EG-Series: अकà¥à¤Ÿà¥à¤¬à¤° 2006
खà¥à¤¦ को पतà¥à¤¨à¥€ माना ही नहीं कà¤à¥€
कथाकार व उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•ार मैतà¥à¤°à¥‡à¤¯à¥€ पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾ समकालीन महिला हिंदी लेखन की सà¥à¤ªà¤°à¤¸à¥à¤Ÿà¤¾à¤° हैं। पिछले दिनों हंस के à¤à¤• अंक में संपादक राजेंदà¥à¤° यादव ने मैतà¥à¤°à¥‡à¤¯à¥€ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ मरी हà¥à¤¯à¥€ गाय से की, इस पर साहितà¥à¤¯ जगत में काफी हलचल हà¥à¤¯à¥€à¥¤ यह और अनà¥à¤¯ अनेक बिंदà¥à¤“ं को लेकर वरिषà¥à¤ कथाकार अमरीक सिंह दीप ने मैतà¥à¤°à¥‡à¤¯à¥€ पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾ से विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से बातचीत की।
सà¥à¤ªà¤¾à¤‰à¤¸ – शादी का सच: दà¥à¤¹à¤°à¤¾à¤¯à¤¾ वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯
शोà¤à¤¾ डे की अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤•र रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ चà¥à¤¹à¤² करते हैं कि ‘सà¥à¤ªà¤¾à¤‰à¤¸’ पढ़कर अपना वैवाहिक रिशà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ के बारे में सोचने से तो अचà¥à¤›à¤¾ है कि उस पैसे से मियाà¤-बीवी कोई फ़िलà¥à¤® देख अपनी शाम सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥€ बना लें।
इंटरनेट बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ की जड़ है!
अगर इंटरनेट नहीं होता तो सैकड़ों फ़िशरà¥à¤¸, सà¥à¤ªà¥ˆà¤®à¤°à¥à¤¸, वायरस लेखक तो à¤à¥‚खे ही मर जाते। हैकरों और कà¥à¤°à¥ˆà¤•रों का कà¥à¤¯à¤¾ होता। पॉरà¥à¤¨ इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ कहां जाती? पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ रविशंकर शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤µ की गà¥à¤—दà¥à¤—ाने वाली रचना!
यादों के घरौंदे में à¤à¤• सोनचिरैया
जानीमानी पतà¥à¤°à¤•ार, गीतकार, कवियतà¥à¤°à¥€ और लेखिका सà¥à¤®à¤¨ सरीन का इस वरà¥à¤· अगसà¥à¤¤ में देहानà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ 25 साल पूरà¥à¤µ सà¥à¤®à¤¨ का पटना से मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ आना ही à¤à¤• साहसिक कदम था। वे विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ जगत और धरà¥à¤®à¤¯à¥à¤—, माधà¥à¤°à¥€ और पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ जैसी पतà¥à¤°à¤¿à¤•ाओं से जà¥à¥œà¥€à¤‚ और अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ का लोहा मनवाया। निरंतर संपादक शशि सिंह सà¥à¤®à¤¨ के सहयोगियों से मिले और सà¥à¤®à¤¨ की यादें ताज़ा कीं।
छोटे मियां सà¥à¤à¤¾à¤¨ अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ -पंकज बेंगानी
कचà¥à¤šà¤¾à¤šà¤¿à¤Ÿà¥à¤ ा में परिचय पाईये तरकश के à¤à¤• और पà¥à¤°à¤–र तीर, उदयीमान चिटà¥à¤ ाकार पंकज बेंगानी।