देख तमासा
लेखकः निरंतर पत्रिका दल | July 12th, 2008लिखो कविता, जीतो ईनाम!
नीचे दिए चित्र और इस लेख के शीर्षक को ध्यान से देखिए और रच डालिए एक छोटी सी कविता। रचना ज्यादा बड़ी न हो तो अच्छा, चार लाईना हो तो उत्तम, हाइकू हो तो क्या कहनें! शीर्षक मुख्यतः भाव के लिए है, पर आप इसे कविता में प्रयोग कर सकते हैं। यदि आपकी रचना निरंतर संपादक मंडल को पसंद आ गई तो आप जीत सकेंगे डॉ अंजली देवधर द्वारा रचित "उत्कृष्ट हाईकू" की एक प्रति। कविता इस पोस्ट पर अपने टिप्पणी (कमेंट) के रूप में ही प्रेषित करें।
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कहती थी माँ,
अपने पैरों पे खड़ा होगा,
तू एक दिन !!
globalization ke yug me,
pair hindustan me to,
chehra amrika me hota hai..
kya karen..duniya nirantar chhota hota hai !
दुनिया की नजरों में तनकर खड़ा है
मगर असलियत में बोझा बड़ा है
इसीलिए तो कमर तक गड़ा है ..