निधि

क्या आप टैगिंग करते हैं?

अंतर्जाल के विहंगम आकार के लिये वर्गीकरण की नई पद्धति है टैगिंग

टैगिंग जानकारी की जमावट और लोगों को जोड़ने का एक नया क्राँतिकारी माध्यम है जो अराजकता से व्यवस्था की सृष्टि कर मानवीय भावनाओं का प्रतीक भी बन चला है। देबाशीष चक्रवर्ती के आलेख द्वारा प्रवेश कीजिये कीवर्ड के साम्राज्य में और अंदाज़ा लगाईये टैगिंग के भविष्य का।

May 23rd 2005

मनोचिकित्सा से फ़िल्म निर्देशन तक

July 12, 2008 | Leave comment

image डॉ परवेज़ इमाम ने चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई पूरी कर मनोचिकित्सक का पेशा अपनाया पर अस्पताल की बजाय उनकी कर्मभूमि बनी वृतचित्र यानि डाक्यूमेंट्री फ़िल्मों की दुनिया। टीवी कार्यक्रम टर्निंग प्वाईंट से शुरुवात कर उन्होंने अब तक अनेकों पुरस्कृत वृत्तचित्रों का निर्माण किया है। संवाद में पढ़ें परवेज़ के जीवन और अनुभव पर डॉ सुनील दीपक से हुई उनकी बातचीत। लेख पढ़ें »
संवाद से अन्य आलेख »

कम्पयूटर स्त्रीलिंग है या पुर्लिंग?

March 29, 2005 | 1 Comment

image घर, दफ्तर, सड़क हर जगह मुसीबतें आतीं हैं, सेंकड़ों सवाल उठ खड़े हो जाते हैं। अब सर खुजलाते खुजलाते हमारे रडार पर एक महारथी की काया दिखी तो उम्मीद कि किरणें जाग उठीं। प्रश्न चाहे किसी भी विषय पर हों, साहित्यिक हों या हों जीवन के फलसफे पर, सरल हो या क्लिष्ट, नॉटी हो या शिष्ट, विषय बादी हों या मवादी, कौमार्य हो या शादी, पूछे जायेंगे बेझिझक फुरसतिया से! लेख पढ़ें »
पूछिये फुरसतिया से से अन्य आलेख »

विकिलीक्स बतायेगा पर्दे के पीछे का सच

February 9, 2007 | 2 Comments

image नये स्तंभ टेक दीर्घा में रवि रतलामी बता रहे हैं विकिपीडिया की तर्ज पर प्रारंभ, पर उससे काफी अलाहदा, एक नये और अनोखे प्रकल्प विकिलीक्स के बारे में। लेख पढ़ें »
टैक दीर्घा से अन्य आलेख »

ट्रैफ़िक जाम और सपने

August 1, 2005 | Leave comment

image सारांश में इस बार एक महिला लेखिका के प्रथम उपन्यास के अंश प्रकाशित करते हुए हमें हर्ष है। सामयिक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सुषमा जगमोहन के इस प्रयास "ज़िंदगी ई-मेल" का 28 जुलाई, 2005 को दिल्ली में विमोचन हुआ। सुषमा पेशे से पत्रकार हैं और उनकी रचनायें हंस, मधुमती व सखी जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। लेख पढ़ें »
सारांश से अन्य आलेख »

बलॉगिंग विथ परपस

March 29, 2005 | Leave comment

image जिह्वा ने जब अपना प्रसिद्ध चिट्ठा बंद किया तो उनकी उकताहट छुपती न थी। क्या चिट्ठाकार मूलतः अपने मेट्रिक्स में कैद आत्ममुग्ध अंर्तमुखी लेखक ही हैं बस? क्या वे समाज के सत्य से रूबरू ही नहीं होना चाहते? नज़रिया स्तंभ में पढ़िये संपादक की कलम से निरंतर का परिचय और चिट्ठा जगत पर नुक्ता चीनी के साथ पाईए परिचय आमुख कथा का। लेख पढ़ें »
नज़रिया से अन्य आलेख »

जल है धरती की धमनी का रक्त

August 1, 2005 | Leave comment

image यदि लोग और समुदाय, सही सूचना स्रोतों से सशक्‍त हो कर, अपने आस पास के जल की स्थिति सुधारने का दायित्व अपने ऊपर लें, तो बड़ी कंपनियों, विकास संस्थाओं और केन्द्रीकृत सरकारों की मदद के बिना ही बहुत कुछ हासिल हो सकता है, कह रहे है वाटर स्टीवर्ड्स के रायन केस। लेख पढ़ें »
आमुख कथा से अन्य आलेख »

ओपन आईडीः ताले अनेक, चाबी सिर्फ एक

February 9, 2007 | 4 Comments

image जितने जालस्थल उतने लॉगिन, अपने यूज़रनेम और पासवर्ड की जोड़ी याद रखना सरदर्दी है। शुक्र है कि सिंगल साईन आन की तर्ज़ पर अंतर्जाल पर भी एक प्रणाली आकार ले रही है, जिसका नाम है ओपन आईडी। निधि में पढ़ें आईडेन्टिटी 2.0 और ओपन आईडी की जानकारी देता देबाशीष चक्रवर्ती का आलेख। लेख पढ़ें »
निधि से अन्य आलेख »

डंडे का जोर

June 1, 2005 | Leave comment

बचपन में गुरु जी के डंडे की मार खाने के डर से गणित का पहाड़ा याद करने वाले लोगों को डंडे की महत्ता तब उतनी पता नहीं चली होगी, जितनी जिंदगी की जद्दोजहद के दौरान अब पता चलती है। अच्छे अच्छों की हवा निकालने में सक्षम होते हैं ये, उनको अपनी औक़ात और नानी तक याद दिला सकते हैं, चुटकी ले रहे हैं रवि रतलामी। लेख पढ़ें »
वातायन से अन्य आलेख »

टेक्नोराती नये रूप में

July 1, 2005 | Leave comment

image एक और नया ब्लॉग एग्रीगेटर, टेकनोराती का नया सलोना रूप, ब्लॉगरों के लिये कानूनी गाईड और माईक्रोसॉफ्ट ने ब्लॉग पर लगाई सेंसर की बाँध. ये तथा अन्य ताजा खबरें सारे ब्लाग संसार से हमारे नियमित स्तंभ हलचल में. लेख पढ़ें »
हलचल से अन्य आलेख »

सुक्खी जैसा कोई नही

April 8, 2005 | 1 Comment

जितेन्द्र के बचपन के दोस्त सुक्खी बहुत ही सही आइटम हैं। उनकी जिन्दगी में लगातार ऐसी घटनायें होती रहती हैं जो दूसरों के लिये हास‍-परिहास का विषय बन जाती है। हास परिहास में पढ़िए सुने अनसुने लतीफ़े और रजनीश कपूर की नई कार्टून श्रृंखला "ये जो हैं जिंदगी"। लेख पढ़ें »
हास परिहास से अन्य आलेख »


निरंतर के लेखक

All authors