ब्लॉग नहीं, यूज़नेट से बढ़ेगी हिन्दी
April 9, 2005 |
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यूनिकोड हिन्दी का प्रयोग करने वाले कम ही होंगे जिन्होंने मुफ्त यूनिकोड एडिटर तख्ती के बारे में न सुना हो। पर इसकी रचना करने वाले हेमंत शर्मा को शायद ही ज्यादा लोग जानते हों। हनुमान जी के भक्त हेमंत उन्हीं का नाम आगे रखते रहे हैं। संवाद के अंतर्गत पढ़िये हेमंत से निरंतर की विस्तृत बातचीत।
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कम्पयूटर स्त्रीलिंग है या पुर्लिंग?
March 29, 2005 |
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घर, दफ्तर, सड़क हर जगह मुसीबतें आतीं हैं, सेंकड़ों सवाल उठ खड़े हो जाते हैं। अब सर खुजलाते खुजलाते हमारे रडार पर एक महारथी की काया दिखी तो उम्मीद कि किरणें जाग उठीं। प्रश्न चाहे किसी भी विषय पर हों, साहित्यिक हों या हों जीवन के फलसफे पर, सरल हो या क्लिष्ट, नॉटी हो या शिष्ट, विषय बादी हों या मवादी, कौमार्य हो या शादी, पूछे जायेंगे बेझिझक फुरसतिया से!
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जादुई तकनीक का वामनावतारः आईफ़ोन
February 9, 2007 |
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जनवरी में एप्पल ने कैमरा फ़ोन, पीडीए, मल्टीमीडिया प्लेयर व बेतार संचार प्रणाली से लैस आईफ़ोन के आगमन का शंखनाद किया। नये स्तंभ टेक दीर्घा में ईस्वामी जानकारी दे रहे हैं इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की जिसकी "एक क्रांतिकारी और जादुई उत्पाद" के रूप में हर तरफ चर्चा है।
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ट्रैफ़िक जाम और सपने
August 1, 2005 |
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सारांश में इस बार एक महिला लेखिका के प्रथम उपन्यास के अंश प्रकाशित करते हुए हमें हर्ष है। सामयिक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सुषमा जगमोहन के इस प्रयास "ज़िंदगी ई-मेल" का 28 जुलाई, 2005 को दिल्ली में विमोचन हुआ। सुषमा पेशे से पत्रकार हैं और उनकी रचनायें हंस, मधुमती व सखी जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
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धौंस नहीं सहेंगे चिट्ठों के सिपाही
April 9, 2005 |
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आंदोलन का प्रतीक माने जाने वाले अखबार कार्पोरेट्स के हाथों अपना ज़मीर बेच चुके हैं। ऐसे में ब्लॉग्स का ईमानदार स्वर आशाएं जगाता है। पढ़िये ब्लॉग्स पर मीडिया मुगलों की दादागिरी पर निरंतर का दो टूक संपादकीय।साथ ही पढ़ें याहू द्वारा फ्लिकर के अधिग्रहण और याहू 360° के पर्दापण पर निरंतर द्वारा बदलते परिदृश्य का आंकलन, "बड़े खिलाड़ी के आने से बड़ा हुआ खेल"।
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शिक्षा में आईसीटीः वक्त का तकाज़ा
May 29, 2007 |
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दस लाख पाठशालायें जहाँ 90 फीसदी बच्चे 12वीं तक स्कूल ही छोड़ देते हैं। सालाना 3,50,000 स्नातक जिनमें महज 15 फीसद ही नौकरी के लायक होते हैं। केवल मुट्ठी भर लोगों के लिये ही शानदार काम कर रहे हमारे शिक्षा तंत्र में सुधार कैसे लाया जाये बता रहे हैं शिक्षाविद व अर्थशास्त्री अतानू दे।
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आईये फॉयरफाक्स अपनाएं 2 – कड़ियाँ गरमा-गरम
April 9, 2005 |
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"आईये फायरफॉक्स अपनायें" लेख श्रृंखला के पिछले भाग में आपने फायरफॉक्स के जन्म व मल्टी टैब्स की क्षमताओं के बारे में पढ़ा। इस भाग में आप जान सकेंगे फायरफॉक्स की एक अत्यंत प्रभावी व समय उपयोगी क्षमता - "लाइव बुकमार्क्स", जिसे इस श्रृंखला के लेखक पंकज नरूला "कड़ियाँ गरमा गरम" पुकारते हैं।
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सफल-असफल बनने की सत्य तथाकथा
July 12, 2008 |
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रवि रतलामी सफ़ल बनना चाहते थे, महान बनना चाहते थे। और खोजते खोजते उनका हाथ वो नुस्ख़ा लग ही गया जिससे वे महान ही नहीं, महानतम बन गये। तो देर किस बात की? आप भी बन जाइये उन के अनुयायी।
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मिर्जा ने झेला रैबिट फूड
July 1, 2005 |
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डाक्टर की सलाह पर मिर्जा की बेगम ने छुट्टन को हुक्म सुनाया कि अब साहब को सिर्फ सलाद खिलाया जायेगा। पर मिर्जा जी तो हैरीसन फोर्ड की नाई इस रैबिट फूड को न खाने की जिद कर चुके थे। पढ़िये अतुल अरोरा का लिखा प्रहसन।
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