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जादुई तकनीक का वामनावतारः आईफ़ोन


image जनवरी में एप्पल ने कैमरा फ़ोन, पीडीए, मल्टीमीडिया प्लेयर व बेतार संचार प्रणाली से लैस आईफ़ोन के आगमन का शंखनाद किया। नये स्तंभ टेक दीर्घा में ईस्वामी जानकारी दे रहे हैं इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की जिसकी "एक क्रांतिकारी और जादुई उत्पाद" के रूप में हर तरफ चर्चा है। »


विकिलीक्स बतायेगा पर्दे के पीछे का सच


image नये स्तंभ टेक दीर्घा में रवि रतलामी बता रहे हैं विकिपीडिया की तर्ज पर प्रारंभ, पर उससे काफी अलाहदा, एक नये और अनोखे प्रकल्प विकिलीक्स के बारे में। »


एक दहकते शहर की दास्तान


image धरती के अनगिनत दरारों से उफनती गर्म ज़हरीली गैसें, ज़मीन इतनी गर्म कि जूते के तले गल जायें, हवा साँस लेने के लिये नाकाफी। जैसे दोज़ख उतर आया हो धरा पर। सेंट्रालिया एक ऐसा शहर है जहाँ भूमीगत खदानों की ऐसी ही आग ने वहाँ के बाशिंदो से उनकी ही ज़मीन हड़प ली। आमुख कथा में पढ़िये सेंट्रालिया जा चुके अतुल अरोरा का लोमहर्षक आलेख। »


हिन्दी समांतर कोश: एक विराट प्रयास


image शब्दकोश से आप किसी भी शब्द का अर्थ जान सकते हैं। लेकिन यदि आप किसी सटीक शब्द की तलाश में हैं तो शब्दकोश अपने हाथ खड़े कर देगा। ऐसे में आपको थिसारस की शरण में जाना होगा। अनूप शुक्ला बता रहे हैं अरविंद व कुसुम कुमार द्वारा २० साल के अथक परिश्रम से तैयार हिन्दी समांतर कोश के बारे में। »


विकिपीडिया: हिन्दी की समृद्धि की राह


image विकिपीडिया इंटरनेट आधारित मुक्त विश्वकोश परियोजना है। यह स्वयंसेवकों के सहकार से निर्मित विकि है। हिन्दी विकिपीडिया की शुरुआत जुलाई 2003 में हुई पर इसमें स्वयंसेवकों का अभाव है। पढ़िये विकिपिडिया पर मितुल का जानकारी परक आलेख और जानिये कि कैसे आप भी इस वृहद आंदोलन का हिस्सा बन सकते हैं। »


आईये फॉयरफाक्स अपनाएं 3 – शक्तिसर्च


image फॉयरफॉक्स की विशेषताओं को अपने सरल अंदाज में बताता पंकज नरुला की फॉयरफॉक्स श्रृंख्ला का यह तीसरा व अंतिम लेख है। इस अंक में आप पढ़ेगें कि कैसे गूगल सरीखे ज्यादा जाने जाए वाले सजालो के लिए शक्तिसर्च कैसे बनाएं। »


कृषि आधार का बढ़ता भार


image हर विकसित देश ने कालांतर में ग्राम-केन्द्रित, कृषि-केन्द्रित व्यवस्था से शहर-केन्द्रित, गैर-कृषि केन्द्रित व्यवस्था की ओर अन्तरण किया है। अतानु दे और रुबन अब्राहम मानते हैं कि भारत के पास विकल्प है कि वह 6 लाख छोटे गाँवों की बजाय 600 सुनियोजित, चमचमाते नए शहरों के निर्माण पर विचार करे। जबकि कृषक चिट्ठाकार अशोक पाण्डेय मानते हैं कि ऐसा कदम बाज़ार की ताकत के सामने गाँवों की आत्मनिर्भरता के घुटने टेक देने के समान होगा। »