EG-Series: मई 2005

अल्केमिस्ट – आधुनिक परीकथा

जिस किताब की 2 करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हों व 55 भाषाओं में अनुवाद हो चुका हो वह किसी भी साहित्य प्रेमी को ललचाएगी ही। बचपन में सुनी परीकथा के नये, सुफ़ियाना संस्करण सी है ब्राजीली लेखक पाओलो कोएलो की पुस्तक अलकेमिस्ट, कह रहे हैं समीक्षक रवि रतलामी।  इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद स्व. कमलेश्वर ने किया था।

लोग साथ आते गए, कारवां बनता गया

हिन्दी में शायद यह पहली पत्रिका होगी जहां संपादक एक देश में, निदेशक दूसरे देश में और टाइपिस्ट तीसरे देश में हों; जब एक की दुनिया में दिन हो और दूसरे की दुनिया में रात। अंर्तजाल पर हिन्दी भाषा की अत्यंत लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका "अभिव्यक्ति" तथा  "अनुभूति" की रोचक व मर्मस्पर्शी यात्रा कथा बयां कर रही हैं पूर्णिमा वर्मन

वर्डप्रेस की सर्च-इंजनों में हेरफेर?

क्या वर्डप्रेस ने सर्च इंजनों में हेरा फेरी की? क्या अमरीकी चिट्ठों को शक की नज़र से देखते हैं? सिक्स अपार्ट और अडोब मिल कर कौन सी खिचड़ी पका रहे हैं? और गूगल ने जीमेल में कौन सी नई तकनीक जोड़ी है? इन सवालों का जवाब पाने के लिये पढ़ें हमारा स्तंभ हलचल जिसमें पेश कर रहे हैं माह की चुनिंदा खबरें।

घसीटा या दीप

"उसका नाम दीप था। घसीटा या भूरा नहीं। विकास के नाम पर क्या इतना काफी नहीं? घसीटा से भी ज्यादा घसीटे गए अर्धकिशोर बालक का नाम एकदम साहित्यिक। पर उसे देख मैं यही सोचती, काश इसका नाम घसीटा होता, हो सकता है महादेवी जी की आत्मा जीवन्त हो उठती।" पढ़िये डॉ रति सक्सेना रचित मार्मिक संस्मरण।

साप्ताहिक अवकाश

खबर थी कि अब गृहिणियों को भी क़ानूनन सप्ताह में एक दिन छुट्टी मिलेगी। पूरे दिन की छुट्टी। पर यह क्या इसे सुनकर गृहिणियाँ तो सोच में पड़ गईं कि खुश हुआ जाए या दुःखी हुआ जाए। पढ़िये रविशंकर श्रीवास्तव की चुटीली रचना।