निधि

क्या आप टैगिंग करते हैं?

अंतर्जाल के विहंगम आकार के लिये वर्गीकरण की नई पद्धति है टैगिंग

टैगिंग जानकारी की जमावट और लोगों को जोड़ने का एक नया क्राँतिकारी माध्यम है जो अराजकता से व्यवस्था की सृष्टि कर मानवीय भावनाओं का प्रतीक भी बन चला है। देबाशीष चक्रवर्ती के आलेख द्वारा प्रवेश कीजिये कीवर्ड के साम्राज्य में और अंदाज़ा लगाईये टैगिंग के भविष्य का।

May 23rd 2005

खुद को पत्नी माना ही नहीं कभी

November 4, 2006 | 5 Comments

image कथाकार व उपन्यासकार मैत्रेयी पुष्पा समकालीन महिला हिंदी लेखन की सुपरस्टार हैं। पिछले दिनों हंस के एक अंक में संपादक राजेंद्र यादव ने मैत्रेयी की तुलना मरी हुयी गाय से की, इस पर साहित्य जगत में काफी हलचल हुयी। यह और अन्य अनेक बिंदुओं को लेकर वरिष्ठ कथाकार अमरीक सिंह दीप ने मैत्रेयी पुष्पा से विस्तार से बातचीत की। लेख पढ़ें »
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कम्पयूटर स्त्रीलिंग है या पुर्लिंग?

March 29, 2005 | 1 Comment

image घर, दफ्तर, सड़क हर जगह मुसीबतें आतीं हैं, सेंकड़ों सवाल उठ खड़े हो जाते हैं। अब सर खुजलाते खुजलाते हमारे रडार पर एक महारथी की काया दिखी तो उम्मीद कि किरणें जाग उठीं। प्रश्न चाहे किसी भी विषय पर हों, साहित्यिक हों या हों जीवन के फलसफे पर, सरल हो या क्लिष्ट, नॉटी हो या शिष्ट, विषय बादी हों या मवादी, कौमार्य हो या शादी, पूछे जायेंगे बेझिझक फुरसतिया से! लेख पढ़ें »
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विकिलीक्स बतायेगा पर्दे के पीछे का सच

February 9, 2007 | 2 Comments

image नये स्तंभ टेक दीर्घा में रवि रतलामी बता रहे हैं विकिपीडिया की तर्ज पर प्रारंभ, पर उससे काफी अलाहदा, एक नये और अनोखे प्रकल्प विकिलीक्स के बारे में। लेख पढ़ें »
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वेबलॉग नीतिशास्त्र

March 29, 2005 | Comments Off on वेबलॉग नीतिशास्त्र

image सारांश में पेश करते हैं पुस्तकाँश या पुस्तक समीक्षा। निरंतर के पहले अंक में हमें प्रसन्नता है रेबेका ब्लड की पुस्तक "द वेबलॉग हैन्डबुक" के अंश का हिन्दी रूपांतर प्रस्तुत करते हुए। रेबेका 1996 से अंर्तजाल पर हैं, उनका ब्लॉग रेबेकाज़ पॉकेट खासा प्रसिद्ध है। लेख पढ़ें »
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सामुदायिक प्रयत्नों के पसीने का प्रताप

June 1, 2005 | Leave comment

image निरंतर का यह अंक वर्डप्रेस विशेषांक है। इस विशेषांक के जरिए हमारा प्रयास है कि हम वर्डप्रेस से संबंधित जानकारी रोचक तरीके से प्रस्तुत करे साथ ही आपको इस उत्पाद की सफलता के नेपथ्य में निहित सामुदायिक प्रयत्नों के पसीने की महक आप तक पहूँचा सके। लेख पढ़ें »
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विज्ञापन एजेन्सी में एक दिन

July 1, 2005 | 1 Comment

image कैसे काम करती हैं गोरेपन की क्रीम से कॉन्डोम तक की प्रचार सामग्री तैयार करतीं विज्ञापन कंपनियाँ, बता रहे हैं पेशेवर कापीराईटर व चिट्ठाकार चंद्रचूदन गोपालाकृष्णन. लेख पढ़ें »
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140 अक्षरों की दुनिया: माइक्रोब्लॉगिंग

July 15, 2008 | 7 Comments

image ब्लॉगिंग के बाद इंटरनेट पर एक और विधा ने जोर पकड़ा है। जी हाँ ट्विटर, पाउंस और प्लर्क के दीवाने अपने बलॉग छोड़ दीवाने हो चले हैं माईक्रोब्लॉगिंग के। पैट्रिक्स और देबाशीष कर रहे हैं इस लोकप्रिय तकनीक की संक्षिप्त पड़ताल जिसमें लोग फकत 140 अक्षरों में कभी अपने मोबाईल, कभी डेस्कटॉप तो कभी जालस्थल द्वारा अपना हालेदिल लिखे चले जाते हैं। लेख पढ़ें »
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हल्की फुल्की, सकारात्मक और मज़ेदार

June 1, 2005 | Leave comment

image ट्विटर के सह संस्थापक बिज़ स्टोन की लिखी "हू लेट द ब्लॉग्स आउट" मज़ेदार किताब है, ब्लॉगिंग की दुनिया में कुछ दिन बिता चुके नौसिखियों और निपुण चिट्ठाकारों के लिये बेहद काम की। ब्लॉग पर आवक कैसे बढ़ायें, ब्लॉगिंग से पैसा कैसे कमायें, ब्लॉग की वजह से नौकरी कैसे न गवायें जैसे कई काम के टिप हैं पुस्तक में। पढ़िये देबाशीष द्वारा समीक्षा। लेख पढ़ें »
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बोलबाला मीडिया रिच चिट्ठों का

April 9, 2005 | Leave comment

image याहू 360° का आगमन, याहू द्वारा फ्लिकर के अधिग्रहण की अफ़वाहें, पत्रकार प्रद्युम्न माहेश्वरी के प्रसिद्ध ब्लॉग मीडियाह पर टाईम्स आफ इंडिया ने लगवाया ताला और आस्कर अवार्ड्स ने भी बनाया अपना ब्लॉग। ये, और ढेर सारी और खबरें। हमारे स्तंभ हलचल में पढ़िए माह के दौरान घटित ब्लॉगजगत से संबंधित खबरें तड़के के साथ। लेख पढ़ें »
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