विकास तय करने का भी अधिकार मिले: मेधा पाटकर
August 1, 2005 |
2 Comments

नर्मदा घाटी के लोगों की अगुवाई करने वाली मेधा पाटकर ने एक वृहद, अहिंसक सामाजिक आंदोलन का रूप देकर समाज के समक्ष सरदार सरोवर बाँध के डूब क्षेत्र के विस्थापितों की पीड़ा को उजागर किया। मेधा तेज़तर्रार, साहसी और सहनशील आंदोलनकारी रही हैं। प्रस्तुत है मेधा से देबाशीष चक्रवर्ती की टेलिफोन पर हुई बातचीत के अंश।
लेख पढ़ें »
जादुई तकनीक का वामनावतारः आईफ़ोन
February 9, 2007 |
1 Comment

जनवरी में एप्पल ने कैमरा फ़ोन, पीडीए, मल्टीमीडिया प्लेयर व बेतार संचार प्रणाली से लैस आईफ़ोन के आगमन का शंखनाद किया। नये स्तंभ टेक दीर्घा में ईस्वामी जानकारी दे रहे हैं इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की जिसकी "एक क्रांतिकारी और जादुई उत्पाद" के रूप में हर तरफ चर्चा है।
लेख पढ़ें »
वेबलॉग नीतिशास्त्र
March 29, 2005 | Comments Off on वेबलॉग नीतिशास्त्र

सारांश में पेश करते हैं पुस्तकाँश या पुस्तक समीक्षा। निरंतर के पहले अंक में हमें प्रसन्नता है रेबेका ब्लड की पुस्तक "द वेबलॉग हैन्डबुक" के अंश का हिन्दी रूपांतर प्रस्तुत करते हुए। रेबेका 1996 से अंर्तजाल पर हैं, उनका ब्लॉग रेबेकाज़ पॉकेट खासा प्रसिद्ध है।
लेख पढ़ें »
भारतीय समाज और भ्रष्टाचार
July 1, 2005 |
Leave comment

क्या भ्रष्टाचार हम भारतीयों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है? क्या हम कभी इससे स्वतंत्र हो पाएँगे? अन्तर्जाल पर किसका वर्चस्व रहेगा गुंडों मवालियों का या उनका जो रचनात्मक कार्य करते हैं, नए रास्ते खोलते हैं? इन दोनों मुद्दों पर पढ़ें निरंतर के जुलाई २००५ अंक की संपादकीय राय.
लेख पढ़ें »
भारत में एड्सः शतुरमुर्ग सा रवैया
August 5, 2006 |
6 Comments

एड्स को हमारे जीवन में आये पच्चीस साल हो गये। भारत अब विश्व की सर्वाधिक एचआईवी संक्रमित जनसंख्या वाला देश बन गया है। इस से निबटने के लिये मजबूत रीढ़ वाले नेतृत्व की दरकार है जो इससे आपदा नियंत्रण की तौर पर नहीं वरन योजनाबद्ध तरीके से लोहा ले। पढ़िये डॉ सुनील दीपक की आमुख कथा।
लेख पढ़ें »
ग़ज़लें रंगारंग
April 9, 2005 |
Leave comment
शेरजंग गर्ग द्वारा संकलित व संपादित गज़लें रंगारंग ग़ज़लों के इंद्रधनुषी रंगों में पाठक को सराबोर करने का एक सार्थक प्रयास है, कहना है पुस्तक की समीक्षा कर रहे रवि रतलामी का।
लेख पढ़ें »
बोलबाला मीडिया रिच चिट्ठों का
April 9, 2005 |
Leave comment

याहू 360° का आगमन, याहू द्वारा फ्लिकर के अधिग्रहण की अफ़वाहें, पत्रकार प्रद्युम्न माहेश्वरी के प्रसिद्ध ब्लॉग मीडियाह पर टाईम्स आफ इंडिया ने लगवाया ताला और आस्कर अवार्ड्स ने भी बनाया अपना ब्लॉग। ये, और ढेर सारी और खबरें। हमारे स्तंभ हलचल में पढ़िए माह के दौरान घटित ब्लॉगजगत से संबंधित खबरें तड़के के साथ।
लेख पढ़ें »
सुक्खी जैसा कोई नही
April 8, 2005 |
1 Comment
जितेन्द्र के बचपन के दोस्त
सुक्खी बहुत ही सही आइटम हैं। उनकी जिन्दगी में लगातार ऐसी घटनायें होती रहती हैं जो दूसरों के लिये हास-परिहास का विषय बन जाती है। हास परिहास में पढ़िए सुने अनसुने लतीफ़े और रजनीश कपूर की नई कार्टून श्रृंखला "ये जो हैं जिंदगी"।
लेख पढ़ें »