिले दो भारतीय एक दूसरे से पहली बार रूबरू होते हैं। आमुख कथा वर्डप्रेस महानगरीय संस्कृति के सदृश है में पढ़िये वर्डप्रेस के सक्रीय कार्यकर्ता मार्क घोष और कार्थिक शर्मा की पाप नगरी लॉस वेगास में हई बातचीत।
- वर्डप्रेस की बात हो और इसके २० वर्षीय रचियता मैट मुलनवेग का जिक्र न हो ऐसा तो असम्भव है। संवाद में मैट से निरंतर का विशेष साक्षात्कार अवश्य पढ़ें।
- किसी भी चिट्ठे को सुंदर बनाते हैं अभिकल्प। इन्हीं अभिकल्पों में से एक प्रसिद्ध अभिकल्प है मांजी जिसको बनाने वाले हैं लेबनान के ख़ालेद अबु अल्फ़ा। आखिर क्या वजह है कि लोग ऐसी परियोजनाओं में समय लगाते हैं। कैसे मीलों दूर बैठे लोग आपसी समन्वय रख पाते हैं। कैसा लगता है इनमें हिस्सेदारी करना। यह सब खालेद के विचारों से जानिए उनके लेख वर्डप्रेसः बेमोल, फिर भी अनमोल में।