Category: आमुख कथा

एड्स पर फिल्में : अच्छी शुरुवात

एचआईवी-एड्स के विषय पर बनी हिंदी फीचर फिल्मों की गिनती करने के लिये तो हाथों की उँगलियाँ की भी जरुरत नहीं क्योंकि अभी तक केवल दो ही ऐसी फिल्में बनी हैं। पढ़ें अविजित मुकुल किशोर की खरी खरी।

भारत में एड्सः शतुरमुर्ग सा रवैया

एड्स को हमारे जीवन में आये पच्चीस साल हो गये। भारत अब विश्व की सर्वाधिक एचआईवी संक्रमित जनसंख्या वाला देश बन गया है। इस से निबटने के लिये मजबूत रीढ़ वाले नेतृत्व की दरकार है जो इससे आपदा नियंत्रण की तौर पर नहीं वरन योजनाबद्ध तरीके से लोहा ले। पढ़िये डॉ सुनील दीपक की आमुख कथा।

एड्स से कैसे बचा जाए

एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य स्रोत हैं – यौन संबंध, रक्त द्वारा तथा माँ से शिशु को संक्रमण। यानी एड्स से कोई भी सुरक्षित नहीं। पर क्या एड्स से बचा जा सकता है? जी बिल्कुल! बचाव के तरीके जानने के लिये पढ़ें रमण कौल का आलेख।

सीधी बात कहने का क्या किसी में दम नहीं?

हमारे समाज में खुले तौर पर यौन विषयों पर बात करना टेढ़ी खीर है। चाहे टीवी हो, रेडियो या फिर प्रिंट माध्यम,  हिचक साफ दिखती है। हालांकि यदाकदा कुछ ऐसे प्रयास हो जाते हैं जिनकी तारीफ करना भी ज़रूरी है। पढ़िये रवि श्रीवास्तव का आलेख।

पानी का अभाव – धारणाएँ, समस्याएँ और समाधान

जल मनुष्य की बुनियादी ज़रूरत है, इसे मानवाधिकार का दर्जा भी दिया जाता है। इसके बावजूद दुनिया भर में लगभग 100 करोड़ लोगों के पास शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं होता। कहा जाता है कि सन् 2025 तक विश्व की 50 फीसदी आबादी भयंकर जल संकट झेलने को मजबूर होगी। इस संकट की जड़ क्या है? इस से मुकाबला कैसे किया जाये ताकि “सबके लिये पानी” का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके? प्रस्तुत है इन सारे विषयों और जल से जुड़े अन्य मुद्दों पर विहंगम दृष्टि डालता चंद्रिका रामानुजम व राजेश राव का आलेख।