वोट की राजनीति ने बनाये नपुंसक नेता
August 5, 2006 |
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बड़े बांध विकास के मापदंड माने जाते हैं। बांधों से बिजली जैसे फायदे प्रगति के सापेक्ष एक और कटुसत्य है डूब क्षेत्र से जन सामान्य का विस्थापन। पत्रकार विजय मनोहर तिवारी ने इन्दिरा सागर बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आये कस्बे 'हरसूद' में विस्थापन का अनुभव टीवी द्वारा लोगों तक पहुँचाया, तत्पश्चात अपने अनुभवों को लेखनीबद्ध किया पुस्तक 'हरसूद 30 जून' में। पढ़िये विजय से अनूप शुक्ला की बातचीत।
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परिपक्व हो जायेंगे तब भोली भाली बातें करेंगे
June 1, 2005 |
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आजकल के बच्चों मे बचपना क्यों नज़र नही आता? हिंदुस्तानी फिल्मों में इतने गाने क्यों होते हैं? नेताओं के स्वागत पोस्टर में नाम के आगे "मा." क्यों लिखा रहता है? भूख क्यों लगती है? सारे जवाब यहाँ दिये जायेंगे, फुरसत से। ससूरा गूगलवा भला अब किस काम का, पूछिये फुरसतिया से!
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कोई भला चिट्ठा क्यों लिखना चाहेगा?
April 9, 2005 |
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चिट्ठाकारी आसान है और नियमित चिट्ठा लेखकों को पुस्तक प्रकाशन के अनुबंध या स्वतंत्र लेखन कार्य द्वारा अर्थलाभ मिलना भी कोई असंभव काम नहीं है। सारांश में पढ़ें बिज़ स्टोन की पुस्तक "हू लेट द ब्लॉग्स आउट" से एक चुने हुये लेख "वाई वुड एनीवन वाँट टू ब्लॉग?" का रमण कौल द्वारा किया हिन्दी रूपांतर।
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सामुदायिक प्रयत्नों के पसीने का प्रताप
June 1, 2005 |
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निरंतर का यह अंक वर्डप्रेस विशेषांक है। इस विशेषांक के जरिए हमारा प्रयास है कि हम वर्डप्रेस से संबंधित जानकारी रोचक तरीके से प्रस्तुत करे साथ ही आपको इस उत्पाद की सफलता के नेपथ्य में निहित सामुदायिक प्रयत्नों के पसीने की महक आप तक पहूँचा सके।
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भारतीय ब्लॉगिंग: टिप्पिंग प्वाईंट पर
March 29, 2005 |
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विचार, संदेश और व्यवहार उसी तरह फैलते हैं जैसे कि कोई वायरस। दीना मेहता मानती हैं कि भारतीय ब्लॉगिंग मैल्कम ग्लैडवेल द्वारा पारिभाषित "टिप्पिंग प्वाइंट" की कगार पर है और अनुमान लगा रही हैं कि इसका भविष्य कैसा होगा।
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आइए वर्डप्रेस अपनाएँ
यदि आपके पास अपना जालस्थान या वेबस्पेस उपलब्ध है तो आप अपने ब्लॉग को एक ऐसे ब्लॉगिंग तंत्रांश पर स्थापित कर सकते हैं जिसके दीवाने दुनिया भर में हैं। निरंतर के वर्डप्रेस विशेषाँक के अन्तर्गत प्रस्तुत है रमण कौल का आलेख जिसकी मदद से आप वर्डप्रेस पर अपना चिट्ठा शुरू करने की चाहत को मूर्त रूप दे सकते हैं।
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लाल परी – भाग 2
September 22, 2006 |
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वातायन में आप पढ़ रहे हैं विश्व की पहली इंटरैक्टिव धारावाहिक कथा "लाल परी"। पहला भाग पढ़ कर पाठकों की आम राय थी कि केडी और अरु की चैट कुछ और चले और नाटकियता कुछ और जुड़े। हम तो हुकुम के गुलाम हैं, लेखिका प्रत्यक्षा कहती हैं, और चटपट अगला भाग जनता की डिमांड पर लिख दिया। पढ़ें कथा का दूसरा भाग पढ़ें और तय करें कहानी का अगला भाग कैसा हो।
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पहले मुर्गी आयी या अन्डा
May 23, 2005 |
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जितेन्द्र के बचपन के दोस्त सुक्खी बहुत ही सही आइटम हैं। उनकी जिन्दगी में लगातार ऐसी घटनायें होती रहती हैं जो दूसरों के लिये हास-परिहास का विषय बन जाती है। हास परिहास में पढ़िए सुने अनसुने लतीफ़े और रजनीश कपूर की नई कार्टून श्रृंखला "ये जो हैं जिंदगी"। साथ ही "शेर सवाशेर" में नोश फ़रमायें गुदगुदाते व्यंजल।
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