Author: देबाशीष चक्रवर्ती

सईदन बी – भाग 2

जब बड़े इंसानों ने धर्म की परिकल्पना की होगी तो शायद पावन उद्देश्य रहा होगा, मेरा कुनबा, एक ख्याल लोग, मेरा समूह साथ रहे तो रोजी रोटी अच्छी कटेगी। फिर लोगों ने धर्म से प्यार हटा कर स्वार्थ जोड़ दिया और परिदृश्य बदल गया। पढ़ें देबाशीष की कहानी का दूसरा और अन्तिम भाग।

हल्की फुल्की, सकारात्मक और मज़ेदार

ट्विटर के सह संस्थापक बिज़ स्टोन की लिखी “हू लेट द ब्लॉग्स आउट” मज़ेदार किताब है, ब्लॉगिंग की दुनिया में कुछ दिन बिता चुके नौसिखियों और निपुण चिट्ठाकारों के लिये बेहद काम की। ब्लॉग पर आवक कैसे बढ़ायें, ब्लॉगिंग से पैसा कैसे कमायें, ब्लॉग की वजह से नौकरी कैसे न गवायें जैसे कई काम के टिप हैं पुस्तक में। पढ़िये देबाशीष द्वारा समीक्षा।

सामुदायिक प्रयत्नों के पसीने का प्रताप

निरंतर का यह अंक वर्डप्रेस विशेषांक है। इस विशेषांक के जरिए हमारा प्रयास है कि हम वर्डप्रेस से संबंधित जानकारी रोचक तरीके से प्रस्तुत करे साथ ही आपको इस उत्पाद की सफलता के नेपथ्य में निहित सामुदायिक प्रयत्नों के पसीने की महक आप तक पहूँचा सके।

सईदन बी – भाग 1

जब बड़े इंसानों ने धर्म की परिकल्पना की होगी तो शायद पावन उद्देश्य रहा होगा, मेरा कुनबा, एक ख्याल लोग, मेरा समूह साथ रहे तो रोजी रोटी अच्छी कटेगी। फिर लोगों ने धर्म से प्यार हटा कर स्वार्थ जोड़ दिया और परिदृश्य बदल गया। सईदन की कथा पूर्णतः काल्पनिक है पर हो सकता है आप वो दर्द महसूस कर सकें जो लेखक ने किया।”

क्या आप टैगिंग करते हैं?

टैगिंग जानकारी की जमावट और लोगों को जोड़ने का एक नया क्राँतिकारी माध्यम है जो अराजकता से व्यवस्था की सृष्टि कर मानवीय भावनाओं का प्रतीक भी बन चला है। देबाशीष चक्रवर्ती के आलेख द्वारा प्रवेश कीजिये कीवर्ड के साम्राज्य में और अंदाज़ा लगाईये टैगिंग के भविष्य का।