मस्त रहो न यार

Mast raho yaar!

 मस्त रहो न यार!

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11 प्रतिक्रियाएं
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  1. कँधों पे बोझ,
    ज़िन्दगी ये संघर्ष,
    मुस्कराओ न.

  2. कोई चिट्ठा पढ़े, न पढ़े
    टिप्पणियों की संख्या बढ़े, न बढ़े
    लेकिन लिखते रहो बार-बार
    मस्त रहो न यार।

    बंद हुई थी तो क्या हुआ
    पाठकों ने पहले इसे कम छुआ
    लेकिन ख़ूब चलेगी इस बार
    मस्त रहो न यार।

  3. मस्त रहो न यार, ज़िन्दगी मुस्काएगी।
    कभी तुम्हारे जीवन में भी, फिर बहार आएगी।
    नई कोपलें फूटेंगी, नई कलियाँ आयेंगी।
    मस्त रहो न यार ज़िन्दगी मुस्काएगी।

    लक्ष्मीनारायण गुप्त

  4. ईराक, अफगानिस्तान, काश्मीर, लेबनान, अफ्रीका में सैकड़ों की संख्या में निर्दोषों के रोज मरने पर बाकी देशों के लोगों का सोचना कुछ ऐसा ही है –

    दुनिया में युद्ध हो रहे, हमको पड़ी क्या यार।
    अपना कोई नही मर रहा, मस्त रहो ना यार।।

  5. हरा भरा था काट दिया,
    कंकरीट में गाड दिया,
    फिर भी कहते हो, मस्त रहो..!!!
    ना यार!

  6. खड़े खड़े ही काटूं जीवन,
    रहे पाहुन मुझ पर मगन,
    नियती यही जब, तो क्यूं, झल्लाना है हर बार,
    मन-झूले की ड़ोर पर झूलो, मस्त रहो ना यार.
    -रेणू आहूजा.

  7. मै यँहा तक देर से पहुँची हूँ,,६ सित. निकल चुकी है.फिर भी वृक्ष के सम्मान मे अपनी बात रखना चाहती हूँ—-
    छीन ली तुमसे फूल पत्तियाँ,
    कँधोँ पर है छत का भार.
    अब न कोई पतझड होगा,
    अब न होगी कोई बहार.
    इतना होकर भी तुम कहते,
    ‘मस्त रहो यार’
    हर हाल मे खुश रहने की,
    कैसे पाई शक्ति अपार?

  8. देखा लिखने को कुछ नया मिला तो खुद को रोक नहीं पाई। आज ही यह विषय पढा । क्षमा सहित..

    देखकर हालत वृक्ष की
    मुझको रोना आ गया,
    जब बना किसी का घर
    और फर्नीचर किसी को भा गया।
    दर्द भरी ये सिसकी सुनी-
    “मुझे भी जीने की इच्छा है”
    “ना करो यूँ अत्याचार”
    तभी किसी ने टोका मुझे
    चलो हटो तुम्हें क्या पडी है
    मस्त रहो न यार ।

  9. डिज्नीलैंड के काफे का
    मैं भी हूँ एक अजूबा,
    खरा नहीं खोटा हूँ यारों,
    पीयो पेप्सी या कोला!
    फेंक पैसा देख तमाशा
    पर, मस्त रहो ना यार!

  10. भागीदारी के लिये सभी पाठकों का दिली शुक्रिया! आशा है आपका साथ यूं ही मिलता रहेगा।

  11. सर पर है भार
    खड़ा नही बेकार,
    बोझ हो पास फिर भी
    मस्त रहो न यार !

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